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मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां चले अत्याचारों से लिपटी धरती सब तुम्हारी करनी है आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी सब तुम्हारी निशानी है पाप कर्म और मक्कारी का दिया जलाया तुमने है खून बहा के निर्दोषों का धन कमाया तुमने है मुद्दा बनाके जाति - पांति का आपस में लड़वाया तुमने है उसी से भड़कती है हिंसा उसी से रोटी सेंकी है और कौन से कुकर्म हैं बाकी जो तुमने आगे करने हैं धरती माता पर और लहू की बारिश करनी तुमने है मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल झोंक कर कहां चले ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मंत्री जी
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल उड़ा कर कहां चले
अत्याचारों से लिपटी धरती
सब तुम्हारी करनी है
आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी
सब तुम्हारी निशानी है
पाप कर्म और मक्कारी का
दिया जलाया तुमने है
खून बहा के निर्दोषों का
धन कमाया तुमने है
मुद्दा बनाके जाति - पांति का
आपस में लड़वाया तुमने है
उसी से भड़कती है हिंसा
उसी से रोटी सेंकी है
और कौन से कुकर्म हैं बाकी
जो तुमने आगे करने हैं
धरती माता पर और लहू की
बारिश करनी तुमने है
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल झोंक कर कहां चले
…………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां च

22 Love

#rohanroymotivation #dailymotivation #RohanRoy  White जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, 
आवाज हमें ना सुनाई देगा।
तब कैसे एक बेटी का, 
तड़पना अब हमें दिखाई देगा।
जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, 
तब नर में छिपा जानवर मिला। 
हिफाजत मांगती आवाज लगाई, 
फिर लाखों भीड़ में एक ना दिखा।
क्यों बढ़ रहे हैं दरिंदगी के हौसले, 
या बढ़ रहे सितम समाज में।
फिर लिखते क्यों है ऐसी कहानी, 
जो पढ़ ना सके कल और आज में। 
लाख बुराइयों को मिटाए, 
फिर भी ना मिटे बुराई समाज में।
जब तक बुराई विचारों से नहीं मिटती, 
यह बीमारी मिलेगी कल और आज में। 
जब मिला सहारा इस जीवन का, 
इस ऋण को चुकाना भी होगा। 
जैसा खेल रचा है तुमने, 
इसका परिणाम अवश्य मिलेगा।
Author_ _Rohan Roy

©Rohan Roy

जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में

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मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां चले अत्याचारों से लिपटी धरती सब तुम्हारी करनी है आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी सब तुम्हारी निशानी है पाप कर्म और मक्कारी का दिया जलाया तुमने है खून बहा के निर्दोषों का धन कमाया तुमने है मुद्दा बनाके जाति - पांति का आपस में लड़वाया तुमने है उसी से भड़कती है हिंसा उसी से रोटी सेंकी है और कौन से कुकर्म हैं बाकी जो तुमने आगे करने हैं धरती माता पर और लहू की बारिश करनी तुमने है मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल झोंक कर कहां चले ……………………………. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindipoetry #sandiprohila #nojotohindi  मंत्री जी
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल उड़ा कर कहां चले
अत्याचारों से लिपटी धरती
सब तुम्हारी करनी है
आतंकवाद की बढ़ती दरिंदगी
सब तुम्हारी निशानी है
पाप कर्म और मक्कारी का
दिया जलाया तुमने है
खून बहा के निर्दोषों का
धन कमाया तुमने है
मुद्दा बनाके जाति - पांति का
आपस में लड़वाया तुमने है
उसी से भड़कती है हिंसा
उसी से रोटी सेंकी है
और कौन से कुकर्म हैं बाकी
जो तुमने आगे करने हैं
धरती माता पर और लहू की
बारिश करनी तुमने है
मंत्री जी ओ मंत्री जी
मुंह उठा कर कहां चले
धोती कुर्ता पहन के टोपी
धूल झोंक कर कहां चले
…………………………….
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit

#मंत्री_जी #nojotohindi #nojotohindipoetry मंत्री जी मंत्री जी ओ मंत्री जी मुंह उठा कर कहां चले धोती कुर्ता पहन के टोपी धूल उड़ा कर कहां च

22 Love

#rohanroymotivation #dailymotivation #RohanRoy  White जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, 
आवाज हमें ना सुनाई देगा।
तब कैसे एक बेटी का, 
तड़पना अब हमें दिखाई देगा।
जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, 
तब नर में छिपा जानवर मिला। 
हिफाजत मांगती आवाज लगाई, 
फिर लाखों भीड़ में एक ना दिखा।
क्यों बढ़ रहे हैं दरिंदगी के हौसले, 
या बढ़ रहे सितम समाज में।
फिर लिखते क्यों है ऐसी कहानी, 
जो पढ़ ना सके कल और आज में। 
लाख बुराइयों को मिटाए, 
फिर भी ना मिटे बुराई समाज में।
जब तक बुराई विचारों से नहीं मिटती, 
यह बीमारी मिलेगी कल और आज में। 
जब मिला सहारा इस जीवन का, 
इस ऋण को चुकाना भी होगा। 
जैसा खेल रचा है तुमने, 
इसका परिणाम अवश्य मिलेगा।
Author_ _Rohan Roy

©Rohan Roy

जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में

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