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New सिगल पक्षी माहिती Status, Photo, Video

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White अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते .. तारे क्या बोलते ...सितारे क्या बोलते सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता बादल कुछ कहता ..तो ..क्या आसमान सुनता अगर सब बोल सकते ...तो क्या क्या बोलते .. पेड़ क्या बोलते .... पक्षी क्या बोलते फूल क्या कहता..कपड़ा क्या सुनता मुड्डा क्या होता ... विचार क्या बोलते हैं ye nojoto aap हर वक्त गुस्से में क्यों रहता अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते .. ©neelu

#सितारे #मुड्डा #विचार #आसमान #क्या #बादल  White अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते ..
तारे क्या बोलते ...सितारे क्या बोलते 
सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता
बादल कुछ कहता ..तो ..क्या आसमान सुनता 
अगर सब बोल सकते ...तो क्या क्या बोलते ..
पेड़ क्या बोलते .... पक्षी क्या बोलते 
फूल क्या कहता..कपड़ा क्या सुनता
मुड्डा क्या होता ... विचार क्या बोलते हैं
 ye  nojoto aap हर वक्त गुस्से में क्यों रहता
अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते ..

©neelu

#Sad_Status अगर #सब #बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते .. तारे क्या बोलते ...#सितारे क्या बोलते सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता #बादल कुछ

28 Love

#वीडियो

"छोटी गिलहरी की दयालुता: जंगल में चमत्कारी दोस्ती और नीली चिड़िया की मदद: Uplifting and Magical Journey" - एक छोटे से घने जंगल में, एक प्यार

108 View

#मोटिवेशनल  Rashtriy pachi

©k Kushwaha

राष्ट्रीय पक्षी

99 View

#Quotes

पक्षी

117 View

#मराठीकविता #पक्षी  White तुझ्या अवती भवती 
माझ्या मनाचा ग पक्षी .
कसे सांगू कीती सांगू 
दिन रात त्याला साक्षी .❤

©Vrishali G

White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति #कविता  White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

13 Love

White अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते .. तारे क्या बोलते ...सितारे क्या बोलते सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता बादल कुछ कहता ..तो ..क्या आसमान सुनता अगर सब बोल सकते ...तो क्या क्या बोलते .. पेड़ क्या बोलते .... पक्षी क्या बोलते फूल क्या कहता..कपड़ा क्या सुनता मुड्डा क्या होता ... विचार क्या बोलते हैं ye nojoto aap हर वक्त गुस्से में क्यों रहता अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते .. ©neelu

#सितारे #मुड्डा #विचार #आसमान #क्या #बादल  White अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते ..
तारे क्या बोलते ...सितारे क्या बोलते 
सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता
बादल कुछ कहता ..तो ..क्या आसमान सुनता 
अगर सब बोल सकते ...तो क्या क्या बोलते ..
पेड़ क्या बोलते .... पक्षी क्या बोलते 
फूल क्या कहता..कपड़ा क्या सुनता
मुड्डा क्या होता ... विचार क्या बोलते हैं
 ye  nojoto aap हर वक्त गुस्से में क्यों रहता
अगर सब बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते ..

©neelu

#Sad_Status अगर #सब #बोल सकते .. तो क्या क्या बोलते .. तारे क्या बोलते ...#सितारे क्या बोलते सूरज क्या बोलता .....चांद क्या बोलता #बादल कुछ

28 Love

#वीडियो

"छोटी गिलहरी की दयालुता: जंगल में चमत्कारी दोस्ती और नीली चिड़िया की मदद: Uplifting and Magical Journey" - एक छोटे से घने जंगल में, एक प्यार

108 View

#मोटिवेशनल  Rashtriy pachi

©k Kushwaha

राष्ट्रीय पक्षी

99 View

#Quotes

पक्षी

117 View

#मराठीकविता #पक्षी  White तुझ्या अवती भवती 
माझ्या मनाचा ग पक्षी .
कसे सांगू कीती सांगू 
दिन रात त्याला साक्षी .❤

©Vrishali G

White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति #कविता  White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

13 Love

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