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New सावन जैसा भी हो Status, Photo, Video

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#शायरी #तेरे #जैसा #मामा
#vksrivastav #Trending #viral #SAD  Unsplash वक्त जैसा भी रहा उसके साथ
चलता रहा
ज़रा ज़रा सा बर्फ की तरह
पिघलता रहा
ज़ख़्म होता रहा पांवों में दर्द होता रहा
मैं भी ज़िद्दी हूं मैं हर दर्द को
निगलता रहा

©Vk srivastav

वक्त जैसा भी रहा उसके साथ चलता रहा #SAD #Trending #viral #Shayari #vksrivastav

108 View

White {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास हो, भीलनी की जैसी आस हो, दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा के जैसा इंतजार हो, तो भगवान श्री कृष्ण जी को आना ही पड़ता है। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #sad_quotes  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास 
हो, भीलनी की जैसी आस हो,  
दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा 
के जैसा इंतजार हो, तो भगवान 
श्री कृष्ण जी को आना ही पड़ता है।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास हो, भीलनी की जैसी आस हो, दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा के जैसा इंतजार

13 Love

#विचार  White ईस धरती पर जब किसी पुरुष या स्त्री को दौलत या खुबसूरती पर घमड हो जाये तो समसान घाट के एक चक्कर लगाले उससे खुबसूरत और बडेसे बडे हस्ती जल कर राख पडे है।

©RAMLALIT NIRALA

कभी भी किसी भी चीज पर घमड नहीं करनी चाहिए वो चाहै पैसा हो खुबसूरती हो

72 View

#लव

मैरे hi जैसा

162 View

पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर

#कविता  पहाड़ों से निकली एक धारा खास,
सपनों से भरी, एक नई तलाश।
पत्थरों से टकराई, राह बनाई,
हर दर्द को हँसी में समेट लाई।।
हर ठोकर को उसने गले लगाया,
रुकना उसकी किस्मत में नहीं था।
दर्द से उसने अपना राग बनाया,
सच में, वो कभी थमा नहीं था।।
जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई,
उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।।
सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा,
उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा।
नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ,
पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।।
फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई,
सागर के आँचल में हर याद बस गई।

©नवनीत ठाकुर

फना हो कर भी अमर हो गए

14 Love

#शायरी #तेरे #जैसा #मामा
#vksrivastav #Trending #viral #SAD  Unsplash वक्त जैसा भी रहा उसके साथ
चलता रहा
ज़रा ज़रा सा बर्फ की तरह
पिघलता रहा
ज़ख़्म होता रहा पांवों में दर्द होता रहा
मैं भी ज़िद्दी हूं मैं हर दर्द को
निगलता रहा

©Vk srivastav

वक्त जैसा भी रहा उसके साथ चलता रहा #SAD #Trending #viral #Shayari #vksrivastav

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White {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास हो, भीलनी की जैसी आस हो, दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा के जैसा इंतजार हो, तो भगवान श्री कृष्ण जी को आना ही पड़ता है। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #sad_quotes  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास 
हो, भीलनी की जैसी आस हो,  
दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा 
के जैसा इंतजार हो, तो भगवान 
श्री कृष्ण जी को आना ही पड़ता है।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} अगर भक्त प्रहलाद जैसा विस्वास हो, भीलनी की जैसी आस हो, दरोपति की जैसी पुकार हो, मीरा के जैसा इंतजार

13 Love

#विचार  White ईस धरती पर जब किसी पुरुष या स्त्री को दौलत या खुबसूरती पर घमड हो जाये तो समसान घाट के एक चक्कर लगाले उससे खुबसूरत और बडेसे बडे हस्ती जल कर राख पडे है।

©RAMLALIT NIRALA

कभी भी किसी भी चीज पर घमड नहीं करनी चाहिए वो चाहै पैसा हो खुबसूरती हो

72 View

#लव

मैरे hi जैसा

162 View

पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर

#कविता  पहाड़ों से निकली एक धारा खास,
सपनों से भरी, एक नई तलाश।
पत्थरों से टकराई, राह बनाई,
हर दर्द को हँसी में समेट लाई।।
हर ठोकर को उसने गले लगाया,
रुकना उसकी किस्मत में नहीं था।
दर्द से उसने अपना राग बनाया,
सच में, वो कभी थमा नहीं था।।
जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई,
उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।।
सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा,
उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा।
नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ,
पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।।
फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई,
सागर के आँचल में हर याद बस गई।

©नवनीत ठाकुर

फना हो कर भी अमर हो गए

14 Love

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