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New to err is human to forgive divine Status, Photo, Video

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#SAD

because Human attachment is ingirious to health

180 View

कुछ ऐसे खो जाऊँ इन पर्वत के शिखरों में जैसे बंशी हो कृष्ण के अधरों में मैं तुम्हारे रंग, रूप,तासीर में कुछ यूँ समा जाऊँ जैसे सागर की बूँद बस जाती है मेघों में ©Harishh,,,

#कविता  कुछ ऐसे खो जाऊँ
इन पर्वत के शिखरों में 
जैसे बंशी हो
कृष्ण के अधरों में 
मैं तुम्हारे रंग, रूप,तासीर 
में कुछ यूँ समा जाऊँ
जैसे सागर की बूँद
बस  जाती  है  मेघों  में

©Harishh,,,

Divine,,,

16 Love

प्रभु! तुमसे दूर यहाँ,,,, सुकून के दिन नहीं देखे कभी खुशी की रात नहीं आई तुम्हारे बिन ये दुनिया मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई, मैंने सुनना चाहा तुझको आवाज देकर भी दूर पहाडों से फिर भी तेरी कोई आवाज नहीं आई, तुम्हारे बिन ये दुनिया मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई! ©Harishh,,,,,

#कविता  प्रभु! तुमसे दूर यहाँ,,,, 

सुकून के दिन नहीं देखे
कभी खुशी की रात नहीं आई
तुम्हारे बिन ये दुनिया
मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई, 

मैंने सुनना चाहा तुझको
आवाज देकर भी
दूर पहाडों से फिर भी
तेरी कोई आवाज नहीं आई, 
तुम्हारे बिन ये दुनिया
मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई!

©Harishh,,,,,

Divine,

16 Love

#Bhakti

Divine

108 View

#Familiarity #EXPLORE #Confine #Quotes #Mind

#Familiarity #Mind #Confine #EXPLORE Is the human mind confined to familiarity?

108 View

How much can humams err? ©Prem Anand Nallathambi

#Quotes #Human #War #Err  How much can humams err?

©Prem Anand Nallathambi

#Human #Err #War How much can humans err to fall from being human?

12 Love

#SAD

because Human attachment is ingirious to health

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कुछ ऐसे खो जाऊँ इन पर्वत के शिखरों में जैसे बंशी हो कृष्ण के अधरों में मैं तुम्हारे रंग, रूप,तासीर में कुछ यूँ समा जाऊँ जैसे सागर की बूँद बस जाती है मेघों में ©Harishh,,,

#कविता  कुछ ऐसे खो जाऊँ
इन पर्वत के शिखरों में 
जैसे बंशी हो
कृष्ण के अधरों में 
मैं तुम्हारे रंग, रूप,तासीर 
में कुछ यूँ समा जाऊँ
जैसे सागर की बूँद
बस  जाती  है  मेघों  में

©Harishh,,,

Divine,,,

16 Love

प्रभु! तुमसे दूर यहाँ,,,, सुकून के दिन नहीं देखे कभी खुशी की रात नहीं आई तुम्हारे बिन ये दुनिया मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई, मैंने सुनना चाहा तुझको आवाज देकर भी दूर पहाडों से फिर भी तेरी कोई आवाज नहीं आई, तुम्हारे बिन ये दुनिया मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई! ©Harishh,,,,,

#कविता  प्रभु! तुमसे दूर यहाँ,,,, 

सुकून के दिन नहीं देखे
कभी खुशी की रात नहीं आई
तुम्हारे बिन ये दुनिया
मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई, 

मैंने सुनना चाहा तुझको
आवाज देकर भी
दूर पहाडों से फिर भी
तेरी कोई आवाज नहीं आई, 
तुम्हारे बिन ये दुनिया
मुझे बिल्कुल भी रास नहीं आई!

©Harishh,,,,,

Divine,

16 Love

#Bhakti

Divine

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#Familiarity #EXPLORE #Confine #Quotes #Mind

#Familiarity #Mind #Confine #EXPLORE Is the human mind confined to familiarity?

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How much can humams err? ©Prem Anand Nallathambi

#Quotes #Human #War #Err  How much can humams err?

©Prem Anand Nallathambi

#Human #Err #War How much can humans err to fall from being human?

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