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प्रेम के पहले अक्षर की तरह
हमारा पहला प्रेम भी अधूरा रह जाएगा।
हमारी अधूरी कविता की तरह
वो कभी मुकम्मल न हो पाएगा।
हमारा प्रेम बिल्कुल अमावस की चाँद की तरह
ये जानते हुए भी
कि फिर एक दिन उसे खो जाना है आकाश में।
अमावस की चाँद बस दिखना बंद करता है।
अपना अस्तित्व नहीं खोता।
हम पूरी तरह से आश्वस्त होते हैं,
उसके मौजूद होने को लेकर
और एक बार फिर आकाश में
खिलने की प्रतीक्षा करते हैं
धीरे-धीरे ही सही...
और हम प्रतीक्षा करते रहते हैं,
उस चाँद के पूरे होने का।
वैसे ही हम भी प्रतीक्षा करेंगे
अपने प्रेम के पूरे हो जाने का।
अधूरा शब्द उतना ही ख़ूबसूरत होता है
जितना की अधूरा चाँद।
vini
©आगाज़
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