tags

New आँसू कविता का अर्थ Status, Photo, Video

Find the latest Status about आँसू कविता का अर्थ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about आँसू कविता का अर्थ.

  • Latest
  • Popular
  • Video

आँसू खट्टी मीठी यादें हो या पीड़ा हो तन मन की मिली असीमित खुशियाँ या हो खुशी छिनी जीवन की चल पड़ते होकर स्वतंत्र कर नेत्रों का परित्याग बुझा सकें शायद वो उर की विकट धधकती आग उन्हे पता है वो नेत्रों के लिए बहुत अनमोल करते सदा प्रतिक्षा उनकी छू लें उन्हें कपोल पा करके स्नेहिल स्पर्श वो कहें करो विश्राम आँसू बोला रुक नहीं सकते मुझे बहुत है काम हृदय शांत हो जाए बेखुद भले ही मैं मिट जाऊँ आँसू कहता मैं मानव के किसी काम तो आऊँ ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता  आँसू
खट्टी मीठी यादें हो
या पीड़ा हो तन मन की
मिली असीमित खुशियाँ या हो
खुशी छिनी जीवन की

चल पड़ते होकर स्वतंत्र कर
नेत्रों का परित्याग
बुझा सकें शायद वो उर की
विकट धधकती आग

उन्हे पता है वो नेत्रों के
लिए बहुत अनमोल
करते सदा प्रतिक्षा उनकी
छू लें उन्हें कपोल

पा करके स्नेहिल स्पर्श वो
कहें करो विश्राम
आँसू बोला रुक नहीं सकते
मुझे बहुत है काम

हृदय शांत हो जाए बेखुद
भले ही मैं मिट जाऊँ
आँसू कहता मैं मानव के
किसी काम तो आऊँ

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

# आँसू

16 Love

White https://www.amazon.in/dp/9363303624/ref=sr_1_1?crid=1BG7ESUNE99LA&dib=eyJ2IjoiMSJ9.u_X-ACLRxc3Bp_N1TlG0rQ.6Qiwd2Wla8gtRO9hqyOuf_aJyG0p-vE3cHJ7OViYmlY&dib_tag=se&keywords=9789363303621&qid=1730815253&sprefix=9789363306233%2Caps%2C378&sr=8-1 ©Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97

#कविता #समझ #लव  White https://www.amazon.in/dp/9363303624/ref=sr_1_1?crid=1BG7ESUNE99LA&dib=eyJ2IjoiMSJ9.u_X-ACLRxc3Bp_N1TlG0rQ.6Qiwd2Wla8gtRO9hqyOuf_aJyG0p-vE3cHJ7OViYmlY&dib_tag=se&keywords=9789363303621&qid=1730815253&sprefix=9789363306233%2Caps%2C378&sr=8-1

©Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97

#समझ सको तो अर्थ हूँ #कविता #Love

16 Love

शादी का सही अर्थ..

153 View

White उलझन वाले छंदो मे उलझ कर कविता मेरी थक कर हाफने लगी है लगता है अब एक नई कविता मन के केनवास पर कहीं जन्म न लें रहीं हो ©Parasram Arora

 White उलझन वाले छंदो 
मे उलझ कर 
कविता मेरी थक
 कर हाफने लगी है

लगता है  अब एक
 नई कविता 
मन के केनवास पर 
कहीं जन्म न लें रहीं हो

©Parasram Arora

i एक नूई कविता का प्रजनन

13 Love

ये आँख का आँसू तेरा किस्सा सुना गया सूखे पड़े दिल पर गम का दरिया बहा गया , जब तक था आँखों मे चुभता रहा रात दिन आज लुढ़ककर आँखों से तमाशबीन बना गया । ©Parul (kiran)Yadav

