आज किसी अपने से संवाद हुआ, खुद की कहीं कभी कोई बात का जिक्र हुआ। मुझे तो याद नहीं था , कब,कैसे, कहां कहीं । बात छोटी है,पर सोचने पर गहरी है। बात यूँ निकली कि आपने एक बार कहा था, जो भी हो जैसा भी हो,आप कभी भी,कुछ भी करने से पीछे नहीं हटते। फिर चाहे उसकी सकारात्मक प्रक्रिया मिले,या नकारात्मक प्रक्रिया मिले। आपको वो करके देखना होता है, तब आपके मन का होना होता है। तो उसको लगा वह भी ऐसा कर सकता है,मेरे जैसा थोड़ा बन सकता है। अब प्रतिक्रिया के फेर में रहेगा, तो कुछ उसका कर पाना नामुमकिन है। कुछ नहीं स
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