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New बुढ़ापा पेंशन 2020 Status, Photo, Video

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 बुढ़ापा
है बुढ़ापा सत्य जीवन का एक दिन सबको आना है
बितते हुए हर पल के साथ बुढ़ापे की और बढ़ते जाना है
होती जाती है हड्डीया कमजोर और 
रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है
है बुढ़ापे की निशानियां धीरे धीरे नजर आने लगती है
धुंधला दिखना ,सुनाई ना देना , 
चलने फिरने में होने लगती परेशानी है
शरीर हो जाता है कमजोर जब खाने पीने में होती परेशानी है
भूलने लगते है जब बाते छोटी छोटी 
जब बुढ़ापा आने लगता है
साथ चाहिए होता है जिस समय अपनो का 
और उसी समय उनको अनदेखा करने का सफर चालू हो जाता है
घर की है जो नीव 
हर फैसला जिसका माना जाता था कभी
उस मुखिया को है नही समझ करके 
अब हर फैसले से दूर रखा जाता है
देख कर अपनी ऐसी हालत वो खुद पर तरस खाता है
सोच किसी अनकही कहानी में फिर डूब जाता है
टूट रहा है जब शरीर से उसके मन को तोड़ा जाता है
जाने अनजाने में ही पर उन्हें दर्द दिया जाता है

ना लो हर फैसले में राय उनकी पर कुछ में तो उनको शामिल करो
रखो ख्याल उनका और है वो हमारे परिवार का अहम हिस्सा 
ऐसा उनको विश्वास दिलाओ
बुढ़ापा है एक सत्य जीवन का पर उसको थोड़ा आसान करो
दे उनको अपनत्व का भाव 
उनको मन को थोड़ा प्रश्नचित रखो
है बुढ़ापा आना सबको 
इसलिए खुद को उनकी जगह रख कर हर बात तुम सोचो
अपनो बुजुर्गो का करो सम्मान और उनका मान रखो

©Neel.

बुढ़ापा poetry quotes poetry lovers sad poetry hindi poetry on life

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#सुनती_हूं_समझती_हूं #है_कुछ_ऐसे_लोग_भी #बुढ़ापा #विचार #जवानी

जब #जवानी ही गुजर जाएगी तुम्हारे बिना तो #बुढ़ापा भी फिर किसी तरह गुजर जाएगा कौन कहता है कि पति बुढ़ापे में पत्नी का साथ देते हैं जब ज

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#love_shayari  White ଯାତ୍ରା -19

       ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି 

ଏବେବି 
ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି ,
ତମେ ବଞ୍ଚିଛ ,
ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।
ସବୁକିଛି ବୋଧେ ଶେଷ ହୋଇନାହିଁ 
ନାହିଁ ନାହିଁ ଭିତରେ ଜିଇଁଛି ଜୀବନ ,
ହତାଶାର  ମରୁଭୂମିରେ ଆଶାର ବୁଲବୁଲ ,
ବ୍ୟାସ ସରୋବରରେ ସମ୍ଭାବନାର କୋଟିଏ  ପଦ୍ମ,
ଦୂର ଦିଗବଳୟ ସେପଟେ କାହାର ବଂଶୀସ୍ବନ -
ପ୍ରଲୁବ୍ଧ କରୁଛି, ଭରିଦେଉଛି ଦେହ ମନରେ 
ଆଶାର  ମେଞ୍ଚାଏ ମହକ ।

ସମୁଦ୍ର ଭିତରେ ମୋତି ,
ବାଦଲ ପଛପଟେ ଜ୍ୱଳନ୍ତ ସୂର୍ଯ୍ୟ ,
ଆକାଶରେ ମଲାଜହ୍ନର ଏଲିଜି ,
ଅମୃତ କଳସରେ ବିଷ 
ଛାଇ ଆଲୁଅରେ ଥର ଥର କଡ ଲେଉଟଉଛି  ଜୀବନ ।

