White ग़ज़ल
ढ़ूँढ़ने को निकले हैं आज के ज़माने में
दोस्ती की किल्लत है दिल के आशियाने में,
जियो और जीने दो ये अटल हक़ीक़त है ,
क्या समझ के तुम मुझको लग गऐ मिटाने में ,
चाहते हैं ज़हनों में नफरतों की सुलगे आग ,
चैन पाऐं दिल उनके बस्तियाँ जलाने में,
बेवफा कहा तुमने शौक से सुना हमने
हम भी आगे आगे थे क्या जफाऐं ढ़ाने में ,
कत्ल बेगुनाहों का कर रहे हैं जो कातिल
नाम उनके क्यों मुन्सिफ तुम लगे छुपाने में ,
आज गिर गयीं यारो मिरे घर की दिवारें
दख्ल वादो बारिश है क्या उन्हें गिराने में ,
बस कसूर इतना था आपको कहा अपना ,
हो गऐ ख़फ़ा मुझसे लग गऐ सताने में,
अपनी राह से हटकर लग गऐ कहाँ हम भी ,
रास्ते से न वाकिफ़ रास्ता दिखाने में ,
है महान का चर्चा हर जगह मगर गौहर
हैं बराबर हम शामिल हिन्द के बसाने में ,
चौधरी हरदीन कूकना, मकराना
राजस्थान
©CHOUDHARY HARDIN KUKNA
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here