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White रिश्ते क्यूँ टूटते हैं इसका बस एक ही जबाब होगा शायद इस लिए की हम उस टॉपिक पर बात ही नही करना चाहते जिससे रिश्ते में दरार आई है दोस्तो अगर लगे हमारे हाथ से अपना कोई छूट रहा है तो फ्री mind होकर उस मसले को हल करे जिससे की प्रॉब्लम create हुई है आसान नही होता है बिखरे रिश्तों को समेटना मगर कोशिस की जाए वो भी दोनों तरफ से तो हो सकता है सब ठीक हो जाए रिश्ते बहुत कीमती होते है चाहे वो ofline हो या online रिश्तों को संजो कर रखे ©^=MoHiTRocK F44=^

 White रिश्ते क्यूँ टूटते हैं

इसका बस एक ही जबाब होगा 

शायद इस लिए की
हम उस टॉपिक पर बात ही नही
करना चाहते जिससे 
रिश्ते में दरार आई है
दोस्तो अगर लगे हमारे हाथ से
अपना कोई छूट रहा है
तो फ्री mind होकर उस मसले को हल
करे
 जिससे की प्रॉब्लम create हुई है
आसान नही होता है
बिखरे रिश्तों को समेटना
मगर
कोशिस की जाए वो भी दोनों तरफ से
तो
हो सकता है सब ठीक हो जाए
रिश्ते बहुत कीमती होते है
चाहे वो ofline हो
या online
रिश्तों को संजो कर रखे

©^=MoHiTRocK F44=^

#rishte #Life_experience #Motivational रिश्ते क्यूँ टूटते हैं इसका बस एक ही जबाब होगा

21 Love

दीवारों में जब तक कान थे तब तक सब सही था । वो सुनती थी। जब से दरारे हुई है ... मसला भी तब से हुआ है। ✍️ ©बाबा ब्राऊनबियर्ड

 दीवारों में जब तक कान थे 
तब तक सब सही था ।

वो सुनती थी।

जब से दरारे हुई है ...
मसला भी तब से हुआ है।

✍️

©बाबा ब्राऊनबियर्ड

खैर एक वक्त के बाद अब दरार भी पुरलुत्फ है।

19 Love

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

12 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #शायरी #दरार

लाख कोशिश कर लो एक बार रिश्ता टूट जाता है उसमें #दरार आ जाती है लाख जोड़ने की कोशिश कर लो पहले जैसा नहीं रहता वो रिश्ता..🖊️ #

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White रिश्ते क्यूँ टूटते हैं इसका बस एक ही जबाब होगा शायद इस लिए की हम उस टॉपिक पर बात ही नही करना चाहते जिससे रिश्ते में दरार आई है दोस्तो अगर लगे हमारे हाथ से अपना कोई छूट रहा है तो फ्री mind होकर उस मसले को हल करे जिससे की प्रॉब्लम create हुई है आसान नही होता है बिखरे रिश्तों को समेटना मगर कोशिस की जाए वो भी दोनों तरफ से तो हो सकता है सब ठीक हो जाए रिश्ते बहुत कीमती होते है चाहे वो ofline हो या online रिश्तों को संजो कर रखे ©^=MoHiTRocK F44=^

 White रिश्ते क्यूँ टूटते हैं

इसका बस एक ही जबाब होगा 

शायद इस लिए की
हम उस टॉपिक पर बात ही नही
करना चाहते जिससे 
रिश्ते में दरार आई है
दोस्तो अगर लगे हमारे हाथ से
अपना कोई छूट रहा है
तो फ्री mind होकर उस मसले को हल
करे
 जिससे की प्रॉब्लम create हुई है
आसान नही होता है
बिखरे रिश्तों को समेटना
मगर
कोशिस की जाए वो भी दोनों तरफ से
तो
हो सकता है सब ठीक हो जाए
रिश्ते बहुत कीमती होते है
चाहे वो ofline हो
या online
रिश्तों को संजो कर रखे

©^=MoHiTRocK F44=^

#rishte #Life_experience #Motivational रिश्ते क्यूँ टूटते हैं इसका बस एक ही जबाब होगा

21 Love

दीवारों में जब तक कान थे तब तक सब सही था । वो सुनती थी। जब से दरारे हुई है ... मसला भी तब से हुआ है। ✍️ ©बाबा ब्राऊनबियर्ड

 दीवारों में जब तक कान थे 
तब तक सब सही था ।

वो सुनती थी।

जब से दरारे हुई है ...
मसला भी तब से हुआ है।

✍️

©बाबा ब्राऊनबियर्ड

खैर एक वक्त के बाद अब दरार भी पुरलुत्फ है।

19 Love

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार । निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।। बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार । तुम जननी हो इस जग की .... कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार । चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।। मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार । तुम जननी हो इस जग की ..... छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार । बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।। बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार । तुम जननी हो इस जग की .... बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार । ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।। जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार । तुम जननी हो इस जग की .... सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार । खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।। मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार । तुम जननी हो इस जग की .... तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

12 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #शायरी #दरार

लाख कोशिश कर लो एक बार रिश्ता टूट जाता है उसमें #दरार आ जाती है लाख जोड़ने की कोशिश कर लो पहले जैसा नहीं रहता वो रिश्ता..🖊️ #

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