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White जिन्दगी की ट्रेन को चलाने के लिए सुख दुख, अमीरी गरीबी दोनों को व्यवस्थित तरीके से चलाने मे ही नौका पार होती है 💓 ©Alka pandey

#मोटिवेशनल #Thinking  White जिन्दगी की ट्रेन को चलाने के लिए
सुख दुख, अमीरी गरीबी दोनों को  व्यवस्थित तरीके से चलाने मे ही नौका पार होती है 💓

©Alka pandey

#Thinking of people Anil Ray Hardik Mahajan हिमांशु Kulshreshtha @Ravi vibhute kasim ji, Anil Kumar Ray, ambika jha, @Rakesh Srivastava

21 Love

White अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो, हम दोनों के दरम्यान, गुफ़्तगू खुला रहने दो। ये भगदड़ थी या साज़िश, इसे बाद में देखेंगे, पहले उजड़े दिलों को, कुछ आसरा रहने दो। सियासत के सौदागर, नफ़रतों को मत बेचो, कुछ सपनों को आँखों में, हरा-भरा रहने दो। जो मिट्टी में सोए हैं अभी उनकी खाक जिंदा हैं ना खेलो सियासत,अश्कों को अलहदा बहने दो। बहारें फिर लौटेंगी, अगर शाख़ें बची रहें, दंगों की आग बुझा दो, हवा को खुला बहाने दो। अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो, मज़हब से परे इंसानियत का घर बना रहने दो। राजीव ©samandar Speaks

#कविता #Thinking  White अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो,
हम दोनों के दरम्यान, गुफ़्तगू खुला रहने दो।

ये भगदड़ थी या साज़िश, इसे बाद में देखेंगे,
पहले उजड़े दिलों को, कुछ आसरा रहने दो।

सियासत के सौदागर, नफ़रतों को मत बेचो,
कुछ सपनों को आँखों में, हरा-भरा रहने दो।

जो मिट्टी में सोए हैं अभी उनकी खाक जिंदा हैं 
ना खेलो सियासत,अश्कों को अलहदा बहने  दो।

बहारें फिर लौटेंगी, अगर शाख़ें बची रहें,
दंगों की आग बुझा दो, हवा को खुला बहाने दो।

अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो,
मज़हब से परे इंसानियत का घर बना रहने दो।
राजीव

©samandar Speaks

White The golden sun, a glowing sphere, Pierces through the mist so sheer. A hazy veil drapes the land, Soft and silent, vast and grand. Fields asleep in dawn’s embrace, Dreams still linger, slow in pace. Distant trees, like shadows tall, Whisper secrets none recall. A lonely wall, half-built, half-torn, Stands in silence, weather-worn. Concrete floor, so cold, so bare, Yet morning's breath lingers there. The world awakes in muted light, Fading stars bid soft goodnight. A moment caught in time so still, A gentle touch, a morning thrill. ©samandar Speaks

#कविता #GoodMorning  White The golden sun, a glowing sphere,
Pierces through the mist so sheer.
A hazy veil drapes the land,
Soft and silent, vast and grand.

Fields asleep in dawn’s embrace,
Dreams still linger, slow in pace.
Distant trees, like shadows tall,
Whisper secrets none recall.

A lonely wall, half-built, half-torn,
Stands in silence, weather-worn.
Concrete floor, so cold, so bare,
Yet morning's breath lingers there.

The world awakes in muted light,
Fading stars bid soft goodnight.
A moment caught in time so still,
A gentle touch, a morning thrill.

©samandar Speaks

White ग़लत क्या है,सही क्या है,सभी के अपने किस्से हैं बड़ी उलझी है ये दुनिया,इसी में सबके हिस्से हैं अदम तक साथ चलती हैं,जुबां कि उल्फ़तें देखो अब्द है सब मुहब्बत के,अदब के फूल गर फेंको तुम्हीं सब कुछ बयां करते,खुदी आगाज़ करते हो रकीबों के नक़ाबो में,मरव्वत,ख़ाक करते हो खियाबां दिल को गर कर लो,अत्र नज़रों से बरसेगी उड़ा दो गर्द शीशे से,बीनाई भरपूर चमकेगी ख़ज़ा में ख़ाक हैं जो खार,वहीं अब्तर से रहते हैं उन्हें अहजान क्या रोके,जो नश्तर संग हीं पलते हैं ग़लत क्या है,सही क्या है,सभी के अपने किस्से हैं बड़ी उलझी है ये दुनिया,इसी में सबके हिस्से हैं राजीव ©samandar Speaks

