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Unsplash एक जलते बुझते दीये क़ी तरह होता हैँ सुख दुख आदमी के हर परिवार का ये वैसे ही हैँ जैसे तेल और बाती जरुरी होती हैँ दीये क़ी जिंदगी के लिए ©Parasram Arora

 Unsplash एक जलते बुझते दीये 
क़ी तरह होता हैँ
सुख  दुख 
आदमी के हर परिवार का 

ये वैसे ही  हैँ जैसे 
तेल और बाती जरुरी 
होती हैँ दीये  क़ी जिंदगी के लिए

©Parasram Arora

सूझ दुख

15 Love

#शायरी

'दर्द भरी शायरी'

90 View

#शायरी

'दर्द भरी शायरी'

153 View

#शायरी

'दर्द भरी शायरी'

117 View

#शायरी

'दर्द भरी शायरी'

144 View

क़लाम -------- मुन्तज़िर सांसों का रूख़सते- वक़्त मुकर्रर हुआ है लगा है दरिचो पर परदे हया के दीदे- दुभर हुआ है --- बे - सम्त हवाओं ने फिर इस ओर रूख़ किया है खुशी से ये दिल फिर से आसमां के बराबर हुआ है --- न उठा निग़ाहें हम पर कुछ तो दर्मियां राज़ रहने दे दफ़्न है इन्हीं में हसरते-ख़्वाब जो उजागर हुआ है --- इक़ तेरे ही हिज़्र ने इस दिल को मज़रूह किया है वर्ना दुन्यां में ऐसा कुछ नहीं जो न मयस्सर हुआ है --- बड़ी मुक़द्दुस-निग़ाहो से देखा किया है शामो-सहर उन तल्ख़ निग़ाहों का क्या जो दिल पत्थर हुआ है --- जिस्म पे आ पड़ी जो ज़लालतो की बारिशें क्या हो मज़बूर ये खाना-बदौश इस दुन्यां में बे-घर हुआ है --- ' ललित'कौन आता है इस विरान में मेरा हाल पुछने सुना है की कभी इस ओर तेरा रह - गुज़र हुआ है ©Lalit Saxena

#शायरी #good_night  क़लाम
--------

मुन्तज़िर सांसों का रूख़सते- वक़्त मुकर्रर हुआ है
लगा है दरिचो पर परदे हया के दीदे- दुभर हुआ है
                     ---
बे - सम्त  हवाओं  ने  फिर इस ओर रूख़ किया है
खुशी से ये दिल फिर से आसमां के बराबर हुआ है
                    ---
न उठा निग़ाहें हम पर कुछ तो दर्मियां राज़ रहने दे
दफ़्न है इन्हीं में हसरते-ख़्वाब जो उजागर हुआ है
                   ---
इक़  तेरे ही हिज़्र ने इस दिल को मज़रूह किया है
वर्ना दुन्यां में ऐसा कुछ नहीं जो न मयस्सर हुआ है
                  ---
बड़ी मुक़द्दुस-निग़ाहो से देखा किया है शामो-सहर
उन तल्ख़ निग़ाहों का क्या जो दिल पत्थर हुआ है
                   ---
जिस्म पे आ पड़ी जो ज़लालतो की बारिशें क्या हो
मज़बूर ये खाना-बदौश इस दुन्यां में बे-घर हुआ है
                  ---
' ललित'कौन आता है इस विरान में मेरा हाल पुछने
सुना है की कभी इस ओर तेरा रह - गुज़र हुआ है

©Lalit Saxena

#good_night 'दर्द भरी शायरी' 'दर्द भरी शायरी'

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Unsplash एक जलते बुझते दीये क़ी तरह होता हैँ सुख दुख आदमी के हर परिवार का ये वैसे ही हैँ जैसे तेल और बाती जरुरी होती हैँ दीये क़ी जिंदगी के लिए ©Parasram Arora

 Unsplash एक जलते बुझते दीये 
क़ी तरह होता हैँ
सुख  दुख 
आदमी के हर परिवार का 

ये वैसे ही  हैँ जैसे 
तेल और बाती जरुरी 
होती हैँ दीये  क़ी जिंदगी के लिए

©Parasram Arora

सूझ दुख

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#शायरी

'दर्द भरी शायरी'

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'दर्द भरी शायरी'

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#शायरी

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क़लाम -------- मुन्तज़िर सांसों का रूख़सते- वक़्त मुकर्रर हुआ है लगा है दरिचो पर परदे हया के दीदे- दुभर हुआ है --- बे - सम्त हवाओं ने फिर इस ओर रूख़ किया है खुशी से ये दिल फिर से आसमां के बराबर हुआ है --- न उठा निग़ाहें हम पर कुछ तो दर्मियां राज़ रहने दे दफ़्न है इन्हीं में हसरते-ख़्वाब जो उजागर हुआ है --- इक़ तेरे ही हिज़्र ने इस दिल को मज़रूह किया है वर्ना दुन्यां में ऐसा कुछ नहीं जो न मयस्सर हुआ है --- बड़ी मुक़द्दुस-निग़ाहो से देखा किया है शामो-सहर उन तल्ख़ निग़ाहों का क्या जो दिल पत्थर हुआ है --- जिस्म पे आ पड़ी जो ज़लालतो की बारिशें क्या हो मज़बूर ये खाना-बदौश इस दुन्यां में बे-घर हुआ है --- ' ललित'कौन आता है इस विरान में मेरा हाल पुछने सुना है की कभी इस ओर तेरा रह - गुज़र हुआ है ©Lalit Saxena

#शायरी #good_night  क़लाम
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मुन्तज़िर सांसों का रूख़सते- वक़्त मुकर्रर हुआ है
लगा है दरिचो पर परदे हया के दीदे- दुभर हुआ है
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बे - सम्त  हवाओं  ने  फिर इस ओर रूख़ किया है
खुशी से ये दिल फिर से आसमां के बराबर हुआ है
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न उठा निग़ाहें हम पर कुछ तो दर्मियां राज़ रहने दे
दफ़्न है इन्हीं में हसरते-ख़्वाब जो उजागर हुआ है
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इक़  तेरे ही हिज़्र ने इस दिल को मज़रूह किया है
वर्ना दुन्यां में ऐसा कुछ नहीं जो न मयस्सर हुआ है
                  ---
बड़ी मुक़द्दुस-निग़ाहो से देखा किया है शामो-सहर
उन तल्ख़ निग़ाहों का क्या जो दिल पत्थर हुआ है
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जिस्म पे आ पड़ी जो ज़लालतो की बारिशें क्या हो
मज़बूर ये खाना-बदौश इस दुन्यां में बे-घर हुआ है
                  ---
' ललित'कौन आता है इस विरान में मेरा हाल पुछने
सुना है की कभी इस ओर तेरा रह - गुज़र हुआ है

©Lalit Saxena

#good_night 'दर्द भरी शायरी' 'दर्द भरी शायरी'

20 Love

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