Unsplash दिल मे गुबार हो लाखो पर कहो ना किसी से, | हिंदी कविता

"Unsplash दिल मे गुबार हो लाखो पर कहो ना किसी से, समझो ना अपना किसी को, बनाओ ना अपना किसी को, हो अगर कोई आने को करीब उनसे दूरी बना लो जरूर से.... अपनेपन और परायेपन की पहचान, बस आंखों से ही हो जाती है अब, अपना बनाने की कोशिश में, जो दिए हाथ कभी, वो हाथ तो प्यार से पकडते है, पर झटके से छोड़, हमें अकेला कर निकल पड़ते है, लोगो को अपना बनाने की कला, भारी पड़ती है हमें, जिन्हें अपना बना के साथ चले, वो तो मुझे पीछे धकेल कर, किसी और के साथ आगे निकल गये, वो समझते है कि हम कुछ समझते ही नहीं, पर हम जीतनी समझ रखते है, शायद, वे इतनी समझ रखते भी नहीं... फिर भी मैं खुश हूं उन सब के लिए, जिन्होंने मेरा उपयोग किया, जीवन से उन्हें मैने निकल दिया, दुखों का अंबार मुझे पर आया, फिर मैं कितनी भाग्यशाली हूं कि, भगवान ने मुझे जीवन का इतना कुछ, अनुभाव सिखाया.... ©Rashi"

 Unsplash  दिल मे गुबार हो लाखो
पर कहो ना किसी से,
समझो ना अपना किसी को, 
बनाओ ना अपना किसी को,
हो अगर कोई आने को करीब
उनसे दूरी बना लो जरूर से....

अपनेपन और परायेपन की पहचान,
 बस आंखों से ही हो जाती है अब,
अपना बनाने की कोशिश में,
 जो दिए हाथ कभी, 
वो हाथ तो प्यार से पकडते है, 
पर झटके से छोड़,
हमें अकेला कर निकल पड़ते है,

लोगो को अपना बनाने की कला,
 भारी पड़ती है हमें, 
 जिन्हें अपना बना के साथ चले,
वो तो मुझे पीछे धकेल कर,
 किसी और के साथ आगे निकल गये, 
वो समझते है कि हम कुछ समझते ही नहीं,
पर हम जीतनी समझ रखते है, 
शायद, वे इतनी समझ रखते भी नहीं...

फिर भी मैं खुश हूं उन सब के  लिए,
जिन्होंने मेरा उपयोग किया, 
जीवन से उन्हें मैने निकल दिया,
दुखों का अंबार मुझे पर आया,
फिर मैं कितनी भाग्यशाली हूं कि, 
भगवान ने मुझे जीवन का इतना कुछ,
 अनुभाव सिखाया....

©Rashi

Unsplash दिल मे गुबार हो लाखो पर कहो ना किसी से, समझो ना अपना किसी को, बनाओ ना अपना किसी को, हो अगर कोई आने को करीब उनसे दूरी बना लो जरूर से.... अपनेपन और परायेपन की पहचान, बस आंखों से ही हो जाती है अब, अपना बनाने की कोशिश में, जो दिए हाथ कभी, वो हाथ तो प्यार से पकडते है, पर झटके से छोड़, हमें अकेला कर निकल पड़ते है, लोगो को अपना बनाने की कला, भारी पड़ती है हमें, जिन्हें अपना बना के साथ चले, वो तो मुझे पीछे धकेल कर, किसी और के साथ आगे निकल गये, वो समझते है कि हम कुछ समझते ही नहीं, पर हम जीतनी समझ रखते है, शायद, वे इतनी समझ रखते भी नहीं... फिर भी मैं खुश हूं उन सब के लिए, जिन्होंने मेरा उपयोग किया, जीवन से उन्हें मैने निकल दिया, दुखों का अंबार मुझे पर आया, फिर मैं कितनी भाग्यशाली हूं कि, भगवान ने मुझे जीवन का इतना कुछ, अनुभाव सिखाया.... ©Rashi

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