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New sapna vyas patel Status, Photo, Video

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#Kabhi #Sapna  White कभी-कभी
--------------
कभी-कभी
बस यूँ ही बैठे-बैठे
मैं गुम हो जाती हूँ
एहसासों की एक अनोखी दुनियाँ में
अन्त से भयहीन-
मैं खड़ी होती हूँ; आरम्भ पर
एक अस्तब्ध नदी होती हूँ
जो ऊंचे शिखर से निकाल कर, 
विशालकाय समुद्र में मिल कर, 
अपना आकार दोगुना कर रही होती है
एक पंछी होती हूंँ
जो निर्बाध हवाओं को चीरती हुई, 
अपने परों से आसमान को खुरच रही होती है
वहाँ की अन्तहीन हरियाली तो  जैसे
ऊपर के नीले रंग को 
अपनी रंगत से फीका कर रही होती हैं
उस हरियाली के सबसे ऊँचे हिस्से पर
लगे हुए झूले में; झूलते समय
मेरे पैरों के अंगूठे बादल छू रहे होते हैं
जिसके कारण बादलों में छुपा , 
जल- कण नीचे आ कर के
हरे रंग की गहराई बढ़ा रहा होता है
उन रम्य क्षणों में मैं-
मैं अपने सारे गुनाहों से मुक्त
और दर्द से बेसुध होती हूँ
 जीवन के सारे संघर्ष लापता होते हैं
उस अनोखी दुनियाँ के शब्दकोश में, 
असम्भव शब्द ही अनुपस्थित होता है
सौंदर्य युक्त उन क्षणों से-
 मुझे इतना मोह  हो आता है कि-
इच्छा होती है ; पिघल जाऊँ
और रम जाऊॅं ;उस सागर में, 
उस हरियाली में ,उन बादलों में
और बस वही की होकर रह जाऊँ
बस यूँ ही बैठे-बैठे
कभी-कभी मैं.... 

      रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya

#Kabhi #Sapna

99 View

Bura sapna

126 View

#कॉमेडी

sapna

135 View

#Sapna  😂

#Sapna

117 View

ऐसे है गिरधर गोपाल....२ उदयाँचल मस्तक भुज विशाल चंचल नेत्र अरु अधर लाल कंठे माला वैजयंतन की विपदाएं हरे सब संतन की जैसे नदियों का जलप्रपात पड़ता है शीला पर कर अघात वैसे ही कुटिल दुर्जनों को कर्मोचित फल देते गोपाल ऐसे है गिरधर गोपाल....२ पालनहार वो सृष्टि के जन जन को पालना जानते है सूखे वृक्षों की शाखा पर सोते जीव संभालना जानते है वो जानते है सबके मन की अच्छा बुरा पहचानते है पहचान छीपाए जो फिरते कपटी कामी नर है फिरते सबका उद्धार करेंगे वो जन कारण चक्र धरेंगे वो पाप मुक्त कर इस धरती को करते है भक्तो को खुशहाल ऐसे है गिरधर गोपाल....२ ©kunal shrotriy

#कृष्णजन्माष्टमी #कविता  ऐसे है गिरधर गोपाल....२
उदयाँचल मस्तक भुज विशाल
चंचल नेत्र अरु अधर लाल
कंठे माला वैजयंतन की
विपदाएं हरे सब संतन की
जैसे नदियों का जलप्रपात
पड़ता है शीला पर कर अघात
वैसे ही कुटिल दुर्जनों को
कर्मोचित फल देते गोपाल
ऐसे है गिरधर गोपाल....२
पालनहार वो सृष्टि के
जन जन को पालना जानते है
सूखे वृक्षों की शाखा पर
सोते जीव संभालना जानते है
वो जानते है सबके मन की
अच्छा बुरा पहचानते है
पहचान छीपाए जो फिरते
कपटी कामी नर है फिरते
सबका उद्धार करेंगे वो
जन कारण चक्र धरेंगे वो
पाप मुक्त कर इस धरती को
करते है भक्तो को खुशहाल
ऐसे है गिरधर गोपाल....२

