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New उत्तल दर्पण के उपयोग बताइए Status, Photo, Video

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White रिश्ता इस तरह रहा तुझसे टोका वक्त की बंदिशों ने समझा तूने अनकहे ही तो दामन को दर्पण बनाया मैंने।। ©Mohan Sardarshahari

#शायरी  White रिश्ता इस तरह रहा तुझसे
टोका वक्त की बंदिशों ने 
समझा तूने अनकहे ही तो
दामन को दर्पण बनाया मैंने।।

©Mohan Sardarshahari

# दर्पण

14 Love

अंतरमन ही मेरा दर्पण

144 View

{Bolo Ji Radhey Radhey} कुछ भी करना समय की बर्वादी नहीं है, यदि आप भगवान श्री कृष्ण जी का मन से सुमिरन के साथ, अपने अनुभव को समझदारी से प्रयोग व उपयोग करे !! ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
कुछ भी करना समय की बर्वादी 
नहीं है, यदि आप भगवान 
श्री कृष्ण जी का मन से सुमिरन 
के साथ, अपने अनुभव को 
समझदारी से प्रयोग व उपयोग करे !!

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} कुछ भी करना समय की बर्वादी नहीं है, यदि आप भगवान श्री कृष्ण जी का मन से सुमिरन के साथ, अपने अनुभव को स

16 Love

White दर्पण जो देखा एक दिन सच पता चल गया दर्पण जो देखा एक दिन, सच पता चल गया, चेहरे पर हँसी थी लेकिन, मन का रंग बदल गया। आँखों की चमक तो थी, पर आंसू भी छिपे थे, जो सोचा था सजीव था, वो तो बस सपने थे। चेहरे पर थे नक़ाब कई, हँसी थी अधूरी, आत्मा की पुकार थी, दिल में छिपी मजबूरी। जीवन की इस दौड़ में, खो दिया था ख़ुद को, भीड़ में ढूँढा ख़ुद को, पर कोई ना मिला था वो। सपनों के पीछे भागते, हकीकत भूल बैठे, दर्पण ने दिखा दिया, हम कहाँ से गुजर बैठे। असली ख़ुशी वो नहीं, जो बाहरी रूप में दिखती, ख़ुशी तो वही होती है, जो दिल की गहराई से उठती। अब जाना ये सच्चाई, जो दर्पण ने सिखाई, ख़ुद से प्यार करना है, यही तो है सफ़ाई। चेहरे के पीछे की रौनक, मन से ही आती है, दर्पण जो देखा एक दिन, सच्चाई समझ आती है। ©aditi the writer

#कविता #दर्पण  White दर्पण जो देखा एक दिन सच पता चल गया

दर्पण जो देखा एक दिन, सच पता चल गया,
चेहरे पर हँसी थी लेकिन, मन का रंग बदल गया।
आँखों की चमक तो थी, पर आंसू भी छिपे थे,
जो सोचा था सजीव था, वो तो बस सपने थे।

चेहरे पर थे नक़ाब कई, हँसी थी अधूरी,
आत्मा की पुकार थी, दिल में छिपी मजबूरी।
जीवन की इस दौड़ में, खो दिया था ख़ुद को,
भीड़ में ढूँढा ख़ुद को, पर कोई ना मिला था वो।

सपनों के पीछे भागते, हकीकत भूल बैठे,
दर्पण ने दिखा दिया, हम कहाँ से गुजर बैठे।
असली ख़ुशी वो नहीं, जो बाहरी रूप में दिखती,
ख़ुशी तो वही होती है, जो दिल की गहराई से उठती।

अब जाना ये सच्चाई, जो दर्पण ने सिखाई,
ख़ुद से प्यार करना है, यही तो है सफ़ाई।
चेहरे के पीछे की रौनक, मन से ही आती है,
दर्पण जो देखा एक दिन, सच्चाई समझ आती है।

