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New जानवरों में सामाजिक संगठन Status, Photo, Video

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Unsplash केंद्रीय विद्यालय संगठन का सफ़र 15 दिसंबर 1963 में हुआ था गठन, सेंट्रल स्कूल के नाम से शुरू हुआ था संगठन। 20 रेजिमेंटल विद्यालय बने थे देने को शिक्षा, उनके बच्चों को जो करते हैं देश की सुरक्षा। शिक्षा मंत्रालय की और से देश को मिला वरदान था, 1965 को संगठन को मिला नया नाम था। ज्ञान की रोशनी लेकर फैलाया उजियारा, देश से विदेश तक बढ़ा संगठन हमारा। देश को 1,253 विद्यालयों की मिली हुई है सौगात, जहां ज्ञान विज्ञान से चमकता भविष्य प्रभात । विदेश में विद्यालय हैं काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में, केंद्रीय विद्यालय संगठन सर्वोपरि संगठन है ज्ञान में। चलो बात करते हैं संगठन के मिशन की, 'तत् त्वं पूषन् अपावृणु' ध्येय लेकर संगठन के विजन की। विद्यालयी शिक्षा को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचाना है, शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ाना है। राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना को विकसित करना है , छात्रों की प्रतिभा, उत्साह और रचनात्मकता को पोषित करना है। तमसो मा ज्योतिर्गमय के साथ तक्षशिला और नालंदा का इतिहास दोहराना है, भारत का स्वर्णिम गौरव केंद्रीय विद्यालय को लाना है। आओ इस 62वें स्थापना दिवस पर हम करते हैं ये प्रण, शिक्षा, ज्ञान – विज्ञान से उजला हो भारत का कण कण। ©Deepali Singh Chauhan

#कविता #Book  Unsplash  केंद्रीय विद्यालय संगठन का सफ़र 

15 दिसंबर 1963 में हुआ था गठन,
सेंट्रल स्कूल के नाम से शुरू हुआ था संगठन।
20 रेजिमेंटल विद्यालय बने थे देने को शिक्षा,
उनके बच्चों को जो करते हैं देश की सुरक्षा।
शिक्षा मंत्रालय की और से देश को मिला वरदान था,
1965 को संगठन को मिला नया नाम था।


ज्ञान की रोशनी लेकर फैलाया उजियारा,
देश से विदेश तक बढ़ा संगठन हमारा।
देश को 1,253 विद्यालयों की मिली हुई है सौगात,
जहां ज्ञान विज्ञान से चमकता  भविष्य प्रभात ।
विदेश में विद्यालय हैं काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में,
केंद्रीय विद्यालय संगठन सर्वोपरि संगठन है ज्ञान में।

चलो बात करते हैं संगठन के मिशन की,
 'तत् त्वं पूषन् अपावृणु' ध्येय लेकर संगठन के विजन की।
विद्यालयी शिक्षा को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचाना है,
शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ाना है।
राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना को विकसित करना है ,
छात्रों की प्रतिभा, उत्साह और रचनात्मकता को पोषित करना है।
तमसो मा ज्योतिर्गमय के साथ तक्षशिला और नालंदा का इतिहास दोहराना है,
भारत का स्वर्णिम गौरव केंद्रीय विद्यालय को लाना है।

  आओ इस 62वें स्थापना दिवस पर हम करते हैं ये प्रण,
शिक्षा, ज्ञान – विज्ञान से उजला हो  भारत का कण कण।

©Deepali Singh Chauhan

#Book केंद्रीय विद्यालय संगठन

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Unsplash पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब, जब काम जानवरों वालें ही करने है..! ©Himanshu Prajapati

#विचार #Book  Unsplash पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब,
जब काम जानवरों वालें ही करने है..!

©Himanshu Prajapati

#Book पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब, जब काम जानवरों वालें ही करने है..!

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पल्लव की डायरी डर भर दिया हर कौमो में सब अपनी ताकत जनसंख्या से तौले है बौना हो गया राष्ट्रवाद संसद का सत्र आरक्षण की मांगों से गूंजे है सत्ताओ की लोलुपता में सियासी लोग राष्ट्रधर्म भूले है सौ सौ शपथें संविधान की खाकर सुभाष और भगत सिंह की कुर्बानी भूले है धारा सब समाजिक तोड़ दी दंगे बलवे पत्थरवाद नस नस में जहर सम्प्रदाय और पंथवाद का भरते है संरक्ष्ण पाकर वो सियासतों का चेहरा भारत का कलंकित करते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#nojotohindipoetry #कविता #DiyaSalaai  पल्लव की डायरी
डर भर दिया हर कौमो में
सब अपनी ताकत जनसंख्या से तौले है
बौना हो गया राष्ट्रवाद
संसद का सत्र आरक्षण की मांगों से गूंजे है
सत्ताओ की लोलुपता  में
सियासी लोग राष्ट्रधर्म भूले है
सौ सौ शपथें संविधान की खाकर
सुभाष और भगत सिंह की कुर्बानी भूले है
धारा सब समाजिक तोड़ दी
दंगे बलवे पत्थरवाद नस नस में
जहर सम्प्रदाय और पंथवाद का भरते है
संरक्ष्ण पाकर वो सियासतों का
चेहरा भारत का कलंकित करते है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#DiyaSalaai धारा सब सामाजिक तोड़ दी #nojotohindipoetry

