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New नमाज़े जनाज़ा की नियत उर्दू में Status, Photo, Video

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ज़र,ज़मीन की हिमाक़त फ़िजूल है। तेरी ज़मीन तुझमें है,मेरी ज़मीन मुझमें है। ज़हन की नीयत है कायनात सिर्फ, तेरी क़ायनात तुझमें है,मेरी कायनात मुझमें है। मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey

#मुकेशगोगडे #क़ायनात #नियत #ज़हन  ज़र,ज़मीन की हिमाक़त फ़िजूल है।
तेरी ज़मीन तुझमें है,मेरी ज़मीन मुझमें है।
ज़हन की नीयत है कायनात सिर्फ,
तेरी क़ायनात तुझमें है,मेरी कायनात मुझमें है।
         मुकेश गोगड़े

©kavi mukesh gogdey

जीने की तैय्यारी में, कटती उम्र उधारी में, लेन-देन कारोबारी, गिनती हो संसारी में, बँटे हुए कुनबे अपने, पाण्डे,मिश्र,तिवारी में, हाथी,घोड़ा,ऊँट नहीं, पैदल पाँव सवारी में, मजदूरी की है ताकत, उड़िया,बंग,बिहारी में, जोते बिना बुआई हो, ऊरद, मूँग,खेसारी में, है मिसाल दोस्ती की, कृष्ण सुदामा यारी में, सुने पुकार द्रौपदी की, कृष्ण समाए साड़ी में, भव बाधा काटे गुंजन, रखो आस बनवारी में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #जीने  जीने की  तैय्यारी में,
कटती उम्र उधारी में, 

लेन-देन   कारोबारी,
गिनती हो संसारी में,

बँटे हुए कुनबे अपने, 
पाण्डे,मिश्र,तिवारी में,

हाथी,घोड़ा,ऊँट नहीं,
पैदल पाँव सवारी में, 

मजदूरी की है ताकत,
उड़िया,बंग,बिहारी में,

जोते बिना बुआई हो, 
ऊरद, मूँग,खेसारी में,

है मिसाल दोस्ती की,
कृष्ण सुदामा यारी में,

सुने पुकार द्रौपदी की, 
कृष्ण समाए साड़ी में,

भव बाधा काटे गुंजन, 
रखो आस बनवारी में,
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#जीने की तैय्यारी में#

11 Love

White नियत ही नियति हैं।। ©Updated Mirzapuri

#नियति #नियत #Bhakti #Shiva  White नियत ही नियति हैं।।

©Updated Mirzapuri

White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है बहार आने की सूरत निकल भी सकती है जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़ भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है ©Sagar Sheikhpura

#नियत  White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है
बहार आने की सूरत निकल भी सकती है

जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो
वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है

है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए
तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है

ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़
भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है

अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का 
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं 

कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे
सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है

©Sagar Sheikhpura

#नियत

12 Love

#शायरी

पलकों की समियाने में

189 View

उर्दू है मेरा नाम मे खुसरो की पहेली हु

90 View

ज़र,ज़मीन की हिमाक़त फ़िजूल है। तेरी ज़मीन तुझमें है,मेरी ज़मीन मुझमें है। ज़हन की नीयत है कायनात सिर्फ, तेरी क़ायनात तुझमें है,मेरी कायनात मुझमें है। मुकेश गोगड़े ©kavi mukesh gogdey

#मुकेशगोगडे #क़ायनात #नियत #ज़हन  ज़र,ज़मीन की हिमाक़त फ़िजूल है।
तेरी ज़मीन तुझमें है,मेरी ज़मीन मुझमें है।
ज़हन की नीयत है कायनात सिर्फ,
तेरी क़ायनात तुझमें है,मेरी कायनात मुझमें है।
         मुकेश गोगड़े

©kavi mukesh gogdey

जीने की तैय्यारी में, कटती उम्र उधारी में, लेन-देन कारोबारी, गिनती हो संसारी में, बँटे हुए कुनबे अपने, पाण्डे,मिश्र,तिवारी में, हाथी,घोड़ा,ऊँट नहीं, पैदल पाँव सवारी में, मजदूरी की है ताकत, उड़िया,बंग,बिहारी में, जोते बिना बुआई हो, ऊरद, मूँग,खेसारी में, है मिसाल दोस्ती की, कृष्ण सुदामा यारी में, सुने पुकार द्रौपदी की, कृष्ण समाए साड़ी में, भव बाधा काटे गुंजन, रखो आस बनवारी में, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #जीने  जीने की  तैय्यारी में,
कटती उम्र उधारी में, 

लेन-देन   कारोबारी,
गिनती हो संसारी में,

बँटे हुए कुनबे अपने, 
पाण्डे,मिश्र,तिवारी में,

हाथी,घोड़ा,ऊँट नहीं,
पैदल पाँव सवारी में, 

मजदूरी की है ताकत,
उड़िया,बंग,बिहारी में,

जोते बिना बुआई हो, 
ऊरद, मूँग,खेसारी में,

है मिसाल दोस्ती की,
कृष्ण सुदामा यारी में,

सुने पुकार द्रौपदी की, 
कृष्ण समाए साड़ी में,

भव बाधा काटे गुंजन, 
रखो आस बनवारी में,
  --शशि भूषण मिश्र 
    'गुंजन' प्रयागराज

©Shashi Bhushan Mishra

#जीने की तैय्यारी में#

11 Love

White नियत ही नियति हैं।। ©Updated Mirzapuri

#नियति #नियत #Bhakti #Shiva  White नियत ही नियति हैं।।

©Updated Mirzapuri

White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है बहार आने की सूरत निकल भी सकती है जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़ भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है ©Sagar Sheikhpura

#नियत  White ख़िज़ाँ की ज़र्द सी रंगत बदल भी सकती है
बहार आने की सूरत निकल भी सकती है

जला के शम्मा अब उठ उठ के देखना छोड़ो
वो ज़िम्मेदारी से अज़-ख़ुद पिघल भी सकती है

है शर्त सुब्ह के रस्ते से हो के शाम आए
तो रात उस को सहर में बदल भी सकती है

ज़रा सँभल के जलाना अक़ीदतों के चराग़
भड़क न जाएँ कि मसनद ये जल भी सकती है

अभी तो चाक पे जारी है रक़्स . मिट्टी का 
अभी कुम्हार की निय्यत बदल भी सकती हैं 

कोई ज़रूरी नहीं वो ही दिल को शाद करे
सागर.. ख़ुद तबीअत बहल भी सकती है

©Sagar Sheikhpura

#नियत

12 Love

#शायरी

पलकों की समियाने में

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उर्दू है मेरा नाम मे खुसरो की पहेली हु

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