White मेरी असहाय डायरी✍🏼✍🏼✍🏼
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भोर होगा संध्या होगी इस सृष्टि में सब कुछ होगा
न रहेगा कुछ तो वो हूँ मैं
एक एक पन्ने पर उतरे हुए मेरे हृदय के उदगार
सब कुछ रहेगा कविता के रूप में,न रहेगा कुछ तो वो हूँ मैं
शब्द शब्द असहाय होगें औंधे मुंह पड़े होंगे
डायरियों में दुपके पुकारेंगे, सब कुछ मिलेगा,पर न मिलूंगी तो वो हूँ मैं
मेरी असहाय डायरियां असहज महसूस करेंगी
किसी और के स्पर्श से,सबका प्रेम मिलेगा गर कुछ न मिलेगा तो वो हूँ मैं
मेरी मृत्यपरांत अकेली हो जाएंगी मेरी डायरियां ये सोच के सिहर जाती हूँ
जला दी जाएंगी या रद्दी में तोल दी जाएंगी,कुछ न कर सकूंगी तो वो हूँ मैं
ऋचा धर★
©Richa Dhar
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