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New 'mahabharat छवि' Status, Photo, Video

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Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} वाणी से व पानी मे दोनों में ही छवि नजर आती है, पानी स्वच्छ हो तो छवि नजर आती है, वाणी मधुरता व ज्ञान से भरी हो तो चरित्र नजर आता है। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #leafbook  Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
वाणी से व पानी मे दोनों में ही
छवि नजर आती है, पानी स्वच्छ 
हो तो छवि नजर आती है, वाणी 
मधुरता व ज्ञान से भरी हो तो
चरित्र नजर आता है।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} वाणी से व पानी मे दोनों में ही छवि नजर आती है, पानी स्वच्छ हो तो छवि नजर आती है, वाणी मधुरता व ज्ञान से

13 Love

#YadaYadaHiDharmasya #danceperformance #sunitapathania #synchronise #Mahabharat

भोली-सी है सूरत😍जिनकी मृदुल मुस्कान🥰नटखट है बड़ी , नन्हें कृष्णा की ऐसी मनमोहक💗छवि, जो लगे प्यारी मासूम❤शरारतों से भरी । 🙏🏻❤🌹जय श्री कृष्णा🌹❤🙏🏻 ©Sonal Panwar

#कविता #littlekrishna #krishnabhakti #krishna_love #merekrishna  भोली-सी है सूरत😍जिनकी 
मृदुल मुस्कान🥰नटखट है बड़ी , 
नन्हें कृष्णा की ऐसी मनमोहक💗छवि, 
जो लगे प्यारी मासूम❤शरारतों से भरी ।
 
🙏🏻❤🌹जय श्री कृष्णा🌹❤🙏🏻

©Sonal Panwar

नन्हें कृष्णा की मनमोहक छवि 💗🥰✨ #Krishna #merekrishna #krishna_love #krishnabhakti #Poetry #littlekrishna #Bhakti #Nojoto

15 Love

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha

#aeastheticthoughtes #संशय #Mahabharat #Krishna  कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha

Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} वाणी से व पानी मे दोनों में ही छवि नजर आती है, पानी स्वच्छ हो तो छवि नजर आती है, वाणी मधुरता व ज्ञान से भरी हो तो चरित्र नजर आता है। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #leafbook  Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
वाणी से व पानी मे दोनों में ही
छवि नजर आती है, पानी स्वच्छ 
हो तो छवि नजर आती है, वाणी 
मधुरता व ज्ञान से भरी हो तो
चरित्र नजर आता है।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} वाणी से व पानी मे दोनों में ही छवि नजर आती है, पानी स्वच्छ हो तो छवि नजर आती है, वाणी मधुरता व ज्ञान से

13 Love

#YadaYadaHiDharmasya #danceperformance #sunitapathania #synchronise #Mahabharat

भोली-सी है सूरत😍जिनकी मृदुल मुस्कान🥰नटखट है बड़ी , नन्हें कृष्णा की ऐसी मनमोहक💗छवि, जो लगे प्यारी मासूम❤शरारतों से भरी । 🙏🏻❤🌹जय श्री कृष्णा🌹❤🙏🏻 ©Sonal Panwar

#कविता #littlekrishna #krishnabhakti #krishna_love #merekrishna  भोली-सी है सूरत😍जिनकी 
मृदुल मुस्कान🥰नटखट है बड़ी , 
नन्हें कृष्णा की ऐसी मनमोहक💗छवि, 
जो लगे प्यारी मासूम❤शरारतों से भरी ।
 
🙏🏻❤🌹जय श्री कृष्णा🌹❤🙏🏻

©Sonal Panwar

नन्हें कृष्णा की मनमोहक छवि 💗🥰✨ #Krishna #merekrishna #krishna_love #krishnabhakti #Poetry #littlekrishna #Bhakti #Nojoto

15 Love

कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha

#aeastheticthoughtes #संशय #Mahabharat #Krishna  कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था,
दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था।
धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन,
सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन।

व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया,
भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया।
मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ,
किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ?

पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना,
पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना?
जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए,
आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए।

"हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई,
जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई।
क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा,
जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?"

अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल,
धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल।
कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से,
"जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है।

हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो,
धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो।
यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है,
तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है।

©Avinash Jha
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