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"अस्तित्व" सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो और जल में शीतलता नही आती । मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है । सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है । बाहों में बल, चेहरे पर चमक उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन । नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं ! ©बेजुबान शायर shivkumar

 "अस्तित्व"

सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।

एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो 
और जल में शीतलता नही आती ।

मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है ।
सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है ।
बाहों में बल, चेहरे पर चमक
उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन ।

नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में
सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं !

©बेजुबान शायर shivkumar

" #अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक #वृक्ष को #सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न

16 Love

White {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके द्वारा पूर्व में, संचित कर्म समय आने पर, आपके प्राबर्द्ध की वर्षा की बरसात करके नाना प्रकार के फल जरूर देते हैं, सब कुछ सोच समझ कर करना चाहिए।। (यह समझने में थोड़ा परेशानी हो सकती हैं)।। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #good_night  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, 
और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई 
भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके 
द्वारा पूर्व में, संचित कर्म समय आने पर, 
आपके प्राबर्द्ध की वर्षा की बरसात करके
नाना प्रकार के फल जरूर देते हैं, सब 
कुछ सोच समझ कर करना चाहिए।।
(यह समझने में थोड़ा परेशानी हो 
सकती हैं)।। जय श्री राधेकृष्ण जी।

©N S Yadav GoldMine

#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके

13 Love

नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके, वो चले जा रहे है.. हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े अभी से ये तारे, जिस्म पिघला रहे हैं.. गले से लगा लो, या मुझको मार डालो वसवसे तन्हाइयों के, दिल दहला रहे हैं.. किया ये अहद है, फिर ना होगी मुहब्बत लाचारगी तो देखो, ख़ुद को बहला रहे हैं.. लगाते है वो मोल, उदासियों का मिरी हूँ परेशां बे-मतलब, ये दोहरा रहे हैं.. आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें रहमत ये किस ख़ुशी में, वो बरसा रहे हैं.. इक शराब ही है, ग़म-ए-फुरक़त समझती मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं.. वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की हम भी हैं इंसा, हम भी पछता रहे हैं.. तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं.. दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है.. किनारे लग गए हैं, मिरे ख़्वाब सारे देखकर मिरा हस्र, ये भी घबरा रहे है.. मेरा अज़ीब होना, ही है मेरी जरूरत छोटे मोटे ग़म तो, आने को शरमा रहे है.. ©Arshu....

 नादानगी में कैसे,   ख़ुद को बहका रहे हैं
नही  है  नही  है,     इश्क़  झुठला  रहे  है..

दिल  जलाने  में  उनको, मज़े  आ  रहे  है
जिगर  चाक  करके,  वो  चले  जा  रहे  है..

हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े
अभी  से  ये  तारे,  जिस्म  पिघला  रहे  हैं..

गले से लगा लो,   या मुझको मार डालो
वसवसे तन्हाइयों के,   दिल दहला रहे हैं..

किया ये अहद है,   फिर ना होगी मुहब्बत
लाचारगी तो देखो,   ख़ुद को बहला रहे हैं..

लगाते है वो मोल,   उदासियों का मिरी
हूँ  परेशां  बे-मतलब,  ये  दोहरा  रहे  हैं..

आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें
रहमत ये किस ख़ुशी में,  वो बरसा रहे हैं..

इक शराब ही है,  ग़म-ए-फुरक़त समझती
मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं..

वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की
हम  भी  हैं  इंसा,  हम  भी  पछता  रहे  हैं..

तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया
कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं..

दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से
बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है..

किनारे  लग  गए  हैं,    मिरे  ख़्वाब  सारे
देखकर  मिरा  हस्र,  ये  भी  घबरा  रहे  है..

मेरा अज़ीब होना,  ही  है  मेरी  जरूरत
छोटे मोटे ग़म तो,  आने को शरमा रहे है..

©Arshu....

नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके

17 Love

"अस्तित्व" सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो और जल में शीतलता नही आती । मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है । सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है । बाहों में बल, चेहरे पर चमक उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन । नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं ! ©बेजुबान शायर shivkumar

 "अस्तित्व"

सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं
घना और विशाल भी बनना पड़ता है।

एक वृक्ष को सम्मान पाने के लिए..
नदी नहीं मानी जाती है ।
नदीजब तक प्रवाह में उफ़ान न हो 
और जल में शीतलता नही आती ।

मनुष्य का सिर्फ मनुष्य होना भी काफ़ी नहीं है ।
सत्कार पाने के लिए ज़रूरी है ।
बाहों में बल, चेहरे पर चमक
उच्च कुल, श्रेष्ठ पदनही तो कम से कम पर्याप्त धन ।

नैसर्गिक मनुष्य द्वारा ही बनाए गए समाज में
सिर्फ़ एक नैसर्गिक मनुष्य होने का कोई अस्तित्व नहीं !

