White इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा,
टूटा है दिल मेरा, जाम कौन उठाएगा।
सुना है मैखाने हर दर्द का मर्ज हैं यारों,
वहाँ तक मुझको कौन ले जाएगा।
ज़ख़्मी दिल की दवा कहाँ मिलती है,
मुझे भी उस गली का पता बताएगा।
जहाँ टूटे अरमानों का सवेरा होता है,
जो ग़म के अंधेरों में चिराग़ जलाएगा।
ग़म का समंदर यहाँ गहरा है बहुत,
डूबते दिल को साहिल कौन दिखाएगा।
जो हारे हैं मोहब्बत की बाज़ी यहाँ,
उनका मुक़द्दर फिर कौन बनाएगा।
इन रास्तों में अकेले ही चलना है अब,
साथ कोई नहीं जो साथ निभाएगा।
फिर भी दिल में यही एक सवाल बाकी है,
इस तबाही का जश्न कौन मनाएगा।
©theABHAYSINGH_BIPIN
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here