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White कई दिनों से पाली हुई अपनी. भुख के लिए मैं रोटी की तलाश हर गली मे करता रहा लेकिन सब जगह से मुझे दुतकारा गया लेकिनअब मैं रोटी मांगूगा नहीं बल्कि पूरी ताकत लगा कर छिनूँगा ...उस घरसे जहाँ से मुझे रोटी की सुगंध महसूस होंगी ©Parasram Arora

#कविता  White कई दिनों से  पाली हुई अपनी. भुख के लिए 
मैं रोटी की तलाश हर गली मे करता रहा लेकिन सब जगह से 
मुझे दुतकारा गया 

लेकिनअब मैं  रोटी मांगूगा नहीं बल्कि पूरी 
ताकत लगा कर छिनूँगा ...उस घरसे  जहाँ  से मुझे रोटी की सुगंध महसूस होंगी

©Parasram Arora

रोटी की सुगंध

13 Love

#Quotes  White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे स

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White कई दिनों से पाली हुई अपनी. भुख के लिए मैं रोटी की तलाश हर गली मे करता रहा लेकिन सब जगह से मुझे दुतकारा गया लेकिनअब मैं रोटी मांगूगा नहीं बल्कि पूरी ताकत लगा कर छिनूँगा ...उस घरसे जहाँ से मुझे रोटी की सुगंध महसूस होंगी ©Parasram Arora

#कविता  White कई दिनों से  पाली हुई अपनी. भुख के लिए 
मैं रोटी की तलाश हर गली मे करता रहा लेकिन सब जगह से 
मुझे दुतकारा गया 

लेकिनअब मैं  रोटी मांगूगा नहीं बल्कि पूरी 
ताकत लगा कर छिनूँगा ...उस घरसे  जहाँ  से मुझे रोटी की सुगंध महसूस होंगी

©Parasram Arora

रोटी की सुगंध

13 Love

#Quotes  White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने
सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा
यही विचारकर
प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌
दिन गुजरे सप्ताह गुजरे 
न विश्वास की सिंचाई
न गलतियों की निराई
न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने
फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं 
अभिलाषाएं उसे फसल की ओर
चींखने लगा जोर जोर से
निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को
मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर
क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा 
नीरस पुष्प ही पाया था उसने
काश! झांक पाता सहस्त्रों 
बार किये उन वादों की ओर 
जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने

©Nitu Singh जज़्बातदिलके

जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने‌ दिन गुजरे स

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