White **चांदनी रात में अकेलापन और उसकी याद**
चांदनी रात में, जब सब सो जाते हैं,
मैं जागता हूँ, तेरी यादों में खो जाता हूँ।
तारों की चमक भी फीकी लगती है,
जब तेरे बिना ये दिल तन्हा हो जाता है।
चाँद की शीतल किरणें दिल को सहलाती हैं,
मगर तेरी मुस्कान की गर्मी कहाँ से लाऊं मैं?
रात का सन्नाटा जैसे दिल की आवाज़ हो,
तेरी यादों का सागर इस दिल को डुबोता हो।
हवाओं में तेरी खुशबू जैसे बसी हो कहीं,
मैं ढूंढ़ता हूँ तुझे, पर तू मिलती नहीं।
हर कोने में तेरी परछाई नज़र आती है,
पर हकीकत में सिर्फ तन्हाई ही साथ होती है।
ये अकेलापन, ये रात का सन्नाटा,
बस तेरी यादों का प्यारा सा साथ है।
चाँद भी देखता है मुझको यूँ तन्हा,
और कहता है, "तेरी मोहब्बत कितनी सच्ची है!"
मगर तू कहाँ, ये सवाल हर रात रहता है,
तेरे बिना मेरा दिल बस यूँ ही तड़पता है।
चांदनी रात में तेरी याद का साथ,
अकेलेपन में भी मुझे प्यार का एहसास दिलाता है।
©Tripti Srivastava
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