Life #Gulzar
  • Latest
  • Popular
  • Video
#मराठीशायरी #Gulzar  ठहेरा हूवा पाणी था मै
गेहराई भी बहूत थी 
मेरे अंदर
तुफान ने छेडा मुझे...
मै लहेर बनकर...
पत्थर से हर रोज टकराता रहा..

©ganesh suryavanshi

#Gulzar

135 View

ठहेरा हूवा पाणी था मै गेहराई भी बहूत थी मेरे अंदर तुफान ने छेडा मुझे... मै लहेर बनकर... पत्थर से हर रोज ठकराता रहा ©ganesh suryavanshi

#शायरी #Gulzar  ठहेरा हूवा पाणी था मै
गेहराई भी बहूत थी 
मेरे अंदर
तुफान ने छेडा मुझे...
मै लहेर बनकर...
पत्थर से हर रोज ठकराता रहा

©ganesh suryavanshi

#Gulzar

15 Love

#Quotes #Gulzar  लिख के बताऊ या सुना के खैर यह
दर्द है
समझ में महसूस कर के ही आएगा

©RAO YASHPAL SINGH RANA

#Gulzar

132 View

मैं गालिब औंर गुलजार की बात नही करता... जो दर्द के मूशाय़रे लिखे है, मैं अपने बिते हूऐ पल रूबरू हूऐ हालातों पर तंज कस रहा हूं इतने जाल़िम क्यों है.. ए -वक्त. समय बदलता क्यों नही जो तरस नही खाते... बस... लढ़ने के लिऐ दिन जागने के लिए रात है.. नींदे तो भटक़ती रहे गई.. अकेले सफर मे रूह अंशात है.. अंधेरे खोली मे इंतजार है , कहीं से भी उम्मीद की रोशनी मिल जाए.. पर रात क्यों नही गुजरती.. तनहा- तनहा हालातों से.. ©ganesh suryavanshi

#शायरी #Gulzar  मैं गालिब औंर गुलजार की बात नही
करता...
जो दर्द के मूशाय़रे लिखे है,
मैं अपने बिते हूऐ पल
रूबरू हूऐ हालातों
पर तंज कस रहा हूं
इतने जाल़िम क्यों है..
ए -वक्त. समय बदलता क्यों नही
जो तरस नही खाते...
बस...
लढ़ने के लिऐ दिन
जागने के लिए रात है..
नींदे तो भटक़ती रहे गई..
अकेले सफर मे
रूह अंशात है..
अंधेरे खोली मे
इंतजार है ,
कहीं से भी
उम्मीद की रोशनी मिल जाए..
पर रात क्यों नही गुजरती..
तनहा- तनहा हालातों से..

©ganesh suryavanshi

#Gulzar

15 Love

#ज़िन्दगी #गुलजार #Life_experience #ehsaas #viral  दुसरो मे कमियाँ निकालते फिरते हो..... 
खुद तो तुम जैसे गुलज़ार हो...... ❤

©karanSingh

#गुलजार #Love #Poetry #ehsaas #nojoto #Life #Life_experience #Thoughts #viral

991 View

#nojotohindi #hindustan #Gulzar #India #Hindi   जहाँ तेरे पैरों के कँवल गिरा करते थे 
हँसे तो दो गालों में भँवर पङा करते थे 
तेरी कमर के बल पे नदी मुङा करती थी 
हँसी तेरी सुन सुन के फसल पका करती थी
छोङ आये हम वो गलियाँ ..........

जिस राह पे हाथ छुड़ा कर तुम तन्हा चल निकली हो 
इस खौफ़ से शायद राह भटक जाओ ना 
कहीं हर मोड़ पर मैंने नज़्म खड़ी कर रखी है! 
थक जाओ अगर
और तुमको ज़रूरत पड़ जाए, 
इक नज़्म की ऊँगली थाम के वापस आ जाना!

gulzar

©Jasmine of December
Trending Topic