दोहा
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चालाकों को लग गया, चापलूस का रोग।
खुद को पेड़ समझ रहे, पौधों जैसे लोग।।
7 Love
👉जब कभी एहसास में छा जाती है
बादल की तरह !
कमबख़्त नयन बरसते हैं ए,
सावन की तरह !!
खास गजवदनी कामिनी है ,
कामनाओं की ।
बहुत अरमान सजाती है भावनाओं की ।।
नयन हिरनी सी ,
जुल्फ़ हैं घटाएँ सावन सी ।
कमल ज्योंं अलिगनों को ,
दीखती लुभावन सी ।।
मचलती और बलखाती हुई ,
चली सी गयी ।
नब्ज़ में मेरे लहर उसकी है ,
नागन की तरह ।
कमबख़्त नयन बरसतेहै,,,,,।।
✍️कवि उमाकान्त तिवारी प्रचण्ड,🌹🌹🙏🌹🌹🙏
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