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White yaha taklif bhi hai our shor bhi mujhme himmat bhi hai hun kamjor bhi aise toh tum mujhe kho dogi tumhe mai bhi chahiye? our fir koi our bhi..... *___💔💔🖤❤‍🔥 ©Pravin Mishra

#love_shayari #लव  White yaha taklif bhi hai our shor bhi 
mujhme himmat bhi hai hun kamjor bhi 
aise toh tum mujhe kho dogi
tumhe mai bhi chahiye? our fir koi our bhi..... *___💔💔🖤❤‍🔥

©Pravin Mishra

#love_shayari pyari मोहब्बत के लिए...

14 Love

#शायरी

बुआ के लिए शायरी 2025 नया साल बुआ के लिए शायरी

72 View

#Motivational #मदत

#मदत के लिए त्याग ज़रूरी है

99 View

Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे। ©Abhi

#शायरी #lovelife  Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे 
तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे।

©Abhi

#lovelife शायरी मोहब्बत के लिए

6 Love

White कितना अद्भुत रहस्य है जिसके पास सब कुछ हो वो कभी समझ नही पाता है । जिसके पास कुछ नहीं वो हर खुशी चाहता है । कोई जीना भूल गया कमाने के चक्कर मे । कोई खाना भी भूल जाता हैं करोड़ों की बहस मैं। कोई दुनियां भुलाकर सोता है खुले आसमान के नीचे । किसी को मखमली बिस्तर होके भी चैन नहीं पाता है । कोई हार जाता हैं जमाने में अपनों की बदौलत कोई गैरों के लिए भी जी के चला जाता हैं । खाली हाथ लौट जाता हैं एक रोज हर कोई । शायद इस सफर को कोई कभी समझ पाया है । ©Vs Nagerkoti

#मोटिवेशनल #good_night  White कितना अद्भुत रहस्य है 

जिसके पास सब कुछ हो वो कभी समझ
नही पाता है  ।
जिसके पास कुछ नहीं वो हर खुशी चाहता है ।
कोई जीना भूल गया कमाने के चक्कर मे ।
कोई खाना भी भूल जाता हैं करोड़ों की बहस 
मैं।
कोई दुनियां भुलाकर सोता है खुले आसमान 
के नीचे ।
किसी को मखमली बिस्तर होके भी चैन नहीं 
पाता है ।
कोई हार जाता हैं जमाने में अपनों की बदौलत 
कोई गैरों के लिए भी जी के चला जाता हैं ।
खाली हाथ लौट जाता हैं एक रोज हर कोई ।
शायद इस सफर को कोई कभी समझ पाया 
है ।

©Vs Nagerkoti

#good_night इस दुनियां की अनगिनत कहानियां ।

13 Love

सुबह के 5 बज चुके है तो जमाने ए बंदिश खैर एक खयाल एक गजल देखिए रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी (मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना) नही है रही अब फितरत हमारी मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से क्यों हया-ए- आबरू खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी (मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे इसे बेफिकर होकर जियो निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार ©Rahul Varsatiy Parmar

#foryoupapa  सुबह के 5 बज चुके है तो

जमाने ए बंदिश

खैर एक खयाल एक गजल देखिए
रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है
हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है
ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी
अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी
(मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना)
 नही है रही अब फितरत हमारी
मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी
हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से
क्यों हया-ए- आबरू  खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी

(मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) 

इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे  इसे बेफिकर होकर जियो
निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार

©Rahul Varsatiy Parmar

#foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #

19 Love

White yaha taklif bhi hai our shor bhi mujhme himmat bhi hai hun kamjor bhi aise toh tum mujhe kho dogi tumhe mai bhi chahiye? our fir koi our bhi..... *___💔💔🖤❤‍🔥 ©Pravin Mishra

#love_shayari #लव  White yaha taklif bhi hai our shor bhi 
mujhme himmat bhi hai hun kamjor bhi 
aise toh tum mujhe kho dogi
tumhe mai bhi chahiye? our fir koi our bhi..... *___💔💔🖤❤‍🔥

©Pravin Mishra

#love_shayari pyari मोहब्बत के लिए...