©aditi the writer

White #दर्पण समझा सदा कमज़ोर ख़ुद को ,अपनी काबलियत को कब जाना, जकड़ी रही ज़माने की बेड़ियों में ,मेरा वजूद भी रहा मुझसे अंजाना, एक कठपुतली के जैसे मै, जिंदगी भर नाचती रही, रो रोकर अपना गुमनाम सा , भाग्य बांचती रही, खो गए थे ख़्वाब भी, मेरे वक़्त की बयार में, चल रही थी जिंदगी मेरी, अपने पूरे रफ्तार में, बिलखे थे अरमान मेरे,मेरी अपनी नाकामी पर, कितने गहरे ज़ख्म लगे थे ,मेरी बेनाम जिंदगानी पर, फिर एक दिन जब 'दर्पण' में ख़ुद की, परछाई को निहारा था , पहचाना था तब ख़ुद को मैंने , मिला एक सहारा था, तोड़ कर हर बन्धन मैंने ,ज़ब ज़माने से नज़र मिलाई, मुझको मेरी शक्ति, मेरे मन दर्पण ने दिखलाई, निकल पड़ी फ़िर एक दिन ,अपनी पहचान बनाने को, कमज़ोर नही मैं साहसी हूँ , ये दुनिया को दिखलाने को ,।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey

#नोजोटोहिन्दी #पूनमकीकलमसे #मोटिवेशनल #दर्पण  White #दर्पण  

समझा  सदा  कमज़ोर  ख़ुद  को ,अपनी काबलियत को कब जाना,
जकड़ी रही ज़माने की बेड़ियों में ,मेरा वजूद भी रहा मुझसे अंजाना,

एक कठपुतली के जैसे मै, जिंदगी भर नाचती रही,
रो रोकर  अपना  गुमनाम सा ,   भाग्य बांचती रही, 

खो    गए    थे    ख़्वाब भी, मेरे    वक़्त की बयार में,
चल    रही      थी  जिंदगी मेरी, अपने  पूरे  रफ्तार में,

बिलखे        थे    अरमान मेरे,मेरी  अपनी नाकामी पर,
कितने   गहरे ज़ख्म लगे थे ,मेरी बेनाम जिंदगानी पर,

फिर    एक    दिन जब 'दर्पण' में ख़ुद की, परछाई को निहारा था ,
पहचाना      था     तब ख़ुद को मैंने  , मिला एक सहारा था,

तोड़ कर हर बन्धन मैंने ,ज़ब ज़माने से नज़र मिलाई,
मुझको   मेरी शक्ति, मेरे मन  दर्पण ने दिखलाई,

निकल पड़ी फ़िर एक दिन ,अपनी पहचान बनाने को,
कमज़ोर    नही मैं साहसी हूँ , ये दुनिया को दिखलाने को ,।।
                             
पूनम आत्रेय

©poonam atrey
#olympics  छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है।

रायपुर छत्तीसगढ़।

हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की पुलिस इतनी बेकार हो चुकी है की क्या बोला जाए।

एक महिला और एक पुरुष थाने मे जाते है।

महिला ने थाने के (Ghanshyam sahu) जो की एक फुल वाला पुलिस कर्मी है।

वो पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोला की तुम बेकुफ और चुतीया इन्सान हो।

ये कहेना है उस पुलिस कर्मी का जिसका नाम है (ghanshyam sahu) है।

ये पुलिस कर्मी का कार्य नही होता है।

दोनो पक्ष की बात सुनकर फैसला देना चाहिए।

लेकिन ये पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोलता है

की तेरे उपर (fir) दर्ज़ कर के जेल भेजूगा।

लेकिन ये पुलिस कर्मी जिस पुरुष को ये सब बोल रहा है वो ये नही

जानता है की वो पुरुष एक पत्रकार है।

वो इसकी बात को क्यु चुप चाप से सुन रहा था।

अब आप ही देखीये की पुलिस कर्मी किस प्रकार से अपना कार्य कर रहे है।

ये पुलिस कर्मी (ghamshayam sahu) अपने आप को थाना प्रभारी समझने लगते है।

©amnewsnational

छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प

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White रिश्ता इस तरह रहा तुझसे टोका वक्त की बंदिशों ने समझा तूने अनकहे ही तो दामन को दर्पण बनाया मैंने।। ©Mohan Sardarshahari

