tags

New कविता ऊपर पंखा चलता है Status, Photo, Video

Find the latest Status about कविता ऊपर पंखा चलता है from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about कविता ऊपर पंखा चलता है.

  • Latest
  • Popular
  • Video

जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को नीले और सफेद के संग रंग डाला, ये कौन चित्रकार है।। कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया, वो किसका विचार है।। मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया, हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, ये किसका चमत्कार है।। जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया, ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।। नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए, हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।। चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता, खामोश रात का वो मौन पहरेदार है।। अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते, सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया, वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।। वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा, हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।। कुदरत के हर कण , हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।। ©Navneet Thakur

#कविता #ये  जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को
नीले और सफेद के संग रंग डाला, 
ये कौन चित्रकार है।।
कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया,
 वो किसका विचार है।।
मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया,
हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, 
ये किसका चमत्कार है।।
जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया,
ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।।
नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए,
हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।।
चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता,
खामोश रात का वो  मौन पहरेदार है।।
अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते,
सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया,
वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।।
वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा,
हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।।
कुदरत के हर कण ,
हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।।

©Navneet Thakur

#ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता

16 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #खानदान #शायरी

#खानदान जिस तरह ऊपर वाले की मर्जी के बगैर आसमान नहीं चलता वैसे ही बेटियों के बगैर खानदान नहीं चलता..🖊️

126 View

हमारे बिहार में ऐसी होली चलता है वीडियो

99 View

थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है  आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal

#कविता #foryoupapa  थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है 
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।


जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।










अनिल

©Anil Sapkal

#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

10 Love

White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari

#कविता  White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

7 Love

#कविता

आजादी है तो देशभक्ति कविता

126 View

जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को नीले और सफेद के संग रंग डाला, ये कौन चित्रकार है।। कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया, वो किसका विचार है।। मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया, हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, ये किसका चमत्कार है।। जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया, ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।। नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए, हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।। चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता, खामोश रात का वो मौन पहरेदार है।। अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते, सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया, वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।। वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा, हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।। कुदरत के हर कण , हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।। ©Navneet Thakur

#कविता #ये  जिसे कोई छू न पाया, उसी आकाश को
नीले और सफेद के संग रंग डाला, 
ये कौन चित्रकार है।।
कांटों को हर फूल के संग बगिया में जिसने बसाया,
 वो किसका विचार है।।
मछलियों को जिसने गहरे सागर में खेलना सिखाया,
हर लहर में जीने का नया अंदाज़ दिखाया, 
ये किसका चमत्कार है।।
जमीन को काट कर जिसने पहाड़ों को ऊंचा बनाया,
ये कैसा अद्भुत शिल्पकार है।।
नदी छल-छल कर कानों में संगीत जो सुनाए,
हर बहाव में छुपा कोई तो अनदेखा गीतकार है।।
चांद जो रात भर सबको अपनी निगरानी में रखता,
खामोश रात का वो  मौन पहरेदार है।।
अनगिनत तारे भी दिन में आने की हिम्मत नहीं कर पाते,
सूरज को अकेले जिसने आकाश में जलना सिखाया,
वो ही तो प्रकृति का महान आधार है।।
वो अदृश्य है, पर हर जगह है रचा-बसा,
हर सांस में, हर धड़कन में उसी का उपकार है।।
कुदरत के हर कण ,
हर रंग, हर रूप में बस उसी का अधिकार है।।

©Navneet Thakur

#ये कौन चित्रकार है हिंदी कविता

16 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #खानदान #शायरी

#खानदान जिस तरह ऊपर वाले की मर्जी के बगैर आसमान नहीं चलता वैसे ही बेटियों के बगैर खानदान नहीं चलता..🖊️

126 View

हमारे बिहार में ऐसी होली चलता है वीडियो

99 View

थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है  आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal

#कविता #foryoupapa  थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है 
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।


जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।










अनिल

©Anil Sapkal

#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

10 Love

White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं , सहकार सारे आंधी तूफान और धूप इंसानों के काम आता हूं। अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो कभी शमशानों में जलाया जाता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, फिर भी मेरी जरूरत समझ नहीं पता है। बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को अपना दर्द छुपा लेता हूं। इंसानों के हर जरूरत में काम आता है मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी। बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी करोगे मेरी देखभाल तो, प्रकृति में संकट नहीं आएगी l अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l ©Akriti Tiwari

#कविता  White क्या होता है एक वृक्ष का दर्द 


जब से जन्म हूं एक पैर पर खड़ा हूं ,
सहकार सारे आंधी तूफान और धूप 
इंसानों के काम आता हूं। 


अपने इच्छा से या मानव की इच्छा से उगाया जाता हूं, 
जरूरत पड़ती जब मेरी मानो को काटकर 
मेरी शाखों को कभी यज्ञ में तो 
कभी शमशानों में जलाया जाता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता हूं 


बचपन से लेकर बुढ़ापा तक मेरे साथ समय बीतता है, 
फिर भी मेरी जरूरत  समझ नहीं पता है।
बेजुबान हूं देखकर इंसानों की खुशी को
अपना दर्द छुपा लेता हूं।
इंसानों के हर जरूरत में काम आता है 


मिले समय तुम मुझ पर भी ध्यान देना, 
कमी होगी मेरी तो प्रकृति पर संकट गहराएगी।
बारिश नहीं होगी तो फैसले बर्बाद हो जाएगी 
तो तुम भूखे मर जाओगे, उससे भी नहीं तो 
तुम्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ जाएगी 
करोगे मेरी देखभाल तो, 
प्रकृति में संकट नहीं आएगी l
अंत में इंसानों के हर जरूरत में काम आऊंगा l

©Akriti Tiwari

वृक्ष के ऊपर कविता। प्रेरणादायी कविता हिंदी

7 Love

#कविता

आजादी है तो देशभक्ति कविता

126 View

Trending Topic