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Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे, चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू, एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका Rajeev ©samandar Speaks

#कविता #camping  Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा
गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा

तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया
और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा

काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे,
चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया

इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की
अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा

सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू,
एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका
Rajeev

©samandar Speaks

#camping @Radhey Ray @Mukesh Poonia मनीष शर्मा @Anant @bewakoof

13 Love

Unsplash मन खफा है, गुमशुदा है, ग़म का साया है, अजनबी-सा कोई दर्द, बेवजह भीतर पला है। राहें भी चुप हैं,मंज़िलें धुंधली, कदम रुक-रुक से,जैसे कोई थका कारवां। आसमान बेरंग है,सितारे कहीं खो गए, चाँदनी भी अब,अंधेरों में घुल गई है। अश्क हैं, मगर बहते नहीं, जख्म हैं, पर दिखते नहीं, जैसे कोई राज़ छुपा है, सांसों की खामोशी में। खुशियां अधूरी,सपने बेमानी,हर चाहत जैसे खो गई ज़िंदगी की भीड़ में। रूह में शोर है, मन की परतों में ख़ामोशी, सवालों की कैद में कोई जवाब नहीं मिलता। शायद ये ग़म ही मेरा हमसफ़र है, या खामोशियों में बसी एक उलझन, लेकिन कहीं…धुंध के उस पार एक किरण बाकी है। राजीव ©samandar Speaks

#मोटिवेशनल #camping  Unsplash मन खफा है, गुमशुदा है,
ग़म का साया है,
अजनबी-सा कोई दर्द,
बेवजह भीतर पला है।
राहें भी चुप हैं,मंज़िलें धुंधली,
कदम रुक-रुक से,जैसे कोई थका कारवां।
आसमान बेरंग है,सितारे कहीं खो गए,
चाँदनी भी अब,अंधेरों में घुल गई है।
अश्क हैं, मगर बहते नहीं,
जख्म हैं, पर दिखते नहीं,
जैसे कोई राज़ छुपा है,
सांसों की खामोशी में।
खुशियां अधूरी,सपने बेमानी,हर चाहत जैसे
खो गई ज़िंदगी की भीड़ में।
रूह में शोर है,
मन की परतों में ख़ामोशी,
सवालों की कैद में
कोई जवाब नहीं मिलता।
शायद ये ग़म ही मेरा हमसफ़र है,
या खामोशियों में बसी एक उलझन,
लेकिन कहीं…धुंध के उस पार
एक किरण बाकी है।
राजीव

©samandar Speaks

White चलो देखो चलो देखो, उस आदमी को, जो हर सुबह सूरज संग जागता है, सपनों की गठरी कंधे पर लादे, हर शाम ख्वाबों के साथ हारता है। चूल्हा जलाने की दौड़ में, अपने अरमान जलाता है, रोटी की हर गोलाई में, जिंदगी का गोल घुमाता है। उसके पांव में छाले हैं, पर कदमों में थकान नहीं, आंखों में उम्मीद बाकी है, चाहे हाथों में सामान नहीं। हर दर से वो लौट आता है, पर खुदा से शिकवा नहीं करता, गम के बादलों को चीर कर, अपने हिस्से की धूप बुनता। दुनिया जिसे नाकामी कहती है, वो उसे सब्र कह जाता है, हर दिन की छोटी जीतों में, अपनी पूरी जिंदगी लगा जाता है। चलो देखो, उस आदमी को, जो हार के भी मुस्कुराता है, ज़िंदगी के इस संग्राम में, हर पल खुद को आज़माता है। उसके संघर्ष में एक दर्शन है, हर दर्द का एक पैगाम है, कि गिरकर भी चलना सीख लो, क्योंकि यही तो असल इम्तिहान है। राजीव ©samandar Speaks

#कविता #Sad_Status  White चलो देखो
चलो देखो, उस आदमी को,
जो हर सुबह सूरज संग जागता है,
सपनों की गठरी कंधे पर लादे,
हर शाम ख्वाबों के साथ हारता है।
चूल्हा जलाने की दौड़ में,
अपने अरमान जलाता है,
रोटी की हर गोलाई में,
जिंदगी का गोल घुमाता है।
उसके पांव में छाले हैं,
पर कदमों में थकान नहीं,
आंखों में उम्मीद बाकी है,
चाहे हाथों में सामान नहीं।
हर दर से वो लौट आता है,
पर खुदा से शिकवा नहीं करता,
गम के बादलों को चीर कर,
अपने हिस्से की धूप बुनता।
दुनिया जिसे नाकामी कहती है,
वो उसे सब्र कह जाता है,
हर दिन की छोटी जीतों में,
अपनी पूरी जिंदगी लगा जाता है।
चलो देखो, उस आदमी को,
जो हार के भी मुस्कुराता है,
ज़िंदगी के इस संग्राम में,
हर पल खुद को आज़माता है।
उसके संघर्ष में एक दर्शन है,
हर दर्द का एक पैगाम है,
कि गिरकर भी चलना सीख लो,
क्योंकि यही तो असल इम्तिहान है।
राजीव

©samandar Speaks

#Sad_Status Siddharth singh @Anant अंजान @Mukesh Poonia @Samima Khatun

9 Love

Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे, चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू, एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका Rajeev ©samandar Speaks

#कविता #camping  Unsplash नीली आँखों का जादू और पलकों का पहरा
गुलाबी ये आलम और दिल ठहरा ठहरा