ପ୍ରେମ ଆଉ ପ୍ରତ୍ୟୟର 
ବିଶ୍ୱାସ ଆଉ ସମ୍ଭାବନାର ଯଜ୍ଞବେଦୀରେ 
ଟୋପା ଟୋପା ଲୁହ 
ତଥାପି ଗଡୁଛି ଜୀବନ ନିଃଶବ୍ଦରେ ,
ନିରାଶର ଅନ୍ଧଗଳିରେ 
ନିଶୁନ ରାଜରାସ୍ତାରେ ଏକା ଏକା 
ସାଉଁଟିବାକୁ ଭିନ୍ନଏକ ସନ୍ଦୀପ୍ତ- ବାଳଭାନୁର ଉଦୟ ଉତ୍ସବକୁ 
ହସୁଛି ଜୀବନ ମୃତ୍ୟୁକୁ ପିଠିରେ ସବାର କରି ;
ମରଣ ପଥେ ଜୀବନର ଜୟଗାନ 
କେତେ ସତ କେତେ ମିଛ 
କେତେ ସ୍ବପ୍ନ କେତେ ବାସ୍ତବ

ଜୀବନ ଶୋଇଛି ଚୁପଚାପ 
ଏକ ଜୀବନ ନଥିବା ଶବଭଳି 
ସ୍ବପ୍ନ ବିହୀନ ପୃଥିବୀରେ 
ଗୋଟା ଗୋଟା ହାଇ ମାରୁଛି 
ସତେ ଯେମିତି ଆଉଥରେ ଶୋଇଯିବ 
ସବୁଦିନ ପାଇଁ  ଘୁମନ୍ତ ପୃଥିବୀର ମୁକୁଳା ଛାତିରେ 

କିଛି ସ୍ବପ୍ନ
ଅନେକ  ଯନ୍ତ୍ରଣା 
ଟିକିଏ ହସ 
କାଣିଚାଏ ଭଲପାଇବା 
ଟୋପାଏ ବିଶ୍ୱାସ 
କିଛି ପ୍ରାପ୍ତି କିଛି ଅପ୍ରାପ୍ତି 
କିଛି ଆଶା ଆଉ ପ୍ରତିଶୃତିକୁ ନେଇ ତ  ଜୀବନ।

ସ୍ମୃତି ରଞ୍ଜନ ମହାନ୍ତି©
13.8 2020
All Copyrights Reserved
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smrutitanuja.blogspot.com
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©Smruti Ranjan Mohanty

#love_shayari ଯାତ୍ରା -19 ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି ଏବେବି ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି , ତମେ ବଞ୍ଚିଛ , ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।

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 बुढ़ापा
है बुढ़ापा सत्य जीवन का एक दिन सबको आना है
बितते हुए हर पल के साथ बुढ़ापे की और बढ़ते जाना है
होती जाती है हड्डीया कमजोर और 
रोगप्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है
है बुढ़ापे की निशानियां धीरे धीरे नजर आने लगती है
धुंधला दिखना ,सुनाई ना देना , 
चलने फिरने में होने लगती परेशानी है
शरीर हो जाता है कमजोर जब खाने पीने में होती परेशानी है
भूलने लगते है जब बाते छोटी छोटी 
जब बुढ़ापा आने लगता है
साथ चाहिए होता है जिस समय अपनो का 
और उसी समय उनको अनदेखा करने का सफर चालू हो जाता है
घर की है जो नीव 
हर फैसला जिसका माना जाता था कभी
उस मुखिया को है नही समझ करके 
अब हर फैसले से दूर रखा जाता है
देख कर अपनी ऐसी हालत वो खुद पर तरस खाता है
सोच किसी अनकही कहानी में फिर डूब जाता है
टूट रहा है जब शरीर से उसके मन को तोड़ा जाता है
जाने अनजाने में ही पर उन्हें दर्द दिया जाता है

ना लो हर फैसले में राय उनकी पर कुछ में तो उनको शामिल करो
रखो ख्याल उनका और है वो हमारे परिवार का अहम हिस्सा 
ऐसा उनको विश्वास दिलाओ
बुढ़ापा है एक सत्य जीवन का पर उसको थोड़ा आसान करो
दे उनको अपनत्व का भाव 
उनको मन को थोड़ा प्रश्नचित रखो
है बुढ़ापा आना सबको 
इसलिए खुद को उनकी जगह रख कर हर बात तुम सोचो
अपनो बुजुर्गो का करो सम्मान और उनका मान रखो

©Neel.