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Unsplash केंद्रीय विद्यालय संगठन का सफ़र 15 दिसंबर 1963 में हुआ था गठन, सेंट्रल स्कूल के नाम से शुरू हुआ था संगठन। 20 रेजिमेंटल विद्यालय बने थे देने को शिक्षा, उनके बच्चों को जो करते हैं देश की सुरक्षा। शिक्षा मंत्रालय की और से देश को मिला वरदान था, 1965 को संगठन को मिला नया नाम था। ज्ञान की रोशनी लेकर फैलाया उजियारा, देश से विदेश तक बढ़ा संगठन हमारा। देश को 1,253 विद्यालयों की मिली हुई है सौगात, जहां ज्ञान विज्ञान से चमकता भविष्य प्रभात । विदेश में विद्यालय हैं काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में, केंद्रीय विद्यालय संगठन सर्वोपरि संगठन है ज्ञान में। चलो बात करते हैं संगठन के मिशन की, 'तत् त्वं पूषन् अपावृणु' ध्येय लेकर संगठन के विजन की। विद्यालयी शिक्षा को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचाना है, शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ाना है। राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना को विकसित करना है , छात्रों की प्रतिभा, उत्साह और रचनात्मकता को पोषित करना है। तमसो मा ज्योतिर्गमय के साथ तक्षशिला और नालंदा का इतिहास दोहराना है, भारत का स्वर्णिम गौरव केंद्रीय विद्यालय को लाना है। आओ इस 62वें स्थापना दिवस पर हम करते हैं ये प्रण, शिक्षा, ज्ञान – विज्ञान से उजला हो भारत का कण कण। ©Deepali Singh Chauhan

#कविता #Book  Unsplash  केंद्रीय विद्यालय संगठन का सफ़र 

15 दिसंबर 1963 में हुआ था गठन,
सेंट्रल स्कूल के नाम से शुरू हुआ था संगठन।
20 रेजिमेंटल विद्यालय बने थे देने को शिक्षा,
उनके बच्चों को जो करते हैं देश की सुरक्षा।
शिक्षा मंत्रालय की और से देश को मिला वरदान था,
1965 को संगठन को मिला नया नाम था।


ज्ञान की रोशनी लेकर फैलाया उजियारा,
देश से विदेश तक बढ़ा संगठन हमारा।
देश को 1,253 विद्यालयों की मिली हुई है सौगात,
जहां ज्ञान विज्ञान से चमकता  भविष्य प्रभात ।
विदेश में विद्यालय हैं काठमांडू, मॉस्को और तेहरान में,
केंद्रीय विद्यालय संगठन सर्वोपरि संगठन है ज्ञान में।

चलो बात करते हैं संगठन के मिशन की,
 'तत् त्वं पूषन् अपावृणु' ध्येय लेकर संगठन के विजन की।
विद्यालयी शिक्षा को उत्कृष्टता के शिखर पर पहुंचाना है,
शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग और नवाचार को बढ़ाना है।
राष्ट्रीय एकता और भारतीयता की भावना को विकसित करना है ,
छात्रों की प्रतिभा, उत्साह और रचनात्मकता को पोषित करना है।
तमसो मा ज्योतिर्गमय के साथ तक्षशिला और नालंदा का इतिहास दोहराना है,
भारत का स्वर्णिम गौरव केंद्रीय विद्यालय को लाना है।

  आओ इस 62वें स्थापना दिवस पर हम करते हैं ये प्रण,
शिक्षा, ज्ञान – विज्ञान से उजला हो  भारत का कण कण।

©Deepali Singh Chauhan

#Book केंद्रीय विद्यालय संगठन

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Unsplash पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब, जब काम जानवरों वालें ही करने है..! ©Himanshu Prajapati

#विचार #Book  Unsplash पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब,
जब काम जानवरों वालें ही करने है..!

©Himanshu Prajapati

#Book पढ़-लिखकर क्या ही हुआ गालिब, जब काम जानवरों वालें ही करने है..!

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पल्लव की डायरी डर भर दिया हर कौमो में सब अपनी ताकत जनसंख्या से तौले है बौना हो गया राष्ट्रवाद संसद का सत्र आरक्षण की मांगों से गूंजे है सत्ताओ की लोलुपता में सियासी लोग राष्ट्रधर्म भूले है सौ सौ शपथें संविधान की खाकर सुभाष और भगत सिंह की कुर्बानी भूले है धारा सब समाजिक तोड़ दी दंगे बलवे पत्थरवाद नस नस में जहर सम्प्रदाय और पंथवाद का भरते है संरक्ष्ण पाकर वो सियासतों का चेहरा भारत का कलंकित करते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#nojotohindipoetry #कविता #DiyaSalaai  पल्लव की डायरी
डर भर दिया हर कौमो में
सब अपनी ताकत जनसंख्या से तौले है
बौना हो गया राष्ट्रवाद
संसद का सत्र आरक्षण की मांगों से गूंजे है
सत्ताओ की लोलुपता  में
सियासी लोग राष्ट्रधर्म भूले है
सौ सौ शपथें संविधान की खाकर
सुभाष और भगत सिंह की कुर्बानी भूले है
धारा सब समाजिक तोड़ दी
दंगे बलवे पत्थरवाद नस नस में
जहर सम्प्रदाय और पंथवाद का भरते है
संरक्ष्ण पाकर वो सियासतों का
चेहरा भारत का कलंकित करते है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#DiyaSalaai धारा सब सामाजिक तोड़ दी #nojotohindipoetry

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