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New स्वप्न में सांप देखना Status, Photo, Video

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Unsplash आख़री बार देखना है उसे.. फिर लगातार देखना है उसे.. वो दवाएं बहुत बताता है.. होके बीमाऱ देखना है उसे.. 🙏🙏🙏 ©F M POETRY

#फिर  Unsplash आख़री बार देखना है उसे..
फिर लगातार देखना है उसे..

वो दवाएं बहुत बताता है..
होके बीमाऱ देखना है उसे..


🙏🙏🙏

©F M POETRY

#फिर लगातार देखना है उसे...

19 Love

#Videos

इतना बड़ा अजगर सांप रूम से निकला

108 View

White मैने गढ़ लिया है जीवन का नया स्वप्न तुम्हारे या संसार की कल्पना से बिल्कुल अलग सच भी करूंगी उसे एक दिन तुम्हारे कथ्य को सत्य या असत्य करने के लिए नहीं न ही बदलने के लिए समाज के नजरिए को बल्कि जीवंत रखने के लिए अंतर की कविता को निखारने के लिए प्राणों के दर्पण को एक दिन कमांऊंगी मैं बहुत सारे पैसे संहेजूंगी क ई सारी सुंदर डायरियां बहुत सी किताबें बनाऊंगी एक ऐसा घर जिसमें होंगे मेरे सारे दोस्त! और उनमें रहेंगे शामिल मेरे पसंदीदा सारे पौधे सारे वृक्ष! सभी क्यारियों में लहराऊंगी मै ही जल की स्वछंद धारा में हर बार वसंत में मैं खिलूंगी सुंदर गुलमोहर के फूलों की तरह और वसंत के अंतिम दिनों में रखूंगी सेमल के फूलों की तरह धैर्य मुस्कुराऊंगी अपनी वीरानी के क्षणों में भी या फिर रहूंगी भिन्डी के अद्भुत फूलों के रूप में फलित करूँगी जीवन का सुंदर उदाहरण ........ ...... ©*#_@_#*

#स्वप्न #कविता #_  White 
मैने गढ़ लिया है जीवन का नया स्वप्न 
तुम्हारे या संसार की कल्पना से 
बिल्कुल अलग 
सच भी करूंगी उसे एक दिन 
तुम्हारे कथ्य को सत्य या असत्य करने के लिए नहीं 
न ही बदलने के लिए समाज के नजरिए को 
बल्कि जीवंत रखने के लिए 
अंतर की कविता को 
निखारने के लिए प्राणों के दर्पण को
एक दिन कमांऊंगी मैं बहुत सारे पैसे 
संहेजूंगी क ई सारी सुंदर डायरियां 
बहुत सी किताबें 
बनाऊंगी एक ऐसा घर
 जिसमें होंगे मेरे सारे दोस्त! 
और उनमें रहेंगे शामिल 
मेरे पसंदीदा सारे पौधे 
सारे वृक्ष! 
सभी क्यारियों में लहराऊंगी मै ही 
जल की स्वछंद धारा में 
हर बार वसंत में मैं खिलूंगी
 सुंदर गुलमोहर के फूलों की तरह
और वसंत के अंतिम दिनों में 
 रखूंगी सेमल के फूलों की तरह धैर्य 
मुस्कुराऊंगी अपनी वीरानी के क्षणों में भी 
या फिर रहूंगी भिन्डी के अद्भुत फूलों 
के रूप में 
फलित करूँगी जीवन का 
सुंदर उदाहरण














........ 








......

©*#_@_#*

आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन #कविता  आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

11 Love

#वीडियो #Trending #viral

सांप का बच्चा #Love #Life #viral #Trending

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Unsplash आख़री बार देखना है उसे.. फिर लगातार देखना है उसे.. वो दवाएं बहुत बताता है.. होके बीमाऱ देखना है उसे.. 🙏🙏🙏 ©F M POETRY

#फिर  Unsplash आख़री बार देखना है उसे..
फिर लगातार देखना है उसे..

वो दवाएं बहुत बताता है..
होके बीमाऱ देखना है उसे..


🙏🙏🙏

©F M POETRY

#फिर लगातार देखना है उसे...

19 Love

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इतना बड़ा अजगर सांप रूम से निकला

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White मैने गढ़ लिया है जीवन का नया स्वप्न तुम्हारे या संसार की कल्पना से बिल्कुल अलग सच भी करूंगी उसे एक दिन तुम्हारे कथ्य को सत्य या असत्य करने के लिए नहीं न ही बदलने के लिए समाज के नजरिए को बल्कि जीवंत रखने के लिए अंतर की कविता को निखारने के लिए प्राणों के दर्पण को एक दिन कमांऊंगी मैं बहुत सारे पैसे संहेजूंगी क ई सारी सुंदर डायरियां बहुत सी किताबें बनाऊंगी एक ऐसा घर जिसमें होंगे मेरे सारे दोस्त! और उनमें रहेंगे शामिल मेरे पसंदीदा सारे पौधे सारे वृक्ष! सभी क्यारियों में लहराऊंगी मै ही जल की स्वछंद धारा में हर बार वसंत में मैं खिलूंगी सुंदर गुलमोहर के फूलों की तरह और वसंत के अंतिम दिनों में रखूंगी सेमल के फूलों की तरह धैर्य मुस्कुराऊंगी अपनी वीरानी के क्षणों में भी या फिर रहूंगी भिन्डी के अद्भुत फूलों के रूप में फलित करूँगी जीवन का सुंदर उदाहरण ........ ...... ©*#_@_#*

#स्वप्न #कविता #_  White 
मैने गढ़ लिया है जीवन का नया स्वप्न 
तुम्हारे या संसार की कल्पना से 
बिल्कुल अलग 
सच भी करूंगी उसे एक दिन 
तुम्हारे कथ्य को सत्य या असत्य करने के लिए नहीं 
न ही बदलने के लिए समाज के नजरिए को 
बल्कि जीवंत रखने के लिए 
अंतर की कविता को 
निखारने के लिए प्राणों के दर्पण को
एक दिन कमांऊंगी मैं बहुत सारे पैसे 
संहेजूंगी क ई सारी सुंदर डायरियां 
बहुत सी किताबें 
बनाऊंगी एक ऐसा घर
 जिसमें होंगे मेरे सारे दोस्त! 
और उनमें रहेंगे शामिल 
मेरे पसंदीदा सारे पौधे 
सारे वृक्ष! 
सभी क्यारियों में लहराऊंगी मै ही 
जल की स्वछंद धारा में 
हर बार वसंत में मैं खिलूंगी
 सुंदर गुलमोहर के फूलों की तरह
और वसंत के अंतिम दिनों में 
 रखूंगी सेमल के फूलों की तरह धैर्य 
मुस्कुराऊंगी अपनी वीरानी के क्षणों में भी 
या फिर रहूंगी भिन्डी के अद्भुत फूलों 
के रूप में 
फलित करूँगी जीवन का 
सुंदर उदाहरण














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©*#_@_#*

आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा, झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा, बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा, जादू-टोना, ओझा मंतर, पूजा-पाठ सभी कर डाले, मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा, धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है, बड़ी-बड़ी मीनारों से भी करके सीना चाक के देखा, कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा, चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन #कविता  आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

11 Love

#वीडियो #Trending #viral

सांप का बच्चा #Love #Life #viral #Trending

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