14 Love

#शायरी

बुआ के लिए शायरी 2025 नया साल बुआ के लिए शायरी

72 View

#Motivational #मदत

#मदत के लिए त्याग ज़रूरी है

99 View

Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे। ©Abhi

#शायरी #lovelife  Unsplash ये सातों जन्म का साथ है इसे हम नहीं तोड़ेंगे 
तूने भलाई छोड़ दिया हो हमें हम तुझे नहीं छोड़ेंगे।

©Abhi

#lovelife शायरी मोहब्बत के लिए

6 Love

White कितना अद्भुत रहस्य है जिसके पास सब कुछ हो वो कभी समझ नही पाता है । जिसके पास कुछ नहीं वो हर खुशी चाहता है । कोई जीना भूल गया कमाने के चक्कर मे । कोई खाना भी भूल जाता हैं करोड़ों की बहस मैं। कोई दुनियां भुलाकर सोता है खुले आसमान के नीचे । किसी को मखमली बिस्तर होके भी चैन नहीं पाता है । कोई हार जाता हैं जमाने में अपनों की बदौलत कोई गैरों के लिए भी जी के चला जाता हैं । खाली हाथ लौट जाता हैं एक रोज हर कोई । शायद इस सफर को कोई कभी समझ पाया है । ©Vs Nagerkoti

#मोटिवेशनल #good_night  White कितना अद्भुत रहस्य है 

जिसके पास सब कुछ हो वो कभी समझ
नही पाता है  ।
जिसके पास कुछ नहीं वो हर खुशी चाहता है ।
कोई जीना भूल गया कमाने के चक्कर मे ।
कोई खाना भी भूल जाता हैं करोड़ों की बहस 
मैं।
कोई दुनियां भुलाकर सोता है खुले आसमान 
के नीचे ।
किसी को मखमली बिस्तर होके भी चैन नहीं 
पाता है ।
कोई हार जाता हैं जमाने में अपनों की बदौलत 
कोई गैरों के लिए भी जी के चला जाता हैं ।
खाली हाथ लौट जाता हैं एक रोज हर कोई ।
शायद इस सफर को कोई कभी समझ पाया 
है ।

©Vs Nagerkoti

#good_night इस दुनियां की अनगिनत कहानियां ।

13 Love

सुबह के 5 बज चुके है तो जमाने ए बंदिश खैर एक खयाल एक गजल देखिए रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी (मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना) नही है रही अब फितरत हमारी मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से क्यों हया-ए- आबरू खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी (मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे इसे बेफिकर होकर जियो निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार ©Rahul Varsatiy Parmar

#foryoupapa  सुबह के 5 बज चुके है तो

जमाने ए बंदिश

खैर एक खयाल एक गजल देखिए
रातों की नींद से (अदावत/ दुश्मनी) हो गई है
हमे भी ज़माने के रिवाजों से (कदूरत/ नफरत) हो गई है
ज़माने- ए- बंदिश में कैद है (आबरू/ इज्जत) ) हमारी
अब खुद को ही खामोश कर रही है खामोशी हमारी
(मशगूल-ए- महफिल /मिलना जुलना)
 नही है रही अब फितरत हमारी
मशरूफ-ए-बेरुखी जिंदगी खुद से हमारी
हिदायत-ए -दिल है की मुखातिब हो ज़माने से
क्यों हया-ए- आबरू  खौफ से गुजरे जिंदगी हमारी

(मशरूफ/व्यस्त,) (बेरुखी/नाराजगी,)( हिदायत/ सलाह ,) (मुखातिब/ सामना,) (हया ए आबरू/ शर्म) ,(खौफ/ डर) 

इस गजल का सीधा सा मतलब है 4 लोगो क्या कहेंगे  इसे बेफिकर होकर जियो
निर्मला पुत्र सिद्धांत परमार

©Rahul Varsatiy Parmar

#foryoupapa जिंदगी खुद के लिए जियो समाज के लिए नही #

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