#मोटिवेशनल #Thinking  White ग़लत क्या है,सही क्या है,सभी के अपने किस्से हैं
बड़ी उलझी है ये दुनिया,इसी में सबके हिस्से हैं

अदम तक साथ चलती हैं,जुबां कि उल्फ़तें देखो
अब्द है सब मुहब्बत के,अदब के फूल गर फेंको
तुम्हीं सब कुछ बयां करते,खुदी
आगाज़ करते हो
रकीबों के नक़ाबो में,मरव्वत,ख़ाक करते हो 

खियाबां दिल को गर कर लो,अत्र नज़रों से बरसेगी
उड़ा दो गर्द शीशे से,बीनाई भरपूर चमकेगी
ख़ज़ा में ख़ाक हैं जो खार,वहीं अब्तर से रहते हैं 
उन्हें अहजान क्या रोके,जो नश्तर संग हीं पलते हैं 

ग़लत क्या है,सही क्या है,सभी के अपने किस्से हैं
बड़ी उलझी है ये दुनिया,इसी में सबके हिस्से हैं
राजीव

©samandar Speaks

White एक बात सबको पत्ते की बता दी जाए गिर के उठने वालों को आगे जगह दी जाए हर लम्हा हवा संग जो जिया, न झुका कहीं उसकी रूहानियत पे मुहब्बत लूटा दी जाए सूरज की तपिश को सहा, चुपचाप जला ऐसे जज़्बे को फलक पे बिठा दी जाए हर शाख से जुदा हो, मिट्टी में समाया उसकी खामोशी को जुंबिश बना दी जाए। ज़िंदगी का सबक है, गिरना और उठना इस फलसफे को हर दिल में बिठा दी जाए न गिरना बुरा, न टूटना कोई गुनाह जो न समझे ,उसे अज़र तक सजा दी जाए। हर पत्ता सिखाए है जीने का नया हुनर हर ज़र्रे को ये हक़ीक़त समझा दी जाए राजीव ©samandar Speaks

#कविता #Thinking  White एक बात सबको पत्ते की बता दी जाए
गिर के उठने वालों को आगे जगह दी जाए 

हर लम्हा हवा संग जो जिया, न झुका कहीं
उसकी रूहानियत पे मुहब्बत लूटा दी जाए 

सूरज की तपिश को सहा, चुपचाप जला
ऐसे जज़्बे को फलक पे बिठा दी जाए 

हर शाख से जुदा हो, मिट्टी में समाया
उसकी खामोशी को जुंबिश बना दी जाए।

ज़िंदगी का सबक है, गिरना और उठना
इस फलसफे को हर दिल में बिठा दी जाए 

न गिरना बुरा, न टूटना कोई गुनाह
जो न समझे ,उसे अज़र तक सजा दी जाए।

हर पत्ता सिखाए है जीने का नया हुनर
हर ज़र्रे को ये हक़ीक़त समझा दी जाए 
राजीव

©samandar Speaks

White इस क़दर भी ख़ुद को खराब नहीं करते हर बात पे बेवजह के सवाल नहीं करते। तेरी इबादत कम मेरी ज़्यादा इस तरह भी हिसाब नहीं करते। जिन राहों में कांटे हों बिछे रेत से उनमें हम सायों को आब नहीं करते। दिल की किताबे गर खुलीं हों दरम्यान तो हर ग़म पे जवाब नहीं करते चाहतें होंगी तो सादगी से आएंगी इश्क़ को कभी बेहिजाब नहीं करते। समंदर में डूबते हैं जो मोतियों के वास्ते ऐसे लोग किनारों का ख़्वाब नहीं करते। राजीव ©samandar Speaks

#कविता #GoodMorning  White इस क़दर भी ख़ुद को खराब नहीं करते
हर बात पे बेवजह के सवाल नहीं करते।
तेरी इबादत कम मेरी ज़्यादा
इस तरह भी हिसाब नहीं करते।

जिन राहों में कांटे हों बिछे रेत से 
उनमें हम सायों को आब नहीं करते।
दिल की किताबे गर खुलीं हों दरम्यान 
तो हर ग़म पे जवाब नहीं करते

चाहतें होंगी तो सादगी से आएंगी
इश्क़ को कभी बेहिजाब नहीं करते।
समंदर में डूबते हैं जो मोतियों के वास्ते 
ऐसे लोग किनारों का ख़्वाब नहीं करते।
राजीव

