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Unsplash एक खामोशी जब. गहरी अता हो... जिस्म मिटे... रूह खुदा हो... ये शोरत,नाम ,मुकाम सभी... मिट्टी, मिट्टी... या फिर धुआ, धुआ हो.. होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... ज़मीन पे तेरे होने पर... आखरी नींद तेरे सोने पर. ©Anudeep

#library  Unsplash एक खामोशी जब.
गहरी अता हो... 
जिस्म मिटे... 
रूह खुदा हो... 

ये  शोरत,नाम ,मुकाम सभी... 
मिट्टी, मिट्टी...
या फिर धुआ, धुआ हो.. 

होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... 
ज़मीन पे तेरे होने पर... 
आखरी नींद तेरे सोने पर.

©Anudeep

#library poetry in hindi love poetry in hindi hindi poetry hindi poetry

18 Love

खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry love poetry in hindi

11 Love

विषय-वीर/ आल्हा छंद विधा-१६-१५ मात्रा प्रति चरण,चार चरण। दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है। छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास। नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।। ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान। अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।। काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज। स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है साज।। ©Bharat Bhushan pathak

 विषय-वीर/ आल्हा छंद
विधा-१६-१५  मात्रा प्रति चरण,चार चरण।
दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है।

छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास।

नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।।

ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान।
अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।।

काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज।

स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है  साज।।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry

17 Love

Unsplash यादें झकझोरती एक तस्वीर मिली कुछ सवाल मिले कुछ बेचैनी मिली।। ©Shubham Mishra (Raj)

 Unsplash   यादें झकझोरती एक तस्वीर मिली 
 कुछ सवाल मिले 
कुछ बेचैनी मिली।।

©Shubham Mishra (Raj)

poetry in hindi hindi poetry sad poetry

12 Love

White प्यास ही नहीं तो कतरा क्या समन्दर क्या डर ही नहीं है तो खतरा क्या मंजर क्या इश्क़ किया है और खुद को ही गंवा बैठा अब दिल तू ही बता ज़ख्म क्या खंजर क्या जीने के तमाशे में क्या क्या किये है लोग मौत ही मंजूर हुई अकबर क्या सिकन्दर क्या जिसको है ये जहां मन्दिर हर शय शिवालय उसको पूजा क्या इबादत क्या लंगर क्या बदहवाश ढूंढता फिरा इस कदर बाहर धुन लग पड़ी तेरे अन्दर है क्या अन्दर क्या ©Brijendra Dubey 'Bawra,

#bawraspoetry #nojotohindi #nojotostar #Popular  White प्यास ही नहीं तो कतरा क्या समन्दर क्या
डर ही नहीं है तो खतरा क्या मंजर क्या 

इश्क़ किया है और खुद को ही गंवा बैठा
अब दिल तू ही बता ज़ख्म क्या खंजर क्या

जीने के तमाशे में क्या क्या किये है लोग
मौत ही मंजूर हुई अकबर क्या सिकन्दर क्या

जिसको है ये जहां मन्दिर हर शय शिवालय 
उसको पूजा क्या इबादत क्या लंगर क्या

बदहवाश ढूंढता फिरा इस कदर बाहर
धुन लग पड़ी तेरे अन्दर है क्या अन्दर क्या

©Brijendra Dubey 'Bawra,

hindi poetry hindi poetry on life love poetry in hindi poetry poetry in hindi

180 View

Unsplash एक खामोशी जब. गहरी अता हो... जिस्म मिटे... रूह खुदा हो... ये शोरत,नाम ,मुकाम सभी... मिट्टी, मिट्टी... या फिर धुआ, धुआ हो.. होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... ज़मीन पे तेरे होने पर... आखरी नींद तेरे सोने पर. ©Anudeep

#library  Unsplash एक खामोशी जब.
गहरी अता हो... 
जिस्म मिटे... 
रूह खुदा हो... 

ये  शोरत,नाम ,मुकाम सभी... 
मिट्टी, मिट्टी...
या फिर धुआ, धुआ हो.. 

होगा हजुम आख़िरी वक़्त ख़ूब... 
ज़मीन पे तेरे होने पर... 
आखरी नींद तेरे सोने पर.

©Anudeep

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18 Love

खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

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11 Love

विषय-वीर/ आल्हा छंद विधा-१६-१५ मात्रा प्रति चरण,चार चरण। दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है। छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास। नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।। ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान। अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।। काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज। स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है साज।। ©Bharat Bhushan pathak

 विषय-वीर/ आल्हा छंद
विधा-१६-१५  मात्रा प्रति चरण,चार चरण।
दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है।

छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास।

नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।।

ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान।
अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।।

काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज।

स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है  साज।।

©Bharat Bhushan pathak

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17 Love

Unsplash यादें झकझोरती एक तस्वीर मिली कुछ सवाल मिले कुछ बेचैनी मिली।। ©Shubham Mishra (Raj)

 Unsplash   यादें झकझोरती एक तस्वीर मिली 
 कुछ सवाल मिले 
कुछ बेचैनी मिली।।

©Shubham Mishra (Raj)

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12 Love

White प्यास ही नहीं तो कतरा क्या समन्दर क्या डर ही नहीं है तो खतरा क्या मंजर क्या इश्क़ किया है और खुद को ही गंवा बैठा अब दिल तू ही बता ज़ख्म क्या खंजर क्या जीने के तमाशे में क्या क्या किये है लोग मौत ही मंजूर हुई अकबर क्या सिकन्दर क्या जिसको है ये जहां मन्दिर हर शय शिवालय उसको पूजा क्या इबादत क्या लंगर क्या बदहवाश ढूंढता फिरा इस कदर बाहर धुन लग पड़ी तेरे अन्दर है क्या अन्दर क्या ©Brijendra Dubey 'Bawra,

#bawraspoetry #nojotohindi #nojotostar #Popular  White प्यास ही नहीं तो कतरा क्या समन्दर क्या
डर ही नहीं है तो खतरा क्या मंजर क्या 

इश्क़ किया है और खुद को ही गंवा बैठा
अब दिल तू ही बता ज़ख्म क्या खंजर क्या

जीने के तमाशे में क्या क्या किये है लोग
मौत ही मंजूर हुई अकबर क्या सिकन्दर क्या

जिसको है ये जहां मन्दिर हर शय शिवालय 
उसको पूजा क्या इबादत क्या लंगर क्या

बदहवाश ढूंढता फिरा इस कदर बाहर
धुन लग पड़ी तेरे अन्दर है क्या अन्दर क्या

©Brijendra Dubey 'Bawra,

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