चाय लेंगे? नहीं,में नहीं पीता
में चाय सिर्फ दोस्तो के साथ लेता हूं
ना किसी के घर पे ना ऑफिस में नाही किसी के ऐसे ही चाय पे बुला लेने पर, क्योंकि चाय सिर्फ दोस्तों के साथ और दोस्तों के लिए।
चाय सिर्फ़ वहां,जहां सिर्फ चाय में नहीं लोगों में भी शक्कर हो ( स्वीटनेस)।
चाय सामूहिकता का बोध हैं; वैसे ही दोस्ती भी,
क्योंकि चाय आपकी ध्यानिंद्री और ज्ञानेंद्री दोनों को जागृत करती है और दोस्ती भी।
जहां चाय के कप की गिनती नहीं, हास्यास्पद वार्तालाप, मस्ती, मजाक ओर मूर्खतापूर्ण बातें सही पर एहसान, व्यवहारों, औपचारिकता कि गिनती नहीं।
जो चाय पीते पीते तुम्हे ये बतलाए कि अभी तुममें आग बाकी है बे। गर्दा उड़ाना अभी बाकी है बे। चाय तो सिर्फ उन्हीं के साथ। क्योंकि चाय का नशा नहीं दोस्ती का जरूर है।
और,
चाय पीजिएगा ? नहीं, चाय सिर्फ दोस्तो के साथ।
©Saumil Nagar
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here