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"Toot Ke Bhi Khud Ko Sambhala"
तेरी यादों का मौसम फिर छाने लगा, आँखों में बेचैनी यूँ आने लगा। दिल के आईने में तेरा अक्स है, पर अब मैं नहीं हूँ जो पहले था।
टूट कर भी खुद को संभाला, अंधेरों से रोशनी को निकाला। अब तेरे बिना भी जीना है, खुद को खुद से ही सींचना है।
अब न तेरा ग़म, अब न वो दर्द, मैं चल पड़ा हूँ नई राहों पर। जो बीत गया, बस बीत गया, ज़िंदगी ने नया पन्ना लिखा।
आँखों में सपने नए जगमगाए, बीते लम्हों को मैं भूल आया। तेरी हँसी का जादू जो था, अब उसकी कड़वाहट भी खो गया।
अब कोई शिकवा बाकी नहीं, अब कोई आंसू भारी नहीं। जो आया, वो सीखने के लिए था, अब मैं खुद की मंज़िल हूँ अपना खुदा।
तो चलूँगा मैं बेफिक्र हवा में, न देखूँगा मैं तेरी दिशा में। अब मैं हूँ, मेरी राहें हैं, दिल में नई उम्मीदें, नई चाहें हैं।
©Yash Agarwal
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