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White ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :- * दावा ट्राइब्यूनल को मोटर दुर्घटना से संबंधित केसों पर एकमात्र क्षेत्राधिकार प्राप्त है। * ट्राइब्यूनल निर्णय सुनाते समय यह स्पष्ट करती है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी तथा किन लोगों के द्वारा उसका भुगतान किया जायेगा। * ट्राइब्यूनल का क्षेत्राधिकार- जहां दुर्घटना हुई हो। जहां दावेदार रहते हों। जहां बचाव पक्ष रहते हों। * ट्राइब्यूनल को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होती हैं। * ट्राइब्यूनल मुआवजे की राशि पर ब्याज भी लगा सकती है। यह ब्याज दावे की तिथि से लेकर राशि के भुगतान तक के लिए लगाया जा सकता है । * यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं है तो वह ट्रायब्यूनल के निर्णय की तिथि से 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है, * यदि अपील 90 दिन के बाद की जाती है , उसे बिलंब के संतोषजनक कारण ट्रायब्यूनल को बताने होंगे। * यदि राशि 2,000 रुपए से कम की है तो उच्च न्यायालय अपील को दाखिल नहीं करेगा। * मुआवजे की राशि के लिए ट्राइब्यूनल से एक प्रमाणपत्र लेना होता है जो जिला कलेक्टर को संबोधित करता है । इस प्रमाणपत्र में मुआवजे की राशि अंकित होती है। कलेक्टर मुआवजे की राशि को ठीक उसी तरह इकट्ठा करने का अधिकार रखता है जिस तरह वह जमीन का राजस्व वसूलता है तथा दावेदार को उसके मुआवजे का भुगतान करता है। ©Indian Kanoon In Hindi

#Quotes  White ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :- 

* दावा ट्राइब्यूनल को मोटर दुर्घटना से संबंधित केसों पर एकमात्र क्षेत्राधिकार प्राप्त है।

* ट्राइब्यूनल निर्णय सुनाते समय यह स्पष्ट करती है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी तथा किन लोगों के द्वारा उसका भुगतान किया जायेगा।

* ट्राइब्यूनल का क्षेत्राधिकार- जहां दुर्घटना हुई हो। जहां दावेदार रहते हों। जहां बचाव पक्ष रहते हों।

* ट्राइब्यूनल को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होती हैं।

* ट्राइब्यूनल मुआवजे की राशि पर ब्याज भी लगा सकती है। यह ब्याज दावे की तिथि से लेकर राशि के भुगतान तक के लिए लगाया जा सकता है ।

* यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं है तो वह ट्रायब्यूनल के निर्णय की तिथि से 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है,

* यदि अपील 90 दिन के बाद की जाती है , उसे बिलंब के संतोषजनक कारण ट्रायब्यूनल को बताने होंगे।

* यदि राशि 2,000 रुपए से कम की है तो उच्च न्यायालय अपील को दाखिल नहीं करेगा।

* मुआवजे की राशि के लिए ट्राइब्यूनल से एक प्रमाणपत्र लेना होता है जो जिला कलेक्टर को संबोधित करता है । इस प्रमाणपत्र में मुआवजे की राशि अंकित होती है। कलेक्टर मुआवजे की राशि को ठीक उसी तरह इकट्ठा करने का अधिकार रखता है जिस तरह वह जमीन का राजस्व वसूलता है तथा दावेदार को उसके मुआवजे का भुगतान करता है।

©Indian Kanoon In Hindi

ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :-

13 Love

Unsplash "खामोशी का आईना" शहर की भीड़ से, कहीं दूर, सुकून के पल तलाशता हूं, शोरगुल की आगोश में खोया हुआ, मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं। न जाने कब और कहां, मेरे खयालों का जहां मिल जाए, इस उम्मीद में, खामोशी का आईना तलाशता हूं। ©Sandeep Kothar

#मानसिकस्वास्थ्य #आत्मविश्वास #सुकूनकीतलाश #जीवनयात्रा #आत्मज्ञान #मोटिवेशनल  Unsplash "खामोशी का आईना"

शहर की भीड़ से, कहीं दूर,
सुकून के पल तलाशता हूं,
शोरगुल की आगोश में खोया हुआ,
मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं।

न जाने कब और कहां,
मेरे खयालों का जहां मिल जाए,
इस उम्मीद में,
खामोशी का आईना तलाशता हूं।

