tags

New kavita tiwari poem Status, Photo, Video

Find the latest Status about kavita tiwari poem from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about kavita tiwari poem.

  • Latest
  • Popular
  • Video
#kavita #Music #Song  #Hindi

#Song #Music #Nojoto #Hindi #poem #kavita

135 View

#कविता #nojotohindi #Sad_Status #kavita #Hindi #poem  White मृगतृष्णा की माया में,  
मन तृषित भ्रमित सा भागे।  
रेत के जल में डूबे प्यास,  
सच का कोई निशान न पाए।  

आस की इस अनंत डोर,  
अधूरी चाहतें सुलगाए।  
हर कदम पर छलावे हैं,  
सपनों के साए गहराए।  

प्यास भी बुझती नहीं,  
और सच भी कभी हाथ न आए।

©Shayra
#happy_independence_day #kavita #poem  White "कपटी मानव अबला नारी"
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

ए मूर्ख मानव तेरा कितना हैं बल।
क्या सीखा हैं तूने बस करना छल।।

जानवर से भीं बद्तर हैं  तेरी अकल।
बनकर दुशासन करता हैं जुल्म कतल।।

ये क्या हों गया है  दुनियां को आजकल।
चेहरे पे अमृत का मुखौटा मन में भरा गरल।।

लुटते हों मासूमों की इज़्ज़त आबरू ज़ालिम।
बेरहम कातिल दुष्ट निर्लज कैसी है तेरी तालीम।।

समझते हों स्त्री को तुम सिर्फ खिलौना।
उसकी मासूमियत को असहाय बौना।।

कैसे मसल दिया तू एक खिलती कली फूल को।
कैसे कुचल दिया तूने मानवता के सिद्धांत रूल को।।

तनिक लज्जा नहीं आई तुझे उसकी चीख पर।
पाव नहीं डगमाए तेरे उस अबला के भीख पर।।

कहते हैं लोग की जमाना गया हैं बदल।।
हैं आजाद हिंद स्वतंत्र भारत देश सफल।।

फिर कैसा हैं ये राक्षसो का कपटी शकल।
कहां करते हैं ये नियत के खोट नकल।।

कैसे पहचानें कोई किसी दुरात्मा पापी को।
मुख मे राम बगल में छूरी वाले अपराधी को।।

बिनकसूर तड़पकर दम तोड़ी होंगी।
अख़बार की सुर्खियां शर्मसार हो गई।।

मां की दुलारी पापा की प्यारी परी। 
बेरहम हैवानियत की शिकार हों गईं।।

कहते हैं डॉक्टर होता हैं भगवान का रूप।
फिर कैसे कोई लिया अपने भगवान को ही लूट।।

अरे ओ दानव पुरूष कहां गईं तेरी पुरुषार्थ।
निरर्थक साबित हैं तेरी भ्रष्ट बुद्धि पार्थ कृतार्थ।।

काश बनकर स्त्री कभी स्त्री का दुःख 
दर्द तुम भी तन मन में महसूस करते।

तो ऐसी घिनौनी दुसाहस हरकत कभी 
तुम दुष्ट प्रवृत्ति मनहूस मनुष्य न करते।।

सदियों से बहु बहन बेटियां रही हैं सीधी चुप।
अरे अब तो देखने दो उसे जुल्मी जग कुरूप।।

लेने दो उसे खुली सांसे सूरज की उर्जवान धूप।
यहीं तो हैं सृष्टि प्रकृति ब्रह्मांड सुंदरी स्वरूप।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
                भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
#motivatational #motivatation #motivate #poeatry #kavita  White उड़ान: सपनों की ओर

चलो आगे बढ़ें, हिम्मत ना हारें,
सपनों को पंखों पर उड़ाएं।
जीवन की राहों में अड़े रहें साथ,
बिना होकर मेहनत से खुद को पाएं।

हर सुबह उठकर नई चुनौतियों को गले लगाएं,
उन्नति की ओर बढ़ने का नारा लगाएं।
चाहे रास्ते में हों जितनी भी बाधाएं,
इरादे बुलंद रखें, अपने सपनों को चाएं।

उद्यम, उमंग, और विश्वास से भरपूर,
हर कठिनाई को हम पार करें सुरूर।
सपनों की उड़ान को जीवन में बसाएं,
खुद को सबूत दें, और मंजिल तक पहुँचाएं।

जीवन के सफर में रखें उच्च मानक,
सपनों के साथ सफलता का जानकार बने।
हौंसला न हारे, आगे बढ़े हर दिन,
बस यही है मोटिवेशन, जीवन की यही वजह।

