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New धरती उलट-पुलट Status, Photo, Video

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White राम और रावण ने हमें मिलकर समझाया, पाप- पुण्य से चाहे कितना भी बलवान हो, टकराया तो ख़ुद को मिट्टी में मिला पाया। ©Pushpa Sharma "कृtt¥"

#नोजोटोराइटर्स #नोजोटोहिंदी #पापपुण्य #विचार #बलवान #धरती  White राम और रावण ने हमें मिलकर समझाया,
पाप- पुण्य से चाहे कितना भी बलवान हो,
टकराया तो ख़ुद को मिट्टी में मिला पाया।

©Pushpa Sharma "कृtt¥"

White **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया, सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया। कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो, खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो। दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो, उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो। हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है, समझने का सफर, कभी न हो अधूरी। इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार, बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार। ©Prakhar Tiwari

#sad_quotes  White **उल्टी बातों का जादू**

जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया,  
जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा।  

चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया,  
सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया।  

कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो,  
खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो।  

दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो,  
उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो।  

हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है,  
समझने का सफर, कभी न हो अधूरी।  

इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार,  
बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार।

©Prakhar Tiwari

#sad_quotes **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में द

16 Love

White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा, नीली से धरती और अंबर है प्यारा। ©Pushpa Sharma "कृtt¥"

#नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर #International_Day_Of_Peace #अम्बरसे #नज़ारा #कोट्स  White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा,
नीली से धरती और अंबर है प्यारा।

©Pushpa Sharma "कृtt¥"
#love_shayari  White पंच तत्व से बना हुआ अद्भुत यह संसार 
निर्झरिणी पर्वत तरु उदधि धरा का प्यार
फुर्सत में बैठो थोड़ा वक़्त बिता लो यार
चलो निहारें प्यारे सुंदर धरती के उपहार

©Shiv Narayan Saxena

#love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार

153 View

गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं ©person

 गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी 
इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं 
हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं 
इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 
पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं

©person

🙏गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकस

15 Love

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

White राम और रावण ने हमें मिलकर समझाया, पाप- पुण्य से चाहे कितना भी बलवान हो, टकराया तो ख़ुद को मिट्टी में मिला पाया। ©Pushpa Sharma "कृtt¥"

#नोजोटोराइटर्स #नोजोटोहिंदी #पापपुण्य #विचार #बलवान #धरती  White राम और रावण ने हमें मिलकर समझाया,
पाप- पुण्य से चाहे कितना भी बलवान हो,
टकराया तो ख़ुद को मिट्टी में मिला पाया।

©Pushpa Sharma "कृtt¥"

White **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया, सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया। कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो, खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो। दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो, उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो। हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है, समझने का सफर, कभी न हो अधूरी। इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार, बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार। ©Prakhar Tiwari

#sad_quotes  White **उल्टी बातों का जादू**

जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया,  
जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा।  

चाँद की जगह सूरज, रात में दिन का छाया,  
सीधा रास्ता छोड़, घुमावों में पाया।  

कभी समझना है कठिन, तो उल्टा चलो,  
खुद से सवाल करो, अपने मन को हलो।  

दुनिया की रीतियों को, थोड़ी देर छोड़ो,  
उल्टी बातों में छुपा, नया सबक खोजो।  

हर उलट-पुलट में, एक नई तस्वीर है,  
समझने का सफर, कभी न हो अधूरी।  

इस उल्टी दिशा में, छुपा है ज्ञान का भंडार,  
बस दिल से सुनो, और खोलो हर दरबार।

©Prakhar Tiwari

#sad_quotes **उल्टी बातों का जादू** जब बातें उल्टी हों, समझ आए नया, जरा सोचो, क्या छिपा है इस खेल में सच्चा। चाँद की जगह सूरज, रात में द

16 Love

White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा, नीली से धरती और अंबर है प्यारा। ©Pushpa Sharma "कृtt¥"

#नोजोटोहिंदी #नोजोटोराइटर #International_Day_Of_Peace #अम्बरसे #नज़ारा #कोट्स  White चाँद से कुछ ऐसा दिखता है नज़ारा,
नीली से धरती और अंबर है प्यारा।

©Pushpa Sharma "कृtt¥"
#love_shayari  White पंच तत्व से बना हुआ अद्भुत यह संसार 
निर्झरिणी पर्वत तरु उदधि धरा का प्यार
फुर्सत में बैठो थोड़ा वक़्त बिता लो यार
चलो निहारें प्यारे सुंदर धरती के उपहार

©Shiv Narayan Saxena

#love_shayari प्यारे सुंदर धरती के उपहार

153 View

गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं ©person

 गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी 
इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं 
हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकसद छुपा होता हैं 
इस सृष्टि पृथ्वी धरती 🌎 
पर जन्म लेने वाले हर व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य और मकसद होता हैं

©person

🙏गौतम बुद्ध ने एक बात कही थी इस पृथ्वी और / धरती पर इंसान का जन्म किसी उद्देश्य हुआ हैं हर इंसान के पीछे इस धरती / पृथ्वी के संतुलन और मकस

15 Love

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

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