Unsplash दिल मे गुबार हो लाखो
कहो ना किसी से,
समझो ना अपना किसी को,
बनाओ ना अपना किसी को,
हो अगर कोई आने को करीब
दूरी बनाओ उनसे जरूर से....
जो हाथ देते है,
वो हाथ प्यार से पकडते तो है,
पर झटके से छोड़ भी देते है,
अपना बनाने की कोशिश में,
अपनापन और परायेपन की पहचान,
बस आंखों से ही हो जाती है...
लोग समझते है कि हम कुछ नहीं समझते,
पर हम जीतना समझ रखते है,
शायद लोग इतनी सोच भी नहीं रखते,
लोगों को अपना बनाने की कला,
भारी पड़ती है हम पर,
जिन्हें अपना बना के साथ चले,
वो तो मुझसे पीछे धकेल कर,
किसी और के साथ निकल गये...
फिर भी हम खुश है उन सब के लिए,
जिन्होंने मेरा प्रयोग कर,
अपने जीवन मे आगे बढ निकले,
मैं कितनी भाग्यशाली हूं कि
लोगों के काम आ जाती हूँ...
©Rashi
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