White दुश्मनों को भगाना हीं होगा
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समझती नहीं है बात को,
जगाने चली आती है आधी रात को।
अंधेरा को तुमने क्यों भगाया,
जुगनू को हमने बहुत समझाया।
जुगनू ने कहा तुम नादान हो,
आने वाले तुफान से तुम अंजान हो।
मिट जाओगे,कट जाओगे,
तुम भगवान नहीं इंसान हो।।
फिर मालाकार ने कहा,
समझती नहीं है जरा भी बात को,
भूलता नहीं है कोई अपने जात को।
बिगाड़ रहा है हिन्दू , खुद अपने हालात को।।
समझती नहीं है बात को।।
भाईचारा निभा रहा है,
इसलिए चारा बना रहा है।
जुगनू ने कहा सोए को जगाना हीं होगा,
दुश्मनों को भगाना हीं होगा।
इसलिए तो मैं आता हूं आधि रात को,
तुम हिन्दू समझते नहीं , क्यूं मेरे बात को।।
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प्रमोद मालाकार की कलम से
©pramod malakar
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