©Sandeep Kothar

प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़

19 Love

White ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :- * दावा ट्राइब्यूनल को मोटर दुर्घटना से संबंधित केसों पर एकमात्र क्षेत्राधिकार प्राप्त है। * ट्राइब्यूनल निर्णय सुनाते समय यह स्पष्ट करती है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी तथा किन लोगों के द्वारा उसका भुगतान किया जायेगा। * ट्राइब्यूनल का क्षेत्राधिकार- जहां दुर्घटना हुई हो। जहां दावेदार रहते हों। जहां बचाव पक्ष रहते हों। * ट्राइब्यूनल को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होती हैं। * ट्राइब्यूनल मुआवजे की राशि पर ब्याज भी लगा सकती है। यह ब्याज दावे की तिथि से लेकर राशि के भुगतान तक के लिए लगाया जा सकता है । * यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं है तो वह ट्रायब्यूनल के निर्णय की तिथि से 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है, * यदि अपील 90 दिन के बाद की जाती है , उसे बिलंब के संतोषजनक कारण ट्रायब्यूनल को बताने होंगे। * यदि राशि 2,000 रुपए से कम की है तो उच्च न्यायालय अपील को दाखिल नहीं करेगा। * मुआवजे की राशि के लिए ट्राइब्यूनल से एक प्रमाणपत्र लेना होता है जो जिला कलेक्टर को संबोधित करता है । इस प्रमाणपत्र में मुआवजे की राशि अंकित होती है। कलेक्टर मुआवजे की राशि को ठीक उसी तरह इकट्ठा करने का अधिकार रखता है जिस तरह वह जमीन का राजस्व वसूलता है तथा दावेदार को उसके मुआवजे का भुगतान करता है। ©Indian Kanoon In Hindi

#Quotes  White ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :- 

* दावा ट्राइब्यूनल को मोटर दुर्घटना से संबंधित केसों पर एकमात्र क्षेत्राधिकार प्राप्त है।

* ट्राइब्यूनल निर्णय सुनाते समय यह स्पष्ट करती है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी तथा किन लोगों के द्वारा उसका भुगतान किया जायेगा।

* ट्राइब्यूनल का क्षेत्राधिकार- जहां दुर्घटना हुई हो। जहां दावेदार रहते हों। जहां बचाव पक्ष रहते हों।

* ट्राइब्यूनल को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होती हैं।

* ट्राइब्यूनल मुआवजे की राशि पर ब्याज भी लगा सकती है। यह ब्याज दावे की तिथि से लेकर राशि के भुगतान तक के लिए लगाया जा सकता है ।

* यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं है तो वह ट्रायब्यूनल के निर्णय की तिथि से 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है,

* यदि अपील 90 दिन के बाद की जाती है , उसे बिलंब के संतोषजनक कारण ट्रायब्यूनल को बताने होंगे।

* यदि राशि 2,000 रुपए से कम की है तो उच्च न्यायालय अपील को दाखिल नहीं करेगा।

* मुआवजे की राशि के लिए ट्राइब्यूनल से एक प्रमाणपत्र लेना होता है जो जिला कलेक्टर को संबोधित करता है । इस प्रमाणपत्र में मुआवजे की राशि अंकित होती है। कलेक्टर मुआवजे की राशि को ठीक उसी तरह इकट्ठा करने का अधिकार रखता है जिस तरह वह जमीन का राजस्व वसूलता है तथा दावेदार को उसके मुआवजे का भुगतान करता है।

©Indian Kanoon In Hindi

ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :-

13 Love

Unsplash "खामोशी का आईना" शहर की भीड़ से, कहीं दूर, सुकून के पल तलाशता हूं, शोरगुल की आगोश में खोया हुआ, मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं। न जाने कब और कहां, मेरे खयालों का जहां मिल जाए, इस उम्मीद में, खामोशी का आईना तलाशता हूं। ©Sandeep Kothar

#मानसिकस्वास्थ्य #आत्मविश्वास #सुकूनकीतलाश #जीवनयात्रा #आत्मज्ञान #मोटिवेशनल  Unsplash "खामोशी का आईना"

शहर की भीड़ से, कहीं दूर,
सुकून के पल तलाशता हूं,
शोरगुल की आगोश में खोया हुआ,
मेरा अक्स, मेरी पहचान तलाशता हूं।

न जाने कब और कहां,
मेरे खयालों का जहां मिल जाए,
इस उम्मीद में,
खामोशी का आईना तलाशता हूं।

©Sandeep Kothar

प्रिय पाठकों, मैं आपके साथ अपने दिल की गहराई से बात करना चाहता हूं। मेरी कविता में मैंने अपनी जीवन यात्रा को व्यक्त किया है, जो शहर की भीड़

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