©samandar Speaks

White जिन्दगी की ट्रेन को चलाने के लिए सुख दुख, अमीरी गरीबी दोनों को व्यवस्थित तरीके से चलाने मे ही नौका पार होती है 💓 ©Alka pandey

#मोटिवेशनल #Thinking  White जिन्दगी की ट्रेन को चलाने के लिए
सुख दुख, अमीरी गरीबी दोनों को  व्यवस्थित तरीके से चलाने मे ही नौका पार होती है 💓

©Alka pandey

#Thinking of people Anil Ray Hardik Mahajan हिमांशु Kulshreshtha @Ravi vibhute kasim ji, Anil Kumar Ray, ambika jha, @Rakesh Srivastava

21 Love

White अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो, हम दोनों के दरम्यान, गुफ़्तगू खुला रहने दो। ये भगदड़ थी या साज़िश, इसे बाद में देखेंगे, पहले उजड़े दिलों को, कुछ आसरा रहने दो। सियासत के सौदागर, नफ़रतों को मत बेचो, कुछ सपनों को आँखों में, हरा-भरा रहने दो। जो मिट्टी में सोए हैं अभी उनकी खाक जिंदा हैं ना खेलो सियासत,अश्कों को अलहदा बहने दो। बहारें फिर लौटेंगी, अगर शाख़ें बची रहें, दंगों की आग बुझा दो, हवा को खुला बहाने दो। अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो, मज़हब से परे इंसानियत का घर बना रहने दो। राजीव ©samandar Speaks

#कविता #Thinking  White अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो,
हम दोनों के दरम्यान, गुफ़्तगू खुला रहने दो।

ये भगदड़ थी या साज़िश, इसे बाद में देखेंगे,
पहले उजड़े दिलों को, कुछ आसरा रहने दो।

सियासत के सौदागर, नफ़रतों को मत बेचो,
कुछ सपनों को आँखों में, हरा-भरा रहने दो।

जो मिट्टी में सोए हैं अभी उनकी खाक जिंदा हैं 
ना खेलो सियासत,अश्कों को अलहदा बहने  दो।

बहारें फिर लौटेंगी, अगर शाख़ें बची रहें,
दंगों की आग बुझा दो, हवा को खुला बहाने दो।

अभी ज़िंदा है भारत, इसे ज़िंदा रहने दो,
मज़हब से परे इंसानियत का घर बना रहने दो।
राजीव

©samandar Speaks

White The golden sun, a glowing sphere, Pierces through the mist so sheer. A hazy veil drapes the land, Soft and silent, vast and grand. Fields asleep in dawn’s embrace, Dreams still linger, slow in pace. Distant trees, like shadows tall, Whisper secrets none recall. A lonely wall, half-built, half-torn, Stands in silence, weather-worn. Concrete floor, so cold, so bare, Yet morning's breath lingers there. The world awakes in muted light, Fading stars bid soft goodnight. A moment caught in time so still, A gentle touch, a morning thrill. ©samandar Speaks

#कविता #GoodMorning  White The golden sun, a glowing sphere,
Pierces through the mist so sheer.
A hazy veil drapes the land,
Soft and silent, vast and grand.

Fields asleep in dawn’s embrace,
Dreams still linger, slow in pace.
Distant trees, like shadows tall,
Whisper secrets none recall.

A lonely wall, half-built, half-torn,
Stands in silence, weather-worn.
Concrete floor, so cold, so bare,
Yet morning's breath lingers there.

The world awakes in muted light,
Fading stars bid soft goodnight.
A moment caught in time so still,
A gentle touch, a morning thrill.

©samandar Speaks

White ग़लत क्या है,सही क्या है,सभी के अपने किस्से हैं बड़ी उलझी है ये दुनिया,इसी में सबके हिस्से हैं अदम तक साथ चलती हैं,जुबां कि उल्फ़तें देखो अब्द है सब मुहब्बत के,अदब के फूल गर फेंको तुम्हीं सब कुछ बयां करते,खुदी आगाज़ करते हो रकीबों के नक़ाबो में,मरव्वत,ख़ाक करते हो खियाबां दिल को गर कर लो,अत्र नज़रों से बरसेगी उड़ा दो गर्द शीशे से,बीनाई भरपूर चमकेगी ख़ज़ा में ख़ाक हैं जो खार,वहीं अब्तर से रहते हैं उन्हें अहजान क्या रोके,जो नश्तर संग हीं पलते हैं ग़लत क्या है,सही क्या है,सभी के अपने किस्से हैं बड़ी उलझी है ये दुनिया,इसी में सबके हिस्से हैं राजीव ©samandar Speaks

