ऐ!प्रकृति प्रदत्त चीज़ों से इंशा,मत करो खिलवाड़ तुम
रौद्र सा तेवर जागेगा जब,क्या सह पाओगे दहाड़ तुम?
युगों युगों से देती आई जो, जीवनदायिनी सतरंग भी
"मां" बन पोषी अपने आंचल में, सदा निभाई संग भी
सुख सागर सा प्राण दिया है, अनंतमय हरियाली भी
क्रिसमस होली राखी संग दी, ईद और दिवाली भी
वक्त हुआ है सम्हल भी जाओ,प्रकृति शक्ति को छेड़ना
नहीं तो,प्रकृति अपने क्रोधों से,आरंभ करेंगे खदेड़ना
सिंहनाद सा गूंज उठेगा,भीषण प्रकृति शिवजी जैसा
आओ प्रकृति से प्रेम करें,ललना "मां" की प्रेम के जैसा
ध्यान से देखो कोरोना आया है,जो लॉकडाउन स्वरूपा
कर वंदना ईश की तुम!ना आए प्रकृति शक्ति रौद्र रूपा
इमरान संभलशाही
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here