तब्बसुम मोतियों सा लबों पे है छाया
और सुर्खी ए महरो है पसरा पसरा

काले बादलों का घेरा ,और बारिश की बुँदे,
चाँद हो जैसे की ,नहाया नहाया

इस्लाम सी है ,लाम लट गेसुओं की
अदा पे खुदा का ,है नूर, पसरा पसरा

सांसो की ताज़गी में, कुदरत, की ख़ुशबू,
एक जाम हर अदा जैसे हो छलका छलका
Rajeev

©samandar Speaks

#camping @Radhey Ray @Mukesh Poonia मनीष शर्मा @Anant @bewakoof

13 Love

Unsplash मन खफा है, गुमशुदा है, ग़म का साया है, अजनबी-सा कोई दर्द, बेवजह भीतर पला है। राहें भी चुप हैं,मंज़िलें धुंधली, कदम रुक-रुक से,जैसे कोई थका कारवां। आसमान बेरंग है,सितारे कहीं खो गए, चाँदनी भी अब,अंधेरों में घुल गई है। अश्क हैं, मगर बहते नहीं, जख्म हैं, पर दिखते नहीं, जैसे कोई राज़ छुपा है, सांसों की खामोशी में। खुशियां अधूरी,सपने बेमानी,हर चाहत जैसे खो गई ज़िंदगी की भीड़ में। रूह में शोर है, मन की परतों में ख़ामोशी, सवालों की कैद में कोई जवाब नहीं मिलता। शायद ये ग़म ही मेरा हमसफ़र है, या खामोशियों में बसी एक उलझन, लेकिन कहीं…धुंध के उस पार एक किरण बाकी है। राजीव ©samandar Speaks

#मोटिवेशनल #camping  Unsplash मन खफा है, गुमशुदा है,
ग़म का साया है,
अजनबी-सा कोई दर्द,
बेवजह भीतर पला है।
राहें भी चुप हैं,मंज़िलें धुंधली,
कदम रुक-रुक से,जैसे कोई थका कारवां।
आसमान बेरंग है,सितारे कहीं खो गए,
चाँदनी भी अब,अंधेरों में घुल गई है।
अश्क हैं, मगर बहते नहीं,
जख्म हैं, पर दिखते नहीं,
जैसे कोई राज़ छुपा है,
सांसों की खामोशी में।
खुशियां अधूरी,सपने बेमानी,हर चाहत जैसे
खो गई ज़िंदगी की भीड़ में।
रूह में शोर है,
मन की परतों में ख़ामोशी,
सवालों की कैद में
कोई जवाब नहीं मिलता।
शायद ये ग़म ही मेरा हमसफ़र है,
या खामोशियों में बसी एक उलझन,
लेकिन कहीं…धुंध के उस पार
एक किरण बाकी है।
राजीव

©samandar Speaks

White चलो देखो चलो देखो, उस आदमी को, जो हर सुबह सूरज संग जागता है, सपनों की गठरी कंधे पर लादे, हर शाम ख्वाबों के साथ हारता है। चूल्हा जलाने की दौड़ में, अपने अरमान जलाता है, रोटी की हर गोलाई में, जिंदगी का गोल घुमाता है। उसके पांव में छाले हैं, पर कदमों में थकान नहीं, आंखों में उम्मीद बाकी है, चाहे हाथों में सामान नहीं। हर दर से वो लौट आता है, पर खुदा से शिकवा नहीं करता, गम के बादलों को चीर कर, अपने हिस्से की धूप बुनता। दुनिया जिसे नाकामी कहती है, वो उसे सब्र कह जाता है, हर दिन की छोटी जीतों में, अपनी पूरी जिंदगी लगा जाता है। चलो देखो, उस आदमी को, जो हार के भी मुस्कुराता है, ज़िंदगी के इस संग्राम में, हर पल खुद को आज़माता है। उसके संघर्ष में एक दर्शन है, हर दर्द का एक पैगाम है, कि गिरकर भी चलना सीख लो, क्योंकि यही तो असल इम्तिहान है। राजीव ©samandar Speaks

#कविता #Sad_Status  White चलो देखो
चलो देखो, उस आदमी को,
जो हर सुबह सूरज संग जागता है,
सपनों की गठरी कंधे पर लादे,
हर शाम ख्वाबों के साथ हारता है।
चूल्हा जलाने की दौड़ में,
अपने अरमान जलाता है,
रोटी की हर गोलाई में,
जिंदगी का गोल घुमाता है।
उसके पांव में छाले हैं,
पर कदमों में थकान नहीं,
आंखों में उम्मीद बाकी है,
चाहे हाथों में सामान नहीं।
हर दर से वो लौट आता है,
पर खुदा से शिकवा नहीं करता,
गम के बादलों को चीर कर,
अपने हिस्से की धूप बुनता।
दुनिया जिसे नाकामी कहती है,
वो उसे सब्र कह जाता है,
हर दिन की छोटी जीतों में,
अपनी पूरी जिंदगी लगा जाता है।
चलो देखो, उस आदमी को,
जो हार के भी मुस्कुराता है,
ज़िंदगी के इस संग्राम में,
हर पल खुद को आज़माता है।
उसके संघर्ष में एक दर्शन है,
हर दर्द का एक पैगाम है,
कि गिरकर भी चलना सीख लो,
क्योंकि यही तो असल इम्तिहान है।
राजीव

©samandar Speaks

#Sad_Status Siddharth singh @Anant अंजान @Mukesh Poonia @Samima Khatun

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