White शरद ऋतु का आगमन।।
गदराई धानों की बाली,
है पसरी चहुँमुख हरियाली।
गया दशहरा, आया मेला,
धूप गुनगुना, मोहक बेला।
पड़ने लगे तुहिन कण।
शरद ऋतु का आगमन।।
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं,
बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
परत सफेद गगन में बिखरे।
रवि रथ पर दक्षिणायन ।
शरद ऋतु का आगमन।।
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
तने से लताएँ लिपट रही।
धीवर चले ले जलधि में नाव,
मन मोहक अब लगता गाँव।
निखर उठे हैं तन - मन।
शरद ऋतु का आगमन।।
लहराते खेतों में किसान,
मन ही मन गा रहा है गान।
धरती सार सहज बतलाती,
धूप छांव जीवन समझाती।
नाच रहे मस्त मगन ,
शरद ऋतु का आगमन।।
©बेजुबान शायर shivkumar
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here