©Suvichar

भविष्य त्याच्या हाती, तो निर्माता बालकांचा म्हणूनच त्याला दिला आपण दर्जा पालकांचा आठवतो तो दिवस जेव्हा त्याला "आई" म्हटले काहीतरी होते ज्यामुळे आम्हाला सुरक्षित वाटले घरापेक्षा जास्त वेळ शाळेतच तर असायचो कधी कधी तर चक्क त्याच्या मांडीवरही बसायचो! लाडका-दोडका नाही, सगळी त्याचीच मुले होती त्यानेच गिरवायला शिकवली आम्हा पाटी समानतेची सण सारे, नवे निराळे, केले नेहमी साजरे त्याच्यामुळे सजवले आपल्या संस्कृतीचे नजारे मनोभावे आठवू त्याला, नको कशाची सक्ती हृदयी माझ्या सदा वसावी त्या गुरूचीच मूर्ती ©Anagha Ukaskar

#nojotomarathi #Teachersday #marathi #kavita  भविष्य त्याच्या हाती, तो निर्माता बालकांचा 
म्हणूनच त्याला दिला आपण दर्जा पालकांचा 
आठवतो तो दिवस जेव्हा त्याला "आई" म्हटले 
काहीतरी होते ज्यामुळे आम्हाला सुरक्षित वाटले 
घरापेक्षा जास्त वेळ शाळेतच तर असायचो 
कधी कधी तर चक्क त्याच्या मांडीवरही बसायचो!
लाडका-दोडका नाही, सगळी त्याचीच मुले होती 
त्यानेच गिरवायला शिकवली आम्हा पाटी समानतेची 
सण सारे, नवे निराळे, केले नेहमी साजरे 
त्याच्यामुळे सजवले आपल्या संस्कृतीचे नजारे 
मनोभावे आठवू त्याला, नको कशाची सक्ती 
हृदयी माझ्या सदा वसावी त्या गुरूचीच मूर्ती

©Anagha Ukaskar
#nojotomarathi #love_shayari #kavita #poem  White खरं सांगू? शाळेचे ते दिवसच छान होते,
"आज काय घालू?" असले विचार मनी नव्हते!
एकच गणवेश सर्वांना, वर्ग परिवार होता जणू 
आता लक्षात येतं, जेव्हा मागे वळून पाहते...

आठवतं खेळाचं मैदान, मैदानावरचा गोंधळ,
पकडापकडी खेळताना हातात हात होते,
चिंता नव्हती घड्याळाची, ना पाऊस पाण्याची झळ,
आता खुद्द वेळच हात धरुन मागे लागते!

शाळेचा एकही दिवस चुकवला नाही कधी, 
आता कुठे दिवसभर बाहेर पडावेसे वाटते?
मोठे झालो तसे सारे भरकटत गेलो, 
'आज' नाही, पाऊल उद्यात गुरफटत राहते!

©Anagha Ukaskar
#kavita #Music #Song  #Hindi

#Song #Music #Nojoto #Hindi #poem #kavita

135 View

#कविता #nojotohindi #Sad_Status #kavita #Hindi #poem  White मृगतृष्णा की माया में,  
मन तृषित भ्रमित सा भागे।  
रेत के जल में डूबे प्यास,  
सच का कोई निशान न पाए।  

आस की इस अनंत डोर,  
अधूरी चाहतें सुलगाए।  
हर कदम पर छलावे हैं,  
सपनों के साए गहराए।  

प्यास भी बुझती नहीं,  
और सच भी कभी हाथ न आए।

©Shayra
#happy_independence_day #kavita #poem  White "कपटी मानव अबला नारी"
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::

ए मूर्ख मानव तेरा कितना हैं बल।
क्या सीखा हैं तूने बस करना छल।।

जानवर से भीं बद्तर हैं  तेरी अकल।
बनकर दुशासन करता हैं जुल्म कतल।।

ये क्या हों गया है  दुनियां को आजकल।
चेहरे पे अमृत का मुखौटा मन में भरा गरल।।

लुटते हों मासूमों की इज़्ज़त आबरू ज़ालिम।
बेरहम कातिल दुष्ट निर्लज कैसी है तेरी तालीम।।

समझते हों स्त्री को तुम सिर्फ खिलौना।
उसकी मासूमियत को असहाय बौना।।

कैसे मसल दिया तू एक खिलती कली फूल को।
कैसे कुचल दिया तूने मानवता के सिद्धांत रूल को।।

तनिक लज्जा नहीं आई तुझे उसकी चीख पर।
पाव नहीं डगमाए तेरे उस अबला के भीख पर।।

कहते हैं लोग की जमाना गया हैं बदल।।
हैं आजाद हिंद स्वतंत्र भारत देश सफल।।

फिर कैसा हैं ये राक्षसो का कपटी शकल।
कहां करते हैं ये नियत के खोट नकल।।

कैसे पहचानें कोई किसी दुरात्मा पापी को।
मुख मे राम बगल में छूरी वाले अपराधी को।।

बिनकसूर तड़पकर दम तोड़ी होंगी।
अख़बार की सुर्खियां शर्मसार हो गई।।

मां की दुलारी पापा की प्यारी परी। 
बेरहम हैवानियत की शिकार हों गईं।।

कहते हैं डॉक्टर होता हैं भगवान का रूप।
फिर कैसे कोई लिया अपने भगवान को ही लूट।।

अरे ओ दानव पुरूष कहां गईं तेरी पुरुषार्थ।
निरर्थक साबित हैं तेरी भ्रष्ट बुद्धि पार्थ कृतार्थ।।