#शायरी  White रिश्ता इस तरह रहा तुझसे
टोका वक्त की बंदिशों ने 
समझा तूने अनकहे ही तो
दामन को दर्पण बनाया मैंने।।

©Mohan Sardarshahari

# दर्पण

14 Love

अंतरमन ही मेरा दर्पण

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{Bolo Ji Radhey Radhey} कुछ भी करना समय की बर्वादी नहीं है, यदि आप भगवान श्री कृष्ण जी का मन से सुमिरन के साथ, अपने अनुभव को समझदारी से प्रयोग व उपयोग करे !! ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #navratri  {Bolo Ji Radhey Radhey}
कुछ भी करना समय की बर्वादी 
नहीं है, यदि आप भगवान 
श्री कृष्ण जी का मन से सुमिरन 
के साथ, अपने अनुभव को 
समझदारी से प्रयोग व उपयोग करे !!

©N S Yadav GoldMine

#navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} कुछ भी करना समय की बर्वादी नहीं है, यदि आप भगवान श्री कृष्ण जी का मन से सुमिरन के साथ, अपने अनुभव को स

16 Love

White दर्पण जो देखा एक दिन सच पता चल गया दर्पण जो देखा एक दिन, सच पता चल गया, चेहरे पर हँसी थी लेकिन, मन का रंग बदल गया। आँखों की चमक तो थी, पर आंसू भी छिपे थे, जो सोचा था सजीव था, वो तो बस सपने थे। चेहरे पर थे नक़ाब कई, हँसी थी अधूरी, आत्मा की पुकार थी, दिल में छिपी मजबूरी। जीवन की इस दौड़ में, खो दिया था ख़ुद को, भीड़ में ढूँढा ख़ुद को, पर कोई ना मिला था वो। सपनों के पीछे भागते, हकीकत भूल बैठे, दर्पण ने दिखा दिया, हम कहाँ से गुजर बैठे। असली ख़ुशी वो नहीं, जो बाहरी रूप में दिखती, ख़ुशी तो वही होती है, जो दिल की गहराई से उठती। अब जाना ये सच्चाई, जो दर्पण ने सिखाई, ख़ुद से प्यार करना है, यही तो है सफ़ाई। चेहरे के पीछे की रौनक, मन से ही आती है, दर्पण जो देखा एक दिन, सच्चाई समझ आती है। ©aditi the writer

#कविता #दर्पण  White दर्पण जो देखा एक दिन सच पता चल गया

दर्पण जो देखा एक दिन, सच पता चल गया,
चेहरे पर हँसी थी लेकिन, मन का रंग बदल गया।
आँखों की चमक तो थी, पर आंसू भी छिपे थे,
जो सोचा था सजीव था, वो तो बस सपने थे।

चेहरे पर थे नक़ाब कई, हँसी थी अधूरी,
आत्मा की पुकार थी, दिल में छिपी मजबूरी।
जीवन की इस दौड़ में, खो दिया था ख़ुद को,
भीड़ में ढूँढा ख़ुद को, पर कोई ना मिला था वो।

सपनों के पीछे भागते, हकीकत भूल बैठे,
दर्पण ने दिखा दिया, हम कहाँ से गुजर बैठे।
असली ख़ुशी वो नहीं, जो बाहरी रूप में दिखती,
ख़ुशी तो वही होती है, जो दिल की गहराई से उठती।

अब जाना ये सच्चाई, जो दर्पण ने सिखाई,
ख़ुद से प्यार करना है, यही तो है सफ़ाई।
चेहरे के पीछे की रौनक, मन से ही आती है,
दर्पण जो देखा एक दिन, सच्चाई समझ आती है।

