जिंदगी के कश्मकश खेल में हार गया मैं दोस्ती का जुआ । कल उनका आगमन हो रहा है , इसलिए मेरा आज प्रस्थान हुआ ।। कंपकपाती होठो पर खामोशियों के फेरे थे । उसका सामना.
1 Stories
Will restore all stories present before deactivation.
It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here