😊नंदलाल की हट 😊
हट कर रहे नंदलाला,
मईया मोह चांद जमीं पर ला दे,
जौ कितनो सुंदर लागे, जाए देख मन है लुभावे,
जौ लागे राधा के मुख के जैसो, मोहे हाथ में रख दिखला दे।
मईया मोह चांद जमीं पर........
है नंदरानी समझाती, जौ चंदा तो दूर बसत है,
जाए कैसे जमीं पर लाऊं।
इतनी सुन लाला ने ,
वो तो मईया मईया रोए,
बलदाऊ सत्य कहत मैं लाला नाही तुम्हारा,
गर लाल तुम्हारो होतो तौ चंदा लाई दिखलाती......
मईया मोह चांद जमीं पर ला दे...
जे बात लाला को सुन के,
मईया मन ही मन मुस्काईं,
नंदलाल को पास बुलाया,
एक पात्र में जल भर लाई,
चंदा का प्रतिबंब दिखाया,
देख लाल चांद की छाया , लाला ताली बजा के हंसते,।
मईया मोह चांद जमीं.....
जो सृष्टि का है रचियता,
जिस पर टिकी है दुनियां सारी,
जिसकी मर्जी के बिना भी,
न हिलता एक भी पत्ता,
जो ख़ुद है मायावी,
फंस गए है मईया की माया में,
बस यहीं तो ममता पाने, श्री हरि से तेरा लाला बन के आया।
मईया मोह चांद जमीं.....
©Sakshi Shankhdhar
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here