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White किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर कि अपने शहर का हुस्नो जमाल थे हम भी ज़मीं की गोद में सर रख के सो गए आख़िर तुम्हारे इश्क़ में कितने निढाल थे हम भी ज़रूरतों ने हमारा ज़मीर चाट लिया वगरना क़ायल ए रिज़्क़ ए हलाल थे हम भी हम अक्स अक्स बिखरते रहे इसी धुन में कि ज़िंदगी में कभी लाजवाल थे हम भी ~ परवीन शाकिर ©Jitender Kumar

#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #sad_shayari #top_newser  White किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी
गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी

हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर
कि अपने शहर का हुस्नो जमाल थे हम भी

ज़मीं की गोद में सर रख के सो गए आख़िर
तुम्हारे इश्क़ में कितने निढाल थे हम भी

ज़रूरतों ने हमारा ज़मीर चाट लिया
वगरना क़ायल ए रिज़्क़ ए हलाल थे हम भी

हम अक्स अक्स बिखरते रहे इसी धुन में
कि ज़िंदगी में कभी लाजवाल थे हम भी

 ~ परवीन शाकिर

©Jitender Kumar

#sad_shayari किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर कि अपने शहर का

11 Love

#शायरी #Sad_shayri  White जहर था पहले कभी  दिखावे को दवा बन गया
एक था अपना कभी जो फिर से सज़ा बन गया 


मेरे गांव  की  हवा  ने  ही धोखा  दिया था  मुझे
अंदाजा  था बहार  का तूफ़ान ए बला बन गया


इरफांन" तेरे ज़मीर को हिलाने की थी  शाजिशें 
आंधियों का शोर  उठा और जलजला बन  गया

©Irfan Saeed

जहर था पहले कभी दिखावे को दवा बन गया एक था अपना कभी जो फिर से सज़ा बन गया मेरे गांव की हवा ने ही धोखा दिया था मुझे अंदाजा था बहार

396 View

White किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर कि अपने शहर का हुस्नो जमाल थे हम भी ज़मीं की गोद में सर रख के सो गए आख़िर तुम्हारे इश्क़ में कितने निढाल थे हम भी ज़रूरतों ने हमारा ज़मीर चाट लिया वगरना क़ायल ए रिज़्क़ ए हलाल थे हम भी हम अक्स अक्स बिखरते रहे इसी धुन में कि ज़िंदगी में कभी लाजवाल थे हम भी ~ परवीन शाकिर ©Jitender Kumar

#shayari_challenge #urdupoetrylines #shayrioftheday #sad_shayari #top_newser  White किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी
गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी

हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर
कि अपने शहर का हुस्नो जमाल थे हम भी

ज़मीं की गोद में सर रख के सो गए आख़िर
तुम्हारे इश्क़ में कितने निढाल थे हम भी

ज़रूरतों ने हमारा ज़मीर चाट लिया
वगरना क़ायल ए रिज़्क़ ए हलाल थे हम भी

हम अक्स अक्स बिखरते रहे इसी धुन में
कि ज़िंदगी में कभी लाजवाल थे हम भी

 ~ परवीन शाकिर

©Jitender Kumar

#sad_shayari किसी का इश्क़ किसी का ख़याल थे हम भी गए दिनों में बहुत बाकमाल थे हम भी हमारी खोज में रहती थीं तितलियां अक्सर कि अपने शहर का

11 Love

#शायरी #Sad_shayri  White जहर था पहले कभी  दिखावे को दवा बन गया
एक था अपना कभी जो फिर से सज़ा बन गया 


मेरे गांव  की  हवा  ने  ही धोखा  दिया था  मुझे
अंदाजा  था बहार  का तूफ़ान ए बला बन गया


इरफांन" तेरे ज़मीर को हिलाने की थी  शाजिशें 
आंधियों का शोर  उठा और जलजला बन  गया

©Irfan Saeed

जहर था पहले कभी दिखावे को दवा बन गया एक था अपना कभी जो फिर से सज़ा बन गया मेरे गांव की हवा ने ही धोखा दिया था मुझे अंदाजा था बहार

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