#नोजोतोसाहित्य #नोजोतोफेमिली #नोजोतोहिन्दी #आंसू_और_हम #नोजोतो #कविता  ये आँख का आँसू तेरा किस्सा सुना गया 
सूखे पड़े दिल पर गम का दरिया बहा गया ,
जब तक था आँखों मे चुभता रहा रात दिन 
आज लुढ़ककर आँखों से तमाशबीन बना गया ।

©Parul (kiran)Yadav

#आँखें #आँसू #आंसू_और_हम #नोजोतो #नोजोतोहिन्दी #नोजोतोफेमिली #नोजोतोसाहित्य कविता कविता कोश प्यार पर कविता कविता कोश हिंदी कविता ANOO

32 Love

जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर

#प्रकृति #कविता  जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

13 Love

आँसू खट्टी मीठी यादें हो या पीड़ा हो तन मन की मिली असीमित खुशियाँ या हो खुशी छिनी जीवन की चल पड़ते होकर स्वतंत्र कर नेत्रों का परित्याग बुझा सकें शायद वो उर की विकट धधकती आग उन्हे पता है वो नेत्रों के लिए बहुत अनमोल करते सदा प्रतिक्षा उनकी छू लें उन्हें कपोल पा करके स्नेहिल स्पर्श वो कहें करो विश्राम आँसू बोला रुक नहीं सकते मुझे बहुत है काम हृदय शांत हो जाए बेखुद भले ही मैं मिट जाऊँ आँसू कहता मैं मानव के किसी काम तो आऊँ ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता  आँसू
खट्टी मीठी यादें हो
या पीड़ा हो तन मन की
मिली असीमित खुशियाँ या हो
खुशी छिनी जीवन की

चल पड़ते होकर स्वतंत्र कर
नेत्रों का परित्याग
बुझा सकें शायद वो उर की
विकट धधकती आग

उन्हे पता है वो नेत्रों के
लिए बहुत अनमोल
करते सदा प्रतिक्षा उनकी
छू लें उन्हें कपोल

पा करके स्नेहिल स्पर्श वो
कहें करो विश्राम
आँसू बोला रुक नहीं सकते
मुझे बहुत है काम

हृदय शांत हो जाए बेखुद
भले ही मैं मिट जाऊँ
आँसू कहता मैं मानव के
किसी काम तो आऊँ

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

# आँसू

16 Love

White https://www.amazon.in/dp/9363303624/ref=sr_1_1?crid=1BG7ESUNE99LA&dib=eyJ2IjoiMSJ9.u_X-ACLRxc3Bp_N1TlG0rQ.6Qiwd2Wla8gtRO9hqyOuf_aJyG0p-vE3cHJ7OViYmlY&dib_tag=se&keywords=9789363303621&qid=1730815253&sprefix=9789363306233%2Caps%2C378&sr=8-1 ©Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97

#कविता #समझ #लव  White https://www.amazon.in/dp/9363303624/ref=sr_1_1?crid=1BG7ESUNE99LA&dib=eyJ2IjoiMSJ9.u_X-ACLRxc3Bp_N1TlG0rQ.6Qiwd2Wla8gtRO9hqyOuf_aJyG0p-vE3cHJ7OViYmlY&dib_tag=se&keywords=9789363303621&qid=1730815253&sprefix=9789363306233%2Caps%2C378&sr=8-1

©Manisha Keshav https://www.audible.in/pd/Jab-Tera-Zikr-Hota-Hai-When-You-Are-Mentioned-Audiobook/B0D94RCK97

#समझ सको तो अर्थ हूँ #कविता #Love

16 Love

शादी का सही अर्थ..

