मुझे मेरे दोस्त ना बहुत याद आते हैं
समय के साथ खेल तो बदले
और उनको खेलने वाले जो नहीं बदल पाते है वो ही
असल दोस्त कहलाते हैं
पकड़म पकड़ाई से कबड्डी, कबड्डी से वॉलीबाल सब खेल जिनके साथ मैंने खेला है
उनके साथ स्कूल जल्दी आना और खेलने को देर तक रुकने की जो यादें है वही मेरी दोस्ती मेला है
स्कूल खत्म हुआ कॉलेज शुरू काफी छूटे और कुछ हमारे ही बने गुरू
कोई कहीं अव्वल आया किसी ने कहीं झंडे गाड़े
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