White उसकी हर सदा दस्तक देती है दिल पर,
आख़िर इंसान हूॅ़ मैं भी, पत्थर थोड़ी हूॅं मैं??
फ़िर उसकी हर सदा पर उस तक पहुॅंचने को
बेचैन हो जाती हूॅं मैं ।
लेकिन फ़िर उसी के दिए हुए सवालो में
इस क़दर उलझ जाती हूॅं मैं,
कि चाह कर भी उस तक पहुॅंच नहीं पाती हूॅं मैं।
अपने ही दिल को फ़िर बेचैन और तड़पता हुआ
छोड़ देने पर मजबूर हो जाती हूॅं मैं ।
"उसने कहा है कि वो 'वो' है ही नहीं", फ़िर यही बात
दिल को समझा कर अपने दिल को तसल्ली दे देती हूॅं मैं।
और ये सब मेरे साथ इसलिए होता है क्यूॅंकि ...
वो शख़्स साफ़-साफ़ और सीधी बातें करता नहीं,
और उस से हर बार साफ़-साफ़, सीधी और
सच्ची बातों की उम्मीद लगाए रहती हूॅ़ मैं।
#bas yunhi .......
©Sh@kila Niy@z
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