153 View

White उलझन वाले छंदो मे उलझ कर कविता मेरी थक कर हाफने लगी है लगता है अब एक नई कविता मन के केनवास पर कहीं जन्म न लें रहीं हो ©Parasram Arora

 White उलझन वाले छंदो 
मे उलझ कर 
कविता मेरी थक
 कर हाफने लगी है

लगता है  अब एक
 नई कविता 
मन के केनवास पर 
कहीं जन्म न लें रहीं हो

©Parasram Arora

i एक नूई कविता का प्रजनन

13 Love

ये आँख का आँसू तेरा किस्सा सुना गया सूखे पड़े दिल पर गम का दरिया बहा गया , जब तक था आँखों मे चुभता रहा रात दिन आज लुढ़ककर आँखों से तमाशबीन बना गया । ©Parul (kiran)Yadav

#नोजोतोसाहित्य #नोजोतोफेमिली #नोजोतोहिन्दी #आंसू_और_हम #नोजोतो #कविता  ये आँख का आँसू तेरा किस्सा सुना गया 
सूखे पड़े दिल पर गम का दरिया बहा गया ,
जब तक था आँखों मे चुभता रहा रात दिन 
आज लुढ़ककर आँखों से तमाशबीन बना गया ।

©Parul (kiran)Yadav

#आँखें #आँसू #आंसू_और_हम #नोजोतो #नोजोतोहिन्दी #नोजोतोफेमिली #नोजोतोसाहित्य कविता कविता कोश प्यार पर कविता कविता कोश हिंदी कविता ANOO

32 Love

जमीन पर आधिपत्य इंसान का, पशुओं को आसपास से दूर भगाए। हर जीव पर उसने डाला है बंधन, ये कैसी है जिद्द, ये किसका अधिकार है।। जहां पेड़ों की छांव थी कभी, अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी। मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया, ये कैसी रचना का निर्माण है।। नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने, पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है। प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र, बस खुद की चाहत का संसार है। क्या सच में यही मानव का आविष्कार है? फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है, सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है। बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है, उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है। हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है, किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है, इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।। हरियाली छूटी, जीवन रूठा, सुख की खोज में सब कुछ छूटा। जो संतुलन से भरी थी कभी, बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।। बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है। हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है? ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है? क्या यही मानवता का सच्चा आकार है? ©नवनीत ठाकुर

#प्रकृति #कविता  जमीन पर आधिपत्य इंसान का,
पशुओं को आसपास से दूर भगाए।
हर जीव पर उसने डाला है बंधन,
ये कैसी है जिद्द, ये किसका  अधिकार है।।

जहां पेड़ों की छांव थी कभी,
अब ऊँची इमारतें वहाँ बसी।
मिट्टी की जड़ों में जीवन दबा दिया,
ये कैसी रचना का निर्माण है।।

नदियों की धाराएं मोड़ दीं उसने,
पर्वतों को काटा, जला कर जंगलों को कर दिया साफ है।
प्रकृति रह गई अब दोहन की वस्तु मात्र,
बस खुद की चाहत का संसार है।
क्या सच में यही मानव का आविष्कार है?

फैक्ट्रियों से उठता धुएं का गुबार है,
सांसें घुटती दूसरे की, इसकी अब किसे परवाह है।
बस खुद की उन्नति में सब कुर्बान है,
उर्वरक और कीटनाशक से किया धरती पर कैसा अत्याचार है।
 हरियाली से दूर अब सबका घर-आँगन परिवार है,
किसी से नहीं अब रह गया कोई सरोकार है,
इंसान के मन पर छाया ये कैसा अंधकार है।।

हरियाली छूटी, जीवन रूठा,
सुख की खोज में सब कुछ छूटा।
जो संतुलन से भरी थी कभी,
बेजान सी प्रकृति पर किया कैसा पलटवार है।।
बारूद के ढेर पर खड़ी है दुनिया, 
विकसित हथियारों का लगा बहुत बड़ा अंबार है।
हो रहा ताकत का विस्तार है,खरीदने में लगी है होड़ यहां, 
ये कैसा सपना, कैसा ये कारोबार है?
ये किसका विचार है, ये कैसा विचार है?
क्या यही मानवता का सच्चा आकार है?

©नवनीत ठाकुर

#प्रकृति का विलाप कविता

13 Love

Trending Topic