#मोटिवेशनल #Thinking  White ग़लत क्या है,सही क्या है,सभी के अपने किस्से हैं
बड़ी उलझी है ये दुनिया,इसी में सबके हिस्से हैं

अदम तक साथ चलती हैं,जुबां कि उल्फ़तें देखो
अब्द है सब मुहब्बत के,अदब के फूल गर फेंको
तुम्हीं सब कुछ बयां करते,खुदी
आगाज़ करते हो
रकीबों के नक़ाबो में,मरव्वत,ख़ाक करते हो 

खियाबां दिल को गर कर लो,अत्र नज़रों से बरसेगी
उड़ा दो गर्द शीशे से,बीनाई भरपूर चमकेगी
ख़ज़ा में ख़ाक हैं जो खार,वहीं अब्तर से रहते हैं 
उन्हें अहजान क्या रोके,जो नश्तर संग हीं पलते हैं 

ग़लत क्या है,सही क्या है,सभी के अपने किस्से हैं
बड़ी उलझी है ये दुनिया,इसी में सबके हिस्से हैं
राजीव

©samandar Speaks

White एक बात सबको पत्ते की बता दी जाए गिर के उठने वालों को आगे जगह दी जाए हर लम्हा हवा संग जो जिया, न झुका कहीं उसकी रूहानियत पे मुहब्बत लूटा दी जाए सूरज की तपिश को सहा, चुपचाप जला ऐसे जज़्बे को फलक पे बिठा दी जाए हर शाख से जुदा हो, मिट्टी में समाया उसकी खामोशी को जुंबिश बना दी जाए। ज़िंदगी का सबक है, गिरना और उठना इस फलसफे को हर दिल में बिठा दी जाए न गिरना बुरा, न टूटना कोई गुनाह जो न समझे ,उसे अज़र तक सजा दी जाए। हर पत्ता सिखाए है जीने का नया हुनर हर ज़र्रे को ये हक़ीक़त समझा दी जाए राजीव ©samandar Speaks

#कविता #Thinking  White एक बात सबको पत्ते की बता दी जाए
गिर के उठने वालों को आगे जगह दी जाए 

हर लम्हा हवा संग जो जिया, न झुका कहीं
उसकी रूहानियत पे मुहब्बत लूटा दी जाए 

सूरज की तपिश को सहा, चुपचाप जला
ऐसे जज़्बे को फलक पे बिठा दी जाए 

हर शाख से जुदा हो, मिट्टी में समाया
उसकी खामोशी को जुंबिश बना दी जाए।

ज़िंदगी का सबक है, गिरना और उठना
इस फलसफे को हर दिल में बिठा दी जाए 

न गिरना बुरा, न टूटना कोई गुनाह
जो न समझे ,उसे अज़र तक सजा दी जाए।

हर पत्ता सिखाए है जीने का नया हुनर
हर ज़र्रे को ये हक़ीक़त समझा दी जाए 
राजीव

©samandar Speaks

White इस क़दर भी ख़ुद को खराब नहीं करते हर बात पे बेवजह के सवाल नहीं करते। तेरी इबादत कम मेरी ज़्यादा इस तरह भी हिसाब नहीं करते। जिन राहों में कांटे हों बिछे रेत से उनमें हम सायों को आब नहीं करते। दिल की किताबे गर खुलीं हों दरम्यान तो हर ग़म पे जवाब नहीं करते चाहतें होंगी तो सादगी से आएंगी इश्क़ को कभी बेहिजाब नहीं करते। समंदर में डूबते हैं जो मोतियों के वास्ते ऐसे लोग किनारों का ख़्वाब नहीं करते। राजीव ©samandar Speaks

#कविता #GoodMorning  White इस क़दर भी ख़ुद को खराब नहीं करते
हर बात पे बेवजह के सवाल नहीं करते।
तेरी इबादत कम मेरी ज़्यादा
इस तरह भी हिसाब नहीं करते।

जिन राहों में कांटे हों बिछे रेत से 
उनमें हम सायों को आब नहीं करते।
दिल की किताबे गर खुलीं हों दरम्यान 
तो हर ग़म पे जवाब नहीं करते

चाहतें होंगी तो सादगी से आएंगी
इश्क़ को कभी बेहिजाब नहीं करते।
समंदर में डूबते हैं जो मोतियों के वास्ते 
ऐसे लोग किनारों का ख़्वाब नहीं करते।
राजीव

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