काश बनकर स्त्री कभी स्त्री का दुःख 
दर्द तुम भी तन मन में महसूस करते।

तो ऐसी घिनौनी दुसाहस हरकत कभी 
तुम दुष्ट प्रवृत्ति मनहूस मनुष्य न करते।।

सदियों से बहु बहन बेटियां रही हैं सीधी चुप।
अरे अब तो देखने दो उसे जुल्मी जग कुरूप।।

लेने दो उसे खुली सांसे सूरज की उर्जवान धूप।
यहीं तो हैं सृष्टि प्रकृति ब्रह्मांड सुंदरी स्वरूप।।

स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी
                भोजपुर बिहार

©Prakash Vidyarthi
#motivatational #motivatation #motivate #poeatry #kavita  White उड़ान: सपनों की ओर

चलो आगे बढ़ें, हिम्मत ना हारें,
सपनों को पंखों पर उड़ाएं।
जीवन की राहों में अड़े रहें साथ,
बिना होकर मेहनत से खुद को पाएं।

हर सुबह उठकर नई चुनौतियों को गले लगाएं,
उन्नति की ओर बढ़ने का नारा लगाएं।
चाहे रास्ते में हों जितनी भी बाधाएं,
इरादे बुलंद रखें, अपने सपनों को चाएं।

उद्यम, उमंग, और विश्वास से भरपूर,
हर कठिनाई को हम पार करें सुरूर।
सपनों की उड़ान को जीवन में बसाएं,
खुद को सबूत दें, और मंजिल तक पहुँचाएं।

जीवन के सफर में रखें उच्च मानक,
सपनों के साथ सफलता का जानकार बने।
हौंसला न हारे, आगे बढ़े हर दिन,
बस यही है मोटिवेशन, जीवन की यही वजह।

©Suvichar

भविष्य त्याच्या हाती, तो निर्माता बालकांचा म्हणूनच त्याला दिला आपण दर्जा पालकांचा आठवतो तो दिवस जेव्हा त्याला "आई" म्हटले काहीतरी होते ज्यामुळे आम्हाला सुरक्षित वाटले घरापेक्षा जास्त वेळ शाळेतच तर असायचो कधी कधी तर चक्क त्याच्या मांडीवरही बसायचो! लाडका-दोडका नाही, सगळी त्याचीच मुले होती त्यानेच गिरवायला शिकवली आम्हा पाटी समानतेची सण सारे, नवे निराळे, केले नेहमी साजरे त्याच्यामुळे सजवले आपल्या संस्कृतीचे नजारे मनोभावे आठवू त्याला, नको कशाची सक्ती हृदयी माझ्या सदा वसावी त्या गुरूचीच मूर्ती ©Anagha Ukaskar

#nojotomarathi #Teachersday #marathi #kavita  भविष्य त्याच्या हाती, तो निर्माता बालकांचा 
म्हणूनच त्याला दिला आपण दर्जा पालकांचा 
आठवतो तो दिवस जेव्हा त्याला "आई" म्हटले 
काहीतरी होते ज्यामुळे आम्हाला सुरक्षित वाटले 
घरापेक्षा जास्त वेळ शाळेतच तर असायचो 
कधी कधी तर चक्क त्याच्या मांडीवरही बसायचो!
लाडका-दोडका नाही, सगळी त्याचीच मुले होती 
त्यानेच गिरवायला शिकवली आम्हा पाटी समानतेची 
सण सारे, नवे निराळे, केले नेहमी साजरे 
त्याच्यामुळे सजवले आपल्या संस्कृतीचे नजारे 
मनोभावे आठवू त्याला, नको कशाची सक्ती 
हृदयी माझ्या सदा वसावी त्या गुरूचीच मूर्ती

©Anagha Ukaskar
#nojotomarathi #love_shayari #kavita #poem  White खरं सांगू? शाळेचे ते दिवसच छान होते,
"आज काय घालू?" असले विचार मनी नव्हते!
एकच गणवेश सर्वांना, वर्ग परिवार होता जणू 
आता लक्षात येतं, जेव्हा मागे वळून पाहते...

आठवतं खेळाचं मैदान, मैदानावरचा गोंधळ,
पकडापकडी खेळताना हातात हात होते,
चिंता नव्हती घड्याळाची, ना पाऊस पाण्याची झळ,
आता खुद्द वेळच हात धरुन मागे लागते!

शाळेचा एकही दिवस चुकवला नाही कधी, 
आता कुठे दिवसभर बाहेर पडावेसे वाटते?
मोठे झालो तसे सारे भरकटत गेलो, 
'आज' नाही, पाऊल उद्यात गुरफटत राहते!

©Anagha Ukaskar
Trending Topic