©kunal shrotriy
#Videos

vyas sankalp

90 View

#Kabhi #Sapna  White कभी-कभी
--------------
कभी-कभी
बस यूँ ही बैठे-बैठे
मैं गुम हो जाती हूँ
एहसासों की एक अनोखी दुनियाँ में
अन्त से भयहीन-
मैं खड़ी होती हूँ; आरम्भ पर
एक अस्तब्ध नदी होती हूँ
जो ऊंचे शिखर से निकाल कर, 
विशालकाय समुद्र में मिल कर, 
अपना आकार दोगुना कर रही होती है
एक पंछी होती हूंँ
जो निर्बाध हवाओं को चीरती हुई, 
अपने परों से आसमान को खुरच रही होती है
वहाँ की अन्तहीन हरियाली तो  जैसे
ऊपर के नीले रंग को 
अपनी रंगत से फीका कर रही होती हैं
उस हरियाली के सबसे ऊँचे हिस्से पर
लगे हुए झूले में; झूलते समय
मेरे पैरों के अंगूठे बादल छू रहे होते हैं
जिसके कारण बादलों में छुपा , 
जल- कण नीचे आ कर के
हरे रंग की गहराई बढ़ा रहा होता है
उन रम्य क्षणों में मैं-
मैं अपने सारे गुनाहों से मुक्त
और दर्द से बेसुध होती हूँ
 जीवन के सारे संघर्ष लापता होते हैं
उस अनोखी दुनियाँ के शब्दकोश में, 
असम्भव शब्द ही अनुपस्थित होता है
सौंदर्य युक्त उन क्षणों से-
 मुझे इतना मोह  हो आता है कि-
इच्छा होती है ; पिघल जाऊँ
और रम जाऊॅं ;उस सागर में, 
उस हरियाली में ,उन बादलों में
और बस वही की होकर रह जाऊँ
बस यूँ ही बैठे-बैठे
कभी-कभी मैं.... 

      रियंका आलोक मदेशिया

©Riyanka Alok Madeshiya

#Kabhi #Sapna

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Bura sapna

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#कॉमेडी

sapna

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#Sapna  😂

#Sapna

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ऐसे है गिरधर गोपाल....२ उदयाँचल मस्तक भुज विशाल चंचल नेत्र अरु अधर लाल कंठे माला वैजयंतन की विपदाएं हरे सब संतन की जैसे नदियों का जलप्रपात पड़ता है शीला पर कर अघात वैसे ही कुटिल दुर्जनों को कर्मोचित फल देते गोपाल ऐसे है गिरधर गोपाल....२ पालनहार वो सृष्टि के जन जन को पालना जानते है सूखे वृक्षों की शाखा पर सोते जीव संभालना जानते है वो जानते है सबके मन की अच्छा बुरा पहचानते है पहचान छीपाए जो फिरते कपटी कामी नर है फिरते सबका उद्धार करेंगे वो जन कारण चक्र धरेंगे वो पाप मुक्त कर इस धरती को करते है भक्तो को खुशहाल ऐसे है गिरधर गोपाल....२ ©kunal shrotriy

#कृष्णजन्माष्टमी #कविता  ऐसे है गिरधर गोपाल....२
उदयाँचल मस्तक भुज विशाल
चंचल नेत्र अरु अधर लाल
कंठे माला वैजयंतन की
विपदाएं हरे सब संतन की
जैसे नदियों का जलप्रपात
पड़ता है शीला पर कर अघात
वैसे ही कुटिल दुर्जनों को
कर्मोचित फल देते गोपाल
ऐसे है गिरधर गोपाल....२
पालनहार वो सृष्टि के
जन जन को पालना जानते है
सूखे वृक्षों की शाखा पर
सोते जीव संभालना जानते है
वो जानते है सबके मन की
अच्छा बुरा पहचानते है
पहचान छीपाए जो फिरते
कपटी कामी नर है फिरते
सबका उद्धार करेंगे वो
जन कारण चक्र धरेंगे वो
पाप मुक्त कर इस धरती को
करते है भक्तो को खुशहाल
ऐसे है गिरधर गोपाल....२

©kunal shrotriy
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