tags

New अंदाजा लगाओ Status, Photo, Video

Find the latest Status about अंदाजा लगाओ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about अंदाजा लगाओ.

  • Latest
  • Popular
  • Video

हाथ थामना जरूरी है. फर्क नही पड़ता कि आगे तुम चलो या मैं... साथ होना जरूरी है. फर्क नही पड़ता कि तुम मुझे सम्भालो या मैं तुम्हे.. चलो बदल दो वो कहानी जिसमे. मजबूत हाथ ही कोमल आँखों से आँसू पोंछते रहे अभी तक... दर्द बँट जाना चाहिए. फर्क नही पड़ता गले तुम मुझे लगाओ या मैं तुम्हें.. ❤️☺️ ©s गोल्डी

 हाथ थामना जरूरी है.
फर्क नही पड़ता कि आगे तुम चलो या मैं...

साथ होना जरूरी है.
फर्क नही पड़ता कि तुम मुझे सम्भालो या मैं तुम्हे..

चलो बदल दो वो कहानी जिसमे.
मजबूत हाथ ही कोमल आँखों से आँसू पोंछते रहे अभी तक...

दर्द बँट जाना चाहिए.
फर्क नही पड़ता गले तुम मुझे लगाओ या मैं तुम्हें..
❤️☺️

©s गोल्डी

हाथ थामना जरूरी है. फर्क नही पड़ता कि आगे तुम चलो या मैं... साथ होना जरूरी है. फर्क नही पड़ता कि तुम मुझे सम्भालो या मैं तुम्हे.. चलो बदल दो

15 Love

White रातों की कालीमा बढ़ती जा रही है, ज्यों मानिंद रेत के टीलों पर अंधकार,कहर बरपा रहा है। ओर वो खुले आसमान से तांके है आंके है बता हिम्मत कंहा कितनी है। ©arvind bhanwra ambala. India

 White रातों की कालीमा
बढ़ती जा रही है,
ज्यों मानिंद रेत के टीलों पर
अंधकार,कहर बरपा रहा है।
ओर वो खुले आसमान से तांके है 
आंके है बता हिम्मत कंहा कितनी है।

©arvind bhanwra ambala. India

White " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#ख़्याल #गलियों #अंदाजा #दरीचों #शायरी #नज़र  White " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे ,
तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह ,
रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का ,
इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . " 

                      --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

" इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे

15 Love

#शायरी #Sad_shayri  White जहर था पहले कभी  दिखावे को दवा बन गया
एक था अपना कभी जो फिर से सज़ा बन गया 


मेरे गांव  की  हवा  ने  ही धोखा  दिया था  मुझे
अंदाजा  था बहार  का तूफ़ान ए बला बन गया


इरफांन" तेरे ज़मीर को हिलाने की थी  शाजिशें 
आंधियों का शोर  उठा और जलजला बन  गया

©Irfan Saeed

जहर था पहले कभी दिखावे को दवा बन गया एक था अपना कभी जो फिर से सज़ा बन गया मेरे गांव की हवा ने ही धोखा दिया था मुझे अंदाजा था बहार

396 View

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

हाथ थामना जरूरी है. फर्क नही पड़ता कि आगे तुम चलो या मैं... साथ होना जरूरी है. फर्क नही पड़ता कि तुम मुझे सम्भालो या मैं तुम्हे.. चलो बदल दो वो कहानी जिसमे. मजबूत हाथ ही कोमल आँखों से आँसू पोंछते रहे अभी तक... दर्द बँट जाना चाहिए. फर्क नही पड़ता गले तुम मुझे लगाओ या मैं तुम्हें.. ❤️☺️ ©s गोल्डी

 हाथ थामना जरूरी है.
फर्क नही पड़ता कि आगे तुम चलो या मैं...

साथ होना जरूरी है.
फर्क नही पड़ता कि तुम मुझे सम्भालो या मैं तुम्हे..

चलो बदल दो वो कहानी जिसमे.
मजबूत हाथ ही कोमल आँखों से आँसू पोंछते रहे अभी तक...

दर्द बँट जाना चाहिए.
फर्क नही पड़ता गले तुम मुझे लगाओ या मैं तुम्हें..
❤️☺️

©s गोल्डी

हाथ थामना जरूरी है. फर्क नही पड़ता कि आगे तुम चलो या मैं... साथ होना जरूरी है. फर्क नही पड़ता कि तुम मुझे सम्भालो या मैं तुम्हे.. चलो बदल दो

15 Love

White रातों की कालीमा बढ़ती जा रही है, ज्यों मानिंद रेत के टीलों पर अंधकार,कहर बरपा रहा है। ओर वो खुले आसमान से तांके है आंके है बता हिम्मत कंहा कितनी है। ©arvind bhanwra ambala. India

 White रातों की कालीमा
बढ़ती जा रही है,
ज्यों मानिंद रेत के टीलों पर
अंधकार,कहर बरपा रहा है।
ओर वो खुले आसमान से तांके है 
आंके है बता हिम्मत कंहा कितनी है।

©arvind bhanwra ambala. India

White " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

#ख़्याल #गलियों #अंदाजा #दरीचों #शायरी #नज़र  White " इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे ,
तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह ,
रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का ,
इक तुम हो जो दरीचों पे नज़र नहीं आ रहे . " 

                      --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

" इक ख़्याल हम से भी हैं तुम हो जो कहीं मुकर रहे , तुम्हें अंदाजा हैं कोई इस तरह , रुख तो किया मैंने तेरे गलियों का , इक तुम हो जो दरीचों पे

15 Love

#शायरी #Sad_shayri  White जहर था पहले कभी  दिखावे को दवा बन गया
एक था अपना कभी जो फिर से सज़ा बन गया 


मेरे गांव  की  हवा  ने  ही धोखा  दिया था  मुझे
अंदाजा  था बहार  का तूफ़ान ए बला बन गया


इरफांन" तेरे ज़मीर को हिलाने की थी  शाजिशें 
आंधियों का शोर  उठा और जलजला बन  गया

©Irfan Saeed

जहर था पहले कभी दिखावे को दवा बन गया एक था अपना कभी जो फिर से सज़ा बन गया मेरे गांव की हवा ने ही धोखा दिया था मुझे अंदाजा था बहार

396 View

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

Trending Topic