©बेजुबान शायर shivkumar

" #अस्तित्व " सिर्फ़ पेड़ होना ही काफ़ी नहीं घना और विशाल भी बनना पड़ता है। एक #वृक्ष को #सम्मान पाने के लिए.. नदी नहीं मानी जाती है । न

16 Love

White {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके द्वारा पूर्व में, संचित कर्म समय आने पर, आपके प्राबर्द्ध की वर्षा की बरसात करके नाना प्रकार के फल जरूर देते हैं, सब कुछ सोच समझ कर करना चाहिए।। (यह समझने में थोड़ा परेशानी हो सकती हैं)।। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #good_night  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, 
और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई 
भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके 
द्वारा पूर्व में, संचित कर्म समय आने पर, 
आपके प्राबर्द्ध की वर्षा की बरसात करके
नाना प्रकार के फल जरूर देते हैं, सब 
कुछ सोच समझ कर करना चाहिए।।
(यह समझने में थोड़ा परेशानी हो 
सकती हैं)।। जय श्री राधेकृष्ण जी।

©N S Yadav GoldMine

#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके

13 Love

नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके, वो चले जा रहे है.. हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े अभी से ये तारे, जिस्म पिघला रहे हैं.. गले से लगा लो, या मुझको मार डालो वसवसे तन्हाइयों के, दिल दहला रहे हैं.. किया ये अहद है, फिर ना होगी मुहब्बत लाचारगी तो देखो, ख़ुद को बहला रहे हैं.. लगाते है वो मोल, उदासियों का मिरी हूँ परेशां बे-मतलब, ये दोहरा रहे हैं.. आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें रहमत ये किस ख़ुशी में, वो बरसा रहे हैं.. इक शराब ही है, ग़म-ए-फुरक़त समझती मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं.. वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की हम भी हैं इंसा, हम भी पछता रहे हैं.. तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं.. दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है.. किनारे लग गए हैं, मिरे ख़्वाब सारे देखकर मिरा हस्र, ये भी घबरा रहे है.. मेरा अज़ीब होना, ही है मेरी जरूरत छोटे मोटे ग़म तो, आने को शरमा रहे है.. ©Arshu....

 नादानगी में कैसे,   ख़ुद को बहका रहे हैं
नही  है  नही  है,     इश्क़  झुठला  रहे  है..

दिल  जलाने  में  उनको, मज़े  आ  रहे  है
जिगर  चाक  करके,  वो  चले  जा  रहे  है..

हुए पाँच दिन कुल, उनको मुझसे है बिछड़े
अभी  से  ये  तारे,  जिस्म  पिघला  रहे  हैं..

गले से लगा लो,   या मुझको मार डालो
वसवसे तन्हाइयों के,   दिल दहला रहे हैं..

किया ये अहद है,   फिर ना होगी मुहब्बत
लाचारगी तो देखो,   ख़ुद को बहला रहे हैं..

लगाते है वो मोल,   उदासियों का मिरी
हूँ  परेशां  बे-मतलब,  ये  दोहरा  रहे  हैं..

आँखों से मिरी आँसू, सँभाले ही न संभलें
रहमत ये किस ख़ुशी में,  वो बरसा रहे हैं..

इक शराब ही है,  ग़म-ए-फुरक़त समझती
मरीज़-ए-इश्क़ ख़ुद को, यूँ भी समझा रहे हैं..

वाक़िफ़ हो गए है, दुश्वारियों से ज़िन्दगी की
हम  भी  हैं  इंसा,  हम  भी  पछता  रहे  हैं..

तस्वीरों को जिसकी, देखकर तू था रोया
कूचा-ए-रक़ीब में वो इश्क़ फरमा रहे हैं..

दूर महसूस ख़ुद को, करते है ख़ुद ही से
बेवज़ह नही हम, तग़ज़्ज़ुल फ़रमा रहे है..

किनारे  लग  गए  हैं,    मिरे  ख़्वाब  सारे
देखकर  मिरा  हस्र,  ये  भी  घबरा  रहे  है..

मेरा अज़ीब होना,  ही  है  मेरी  जरूरत
छोटे मोटे ग़म तो,  आने को शरमा रहे है..

©Arshu....

नादानगी में कैसे, ख़ुद को बहका रहे हैं नही है नही है, इश्क़ झुठला रहे है.. दिल जलाने में उनको, मज़े आ रहे है जिगर चाक करके

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