©aditi the writer

White #दर्पण समझा सदा कमज़ोर ख़ुद को ,अपनी काबलियत को कब जाना, जकड़ी रही ज़माने की बेड़ियों में ,मेरा वजूद भी रहा मुझसे अंजाना, एक कठपुतली के जैसे मै, जिंदगी भर नाचती रही, रो रोकर अपना गुमनाम सा , भाग्य बांचती रही, खो गए थे ख़्वाब भी, मेरे वक़्त की बयार में, चल रही थी जिंदगी मेरी, अपने पूरे रफ्तार में, बिलखे थे अरमान मेरे,मेरी अपनी नाकामी पर, कितने गहरे ज़ख्म लगे थे ,मेरी बेनाम जिंदगानी पर, फिर एक दिन जब 'दर्पण' में ख़ुद की, परछाई को निहारा था , पहचाना था तब ख़ुद को मैंने , मिला एक सहारा था, तोड़ कर हर बन्धन मैंने ,ज़ब ज़माने से नज़र मिलाई, मुझको मेरी शक्ति, मेरे मन दर्पण ने दिखलाई, निकल पड़ी फ़िर एक दिन ,अपनी पहचान बनाने को, कमज़ोर नही मैं साहसी हूँ , ये दुनिया को दिखलाने को ,।। पूनम आत्रेय ©poonam atrey

#नोजोटोहिन्दी #पूनमकीकलमसे #मोटिवेशनल #दर्पण  White #दर्पण  

समझा  सदा  कमज़ोर  ख़ुद  को ,अपनी काबलियत को कब जाना,
जकड़ी रही ज़माने की बेड़ियों में ,मेरा वजूद भी रहा मुझसे अंजाना,

एक कठपुतली के जैसे मै, जिंदगी भर नाचती रही,
रो रोकर  अपना  गुमनाम सा ,   भाग्य बांचती रही, 

खो    गए    थे    ख़्वाब भी, मेरे    वक़्त की बयार में,
चल    रही      थी  जिंदगी मेरी, अपने  पूरे  रफ्तार में,

बिलखे        थे    अरमान मेरे,मेरी  अपनी नाकामी पर,
कितने   गहरे ज़ख्म लगे थे ,मेरी बेनाम जिंदगानी पर,

फिर    एक    दिन जब 'दर्पण' में ख़ुद की, परछाई को निहारा था ,
पहचाना      था     तब ख़ुद को मैंने  , मिला एक सहारा था,

तोड़ कर हर बन्धन मैंने ,ज़ब ज़माने से नज़र मिलाई,
मुझको   मेरी शक्ति, मेरे मन  दर्पण ने दिखलाई,

निकल पड़ी फ़िर एक दिन ,अपनी पहचान बनाने को,
कमज़ोर    नही मैं साहसी हूँ , ये दुनिया को दिखलाने को ,।।
                             
पूनम आत्रेय

©poonam atrey
#olympics  छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है।

रायपुर छत्तीसगढ़।

हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की पुलिस इतनी बेकार हो चुकी है की क्या बोला जाए।

एक महिला और एक पुरुष थाने मे जाते है।

महिला ने थाने के (Ghanshyam sahu) जो की एक फुल वाला पुलिस कर्मी है।

वो पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोला की तुम बेकुफ और चुतीया इन्सान हो।

ये कहेना है उस पुलिस कर्मी का जिसका नाम है (ghanshyam sahu) है।

ये पुलिस कर्मी का कार्य नही होता है।

दोनो पक्ष की बात सुनकर फैसला देना चाहिए।

लेकिन ये पुलिस कर्मी महिला की बात सुनकर पुरुष को बोलता है

की तेरे उपर (fir) दर्ज़ कर के जेल भेजूगा।

लेकिन ये पुलिस कर्मी जिस पुरुष को ये सब बोल रहा है वो ये नही

जानता है की वो पुरुष एक पत्रकार है।

वो इसकी बात को क्यु चुप चाप से सुन रहा था।

अब आप ही देखीये की पुलिस कर्मी किस प्रकार से अपना कार्य कर रहे है।

ये पुलिस कर्मी (ghamshayam sahu) अपने आप को थाना प्रभारी समझने लगते है।

©amnewsnational

छत्तीसगढ़ के गुड़ियारी थाना के एक पुलिस कर्मी ने अपनी वरदी का दुर उपयोग किया है। रायपुर छत्तीसगढ़। हेड लाइन - रायपुर (छ.ग) की राजधानी की प

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