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मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh ©bina singh

#कविता #devdas  मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती 
अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती
अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती 
मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती
मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh

©bina singh

#devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश

15 Love

White दुनिया गोल है बहुत दूर है छोर इसके। पल मे नाप दे सिर पर मां बाप का हाथ है जिसके। ©arvind bhanwra ambala. India

#ଚିନ୍ତାଧାରା  White दुनिया गोल है 
बहुत दूर है छोर इसके।
पल मे नाप दे
सिर पर मां बाप का हाथ है जिसके।

©arvind bhanwra ambala. India

मां बाप

15 Love

 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

171 View

हळूहळू आता कळतंय बाप सणासुदीला कुठं जायचा.. ? थकून भागून आल्यावर सुद्धा माझ्याकड हसून पाहायचा... हळूहळू आता कळतय बाप शिळ्या भाकरीला का खायचा..? भूक असली तरी त्याला न जेवता ढेकर यायचा .. हळूहळू आता कळतंय बाप फाटक्या सदऱ्यात का दिसायचा..? माझ्या शाळेची खाकी बघूनच तो सहज खुश व्हायचा... हळूहळू आता कळतंय बाप दवाखाण्यात का नाही जायचा..? जबाबदारीच्या ओझ्याणं बाप माझा बरा व्हायचा.. बाप माझा बरा व्हायचा.. ©गोरक्ष अशोक उंबरकर

#मराठीकविता  हळूहळू आता कळतंय 
बाप सणासुदीला कुठं जायचा.. ?
थकून भागून आल्यावर सुद्धा
 माझ्याकड हसून पाहायचा...

हळूहळू आता कळतय
बाप शिळ्या भाकरीला का खायचा..?
भूक असली तरी त्याला
न जेवता ढेकर यायचा ..

हळूहळू आता कळतंय
बाप फाटक्या सदऱ्यात का दिसायचा..?
माझ्या शाळेची खाकी बघूनच
तो सहज खुश व्हायचा...

हळूहळू आता कळतंय
बाप दवाखाण्यात का नाही जायचा..?
जबाबदारीच्या ओझ्याणं
बाप माझा बरा व्हायचा..

बाप माझा बरा व्हायचा..

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

बाप

15 Love

#मां❤️ #BadhtiZindagi #बाप  मिल जाते हैं दुनिया में हजारों लोग 
मगर मां बाप दुबारा नहीं मिलते...!

           💔🥀❤️‍🩹

©Golu kumar Golu

White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

#कविता #moon_day  White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

#moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

16 Love

मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh ©bina singh

#कविता #devdas  मोहब्बत में रुसवाई नहीं होती 
अगर जो हो जाये मोहब्बत बेवफाई नहीं होती
अकेले हो तुम पर तन्हाई नहीं होती 
मोहब्बत में बीमार जैसी कोई बीमारी नहीं होती
मोहब्बत में मर्ज़ की कहि कोई सुनवाई नहीं होती... by bina singh

©bina singh

#devdas कविता ,कविता , प्रेम कविता कविता कोश

15 Love

White दुनिया गोल है बहुत दूर है छोर इसके। पल मे नाप दे सिर पर मां बाप का हाथ है जिसके। ©arvind bhanwra ambala. India

#ଚିନ୍ତାଧାରା  White दुनिया गोल है 
बहुत दूर है छोर इसके।
पल मे नाप दे
सिर पर मां बाप का हाथ है जिसके।

©arvind bhanwra ambala. India

मां बाप

15 Love

 White हर इम्तेहान में रहे वो अव्वल
जिंदगी का रुख देख टूटा मनोबल
किताबी बातें काम न आईं 
फलसफा नहीं है ये जिंदगी असल
यहां ईमानदारी की नही कीमत कोई
सच्चाई एक अकेले कोने में रोई 
यहां किताबों का न होता अमल
यहां कर्मों का उल्टा मिलता फल ।।

©NC

#Sad_shayri #कविता हिंदी कविता कविता हिंदी कविता

171 View

हळूहळू आता कळतंय बाप सणासुदीला कुठं जायचा.. ? थकून भागून आल्यावर सुद्धा माझ्याकड हसून पाहायचा... हळूहळू आता कळतय बाप शिळ्या भाकरीला का खायचा..? भूक असली तरी त्याला न जेवता ढेकर यायचा .. हळूहळू आता कळतंय बाप फाटक्या सदऱ्यात का दिसायचा..? माझ्या शाळेची खाकी बघूनच तो सहज खुश व्हायचा... हळूहळू आता कळतंय बाप दवाखाण्यात का नाही जायचा..? जबाबदारीच्या ओझ्याणं बाप माझा बरा व्हायचा.. बाप माझा बरा व्हायचा.. ©गोरक्ष अशोक उंबरकर

#मराठीकविता  हळूहळू आता कळतंय 
बाप सणासुदीला कुठं जायचा.. ?
थकून भागून आल्यावर सुद्धा
 माझ्याकड हसून पाहायचा...

हळूहळू आता कळतय
बाप शिळ्या भाकरीला का खायचा..?
भूक असली तरी त्याला
न जेवता ढेकर यायचा ..

हळूहळू आता कळतंय
बाप फाटक्या सदऱ्यात का दिसायचा..?
माझ्या शाळेची खाकी बघूनच
तो सहज खुश व्हायचा...

हळूहळू आता कळतंय
बाप दवाखाण्यात का नाही जायचा..?
जबाबदारीच्या ओझ्याणं
बाप माझा बरा व्हायचा..

बाप माझा बरा व्हायचा..

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

बाप

15 Love

#मां❤️ #BadhtiZindagi #बाप  मिल जाते हैं दुनिया में हजारों लोग 
मगर मां बाप दुबारा नहीं मिलते...!

           💔🥀❤️‍🩹

©Golu kumar Golu

White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद, हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।" मैं सोचता हूँ, नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है, हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है, ये धरती, ग्रह, नक्षत्र, सबके-सब घूमते क्यों हैं? चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है, और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है? क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद के लिए किसी की तलाश में है? ©Vikram Kumar Anujaya

#कविता #moon_day  White किसी से दो पल का आत्मीय संवाद,
हृदय के बोझ को कितना कम कर देता है।"
मैं सोचता हूँ, 
नदियाँ समंदर की ओर क्यों भागती है,
हवाएँ क्यों बेचैन और गतिमान है,
ये धरती, ग्रह, नक्षत्र,
सबके-सब घूमते क्यों हैं?
चंद्रमा अनंत काल से यात्रा पर क्यों है,
और ये समंदर उद्वेलित और दग्ध क्यों रहता है?
क्या ये भी हमारी तरह आत्मीय संवाद
के लिए किसी की तलाश में है?

©Vikram Kumar Anujaya

#moon_day कविता कोश हिंदी कविता कविता प्रेम कविता हिंदी कविता

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