प्रेम (Love)
वो सादगी, वो ऐहसास,
वो मुस्कुराहटें, वो प्यास...
जो है फ़ूलों के पंखुड़ियों से भी नाजुक,
जिसे पाकर हो जाते हैं लोग अक्सर भावुक...
वो जो एक ख्वाब है,
एक वही है, जो लाजवाब है...
जिसके मोह में, हर कोई है जीता,
नहीं मिलने पर, ज़हर जैसा घूंट है पीता....
वो जो सामाँ को रंगीन बना दे,
वो जो मौसमों को भी बहला दे...
वो जिसकी चाहत में तू भी बेकरार है,
वही जो अक्सर चढ़ाता तुझपर भी ख़ुमार है...
'प्रेम' वही जो तुझमें है बसता ,
'प्रेम' वही जो मुझमें भी बसता ...
'प्रेम' वही जो निश्छल है,
'प्रेम' वही जो आँचल है...
'प्रेम' वही जो है सदाचार,
'प्रेम' वही जो है निराकार...
और अंत में -
'प्रेम' वही जो है साकार.....
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©अपनी कलम से
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