बुढ़ापा poetry quotes poetry lovers sad poetry hindi poetry on life

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#सुनती_हूं_समझती_हूं #है_कुछ_ऐसे_लोग_भी #बुढ़ापा #विचार #जवानी

जब #जवानी ही गुजर जाएगी तुम्हारे बिना तो #बुढ़ापा भी फिर किसी तरह गुजर जाएगा कौन कहता है कि पति बुढ़ापे में पत्नी का साथ देते हैं जब ज

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#love_shayari  White ଯାତ୍ରା -19

       ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି 

ଏବେବି 
ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି ,
ତମେ ବଞ୍ଚିଛ ,
ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।
ସବୁକିଛି ବୋଧେ ଶେଷ ହୋଇନାହିଁ 
ନାହିଁ ନାହିଁ ଭିତରେ ଜିଇଁଛି ଜୀବନ ,
ହତାଶାର  ମରୁଭୂମିରେ ଆଶାର ବୁଲବୁଲ ,
ବ୍ୟାସ ସରୋବରରେ ସମ୍ଭାବନାର କୋଟିଏ  ପଦ୍ମ,
ଦୂର ଦିଗବଳୟ ସେପଟେ କାହାର ବଂଶୀସ୍ବନ -
ପ୍ରଲୁବ୍ଧ କରୁଛି, ଭରିଦେଉଛି ଦେହ ମନରେ 
ଆଶାର  ମେଞ୍ଚାଏ ମହକ ।

ସମୁଦ୍ର ଭିତରେ ମୋତି ,
ବାଦଲ ପଛପଟେ ଜ୍ୱଳନ୍ତ ସୂର୍ଯ୍ୟ ,
ଆକାଶରେ ମଲାଜହ୍ନର ଏଲିଜି ,
ଅମୃତ କଳସରେ ବିଷ 
ଛାଇ ଆଲୁଅରେ ଥର ଥର କଡ ଲେଉଟଉଛି  ଜୀବନ ।

ପ୍ରେମ ଆଉ ପ୍ରତ୍ୟୟର 
ବିଶ୍ୱାସ ଆଉ ସମ୍ଭାବନାର ଯଜ୍ଞବେଦୀରେ 
ଟୋପା ଟୋପା ଲୁହ 
ତଥାପି ଗଡୁଛି ଜୀବନ ନିଃଶବ୍ଦରେ ,
ନିରାଶର ଅନ୍ଧଗଳିରେ 
ନିଶୁନ ରାଜରାସ୍ତାରେ ଏକା ଏକା 
ସାଉଁଟିବାକୁ ଭିନ୍ନଏକ ସନ୍ଦୀପ୍ତ- ବାଳଭାନୁର ଉଦୟ ଉତ୍ସବକୁ 
ହସୁଛି ଜୀବନ ମୃତ୍ୟୁକୁ ପିଠିରେ ସବାର କରି ;
ମରଣ ପଥେ ଜୀବନର ଜୟଗାନ 
କେତେ ସତ କେତେ ମିଛ 
କେତେ ସ୍ବପ୍ନ କେତେ ବାସ୍ତବ

ଜୀବନ ଶୋଇଛି ଚୁପଚାପ 
ଏକ ଜୀବନ ନଥିବା ଶବଭଳି 
ସ୍ବପ୍ନ ବିହୀନ ପୃଥିବୀରେ 
ଗୋଟା ଗୋଟା ହାଇ ମାରୁଛି 
ସତେ ଯେମିତି ଆଉଥରେ ଶୋଇଯିବ 
ସବୁଦିନ ପାଇଁ  ଘୁମନ୍ତ ପୃଥିବୀର ମୁକୁଳା ଛାତିରେ 

କିଛି ସ୍ବପ୍ନ
ଅନେକ  ଯନ୍ତ୍ରଣା 
ଟିକିଏ ହସ 
କାଣିଚାଏ ଭଲପାଇବା 
ଟୋପାଏ ବିଶ୍ୱାସ 
କିଛି ପ୍ରାପ୍ତି କିଛି ଅପ୍ରାପ୍ତି 
କିଛି ଆଶା ଆଉ ପ୍ରତିଶୃତିକୁ ନେଇ ତ  ଜୀବନ।

ସ୍ମୃତି ରଞ୍ଜନ ମହାନ୍ତି©
13.8 2020
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https://www.facebook.com/titutiku/

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©Smruti Ranjan Mohanty

#love_shayari ଯାତ୍ରା -19 ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି ଏବେବି ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି , ତମେ ବଞ୍ଚିଛ , ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।

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