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............................... ©Prashant Shakun "कातिब"

#wishes  ...............................

©Prashant Shakun "कातिब"

@Writer म्हारी लाडो, शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂 छोटी सी परी के जैसी

21 Love

ईहे माटी, इहे संस्कार चाही .... हे छठी मईया! अगर दुबारा जनम होखे, त दुबारा भी हमके बिहार चाही...❤️ jaychhathimaiya...❤️ ©s गोल्डी

#wishes  ईहे माटी, इहे संस्कार चाही ....

हे छठी मईया!
अगर दुबारा जनम होखे, त दुबारा भी हमके 
बिहार चाही...❤️

jaychhathimaiya...❤️

©s गोल्डी

ईहे माटी, इहे संस्कार चाही .... हे छठी मईया! अगर दुबारा जनम होखे, त दुबारा भी हमके बिहार चाही...❤️ jaychhathimaiya...❤️

11 Love

White तुम्हें देखते देखते जिंदगी कम पड़ गयी तो ये दिन क्या चीज़ हैं , ये रात क्या चीज हैं ? कितने जनम जी लिए एक ही जनम में भूल गए उम्र क्या चीज हैं ? याद हैं साथ क्या चीज हैं | ©gaTTubaba

#शायरी #karwachouth  White तुम्हें देखते देखते जिंदगी कम पड़ गयी 
तो ये दिन क्या चीज़ हैं , ये रात क्या चीज हैं ?

कितने जनम जी लिए एक ही जनम में 
भूल गए उम्र क्या चीज हैं ? याद हैं साथ क्या चीज हैं |

©gaTTubaba

#karwachouth तुम्हें देखते देखते जिंदगी कम पड़ गयी तो ये दिन क्या चीज़ हैं , ये रात क्या चीज हैं ? कितने जनम जी लिए एक ही जनम में भूल गए

22 Love

#कविता #sunset_time  White 
चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब पर है।
जीवन तो चल रही है यु ही आजकल लोग हों रहें हैं चांद, तारों से दूर जिंदगी जीए जा रहें हैं जैसे कोई हिसाब पर है।

शरद की पुर्णिमा तो बरस रही है।
कृष्ण से मिलने को राधा तरस रही है।
अब न जाने रास क्यों नहीं हो रहा है। दुःख से तड़प रहा इंसान,मानव भगवान से दूर कहीं खो रहा है। इसलिए इंसान रो रहा है।

शरद पूर्णिमा की चांद की खुबसूरती जैसे प्रिया मिलन को सजी है।
गहरे आकाश के माथे पर बसी कोई दुल्हन की बिंदी है।

मंद मंद हवा बह रही है रात शीतल है। पेड़ पौधों के पत्ते डोल रहें हैं।
तारों की बारात लेकर शरद की पुर्णिमा की चंद्रमा सुंदर सजी है।

शरद पूर्णिमा में मैं बेगाना कवि प्रियसी की याद में रो रहा हूं।
कब वो देंगी दर्शन मुझे बस यही चांद को देख सोच रहा हूं।

वादियों में आज अजीब सा नशा है।
क्यों की इस चांदनी रात में उसकी याद दिल में बसा है।
जनम जनम से उसकी ही तलाश है।
इस शरद पूर्णिमा में उस प्रभु से मिलन की आस है।

©IG @kavi_neetesh

#sunset_time Hinduism प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविताकविता। शरद पूर्णिमा। चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब प

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............................... ©Prashant Shakun "कातिब"

#wishes  ...............................

©Prashant Shakun "कातिब"

@Writer म्हारी लाडो, शेरनी, शेरुआ, नंदू, नंदी, नंदिता, मोटी, मोटो, क्यूटी बच्चा... समय के साथ और भी नाम मिलते रहेंगे😂 छोटी सी परी के जैसी

21 Love

ईहे माटी, इहे संस्कार चाही .... हे छठी मईया! अगर दुबारा जनम होखे, त दुबारा भी हमके बिहार चाही...❤️ jaychhathimaiya...❤️ ©s गोल्डी

#wishes  ईहे माटी, इहे संस्कार चाही ....

हे छठी मईया!
अगर दुबारा जनम होखे, त दुबारा भी हमके 
बिहार चाही...❤️

jaychhathimaiya...❤️

©s गोल्डी

ईहे माटी, इहे संस्कार चाही .... हे छठी मईया! अगर दुबारा जनम होखे, त दुबारा भी हमके बिहार चाही...❤️ jaychhathimaiya...❤️

11 Love

White तुम्हें देखते देखते जिंदगी कम पड़ गयी तो ये दिन क्या चीज़ हैं , ये रात क्या चीज हैं ? कितने जनम जी लिए एक ही जनम में भूल गए उम्र क्या चीज हैं ? याद हैं साथ क्या चीज हैं | ©gaTTubaba

#शायरी #karwachouth  White तुम्हें देखते देखते जिंदगी कम पड़ गयी 
तो ये दिन क्या चीज़ हैं , ये रात क्या चीज हैं ?

कितने जनम जी लिए एक ही जनम में 
भूल गए उम्र क्या चीज हैं ? याद हैं साथ क्या चीज हैं |

©gaTTubaba

#karwachouth तुम्हें देखते देखते जिंदगी कम पड़ गयी तो ये दिन क्या चीज़ हैं , ये रात क्या चीज हैं ? कितने जनम जी लिए एक ही जनम में भूल गए

22 Love

#कविता #sunset_time  White 
चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब पर है।
जीवन तो चल रही है यु ही आजकल लोग हों रहें हैं चांद, तारों से दूर जिंदगी जीए जा रहें हैं जैसे कोई हिसाब पर है।

शरद की पुर्णिमा तो बरस रही है।
कृष्ण से मिलने को राधा तरस रही है।
अब न जाने रास क्यों नहीं हो रहा है। दुःख से तड़प रहा इंसान,मानव भगवान से दूर कहीं खो रहा है। इसलिए इंसान रो रहा है।

शरद पूर्णिमा की चांद की खुबसूरती जैसे प्रिया मिलन को सजी है।
गहरे आकाश के माथे पर बसी कोई दुल्हन की बिंदी है।

मंद मंद हवा बह रही है रात शीतल है। पेड़ पौधों के पत्ते डोल रहें हैं।
तारों की बारात लेकर शरद की पुर्णिमा की चंद्रमा सुंदर सजी है।

शरद पूर्णिमा में मैं बेगाना कवि प्रियसी की याद में रो रहा हूं।
कब वो देंगी दर्शन मुझे बस यही चांद को देख सोच रहा हूं।

वादियों में आज अजीब सा नशा है।
क्यों की इस चांदनी रात में उसकी याद दिल में बसा है।
जनम जनम से उसकी ही तलाश है।
इस शरद पूर्णिमा में उस प्रभु से मिलन की आस है।

©IG @kavi_neetesh

#sunset_time Hinduism प्रेम कविता हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता देशभक्ति कविताकविता। शरद पूर्णिमा। चांदनी रात शरद पूर्णिमा पुरे शबाब प

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