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दूसरों के हिसाब से चल रही होती तो मेरी किताब कोरी होती मनमर्जियां, बेबाकियाँ,उसकी चाहत अधूरी होती Su👁️

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White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा तो मै झट से दौर पड़ी जी,मै एक किताब हू एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के अपने ही कमरे मे पड़े पुराने मेज पर छोड़ आई थी आज एक बड़े ही अजीब शक्स ने मुझे पढ़ते हुए गहरी साँसे ली और सरका दिया अरसे से जमे धूल पर समीक्षा वो अपने हृदय मे समेट चला गया मुझे आश्चर्यचकित करता है मेरा रहष्यमयी लिपी होना अब मुझे भी कुछ याद नही की आखिर ऐसी कौन सी नौबत आन पड़ी थी की मै आगे खुद को पढ़ नही पाई जबकि मुझे इंतेजार करना चाहिए था अंत को अंत तक आने का खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है ©चाँदनी

#रहष्यमयी  White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा 
तो मै झट से दौर पड़ी

जी,मै एक किताब हू

एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के 
अपने  ही कमरे मे पड़े पुराने
मेज पर छोड़ आई थी

आज एक बड़े ही अजीब शक्स
 ने मुझे पढ़ते हुए 

गहरी साँसे ली और सरका
दिया अरसे से जमे धूल 

पर समीक्षा वो अपने
हृदय मे समेट चला गया

मुझे आश्चर्यचकित करता है
मेरा रहष्यमयी लिपी होना

अब मुझे भी कुछ याद नही की 
आखिर ऐसी कौन सी नौबत
आन पड़ी थी की

मै आगे खुद को पढ़ नही पाई
जबकि 

मुझे इंतेजार करना चाहिए था
अंत को अंत तक आने का

खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है

©चाँदनी

#रहष्यमयी किताब

24 Love

दूसरों के हिसाब से चल रही होती तो मेरी किताब कोरी होती मनमर्जियां, बेबाकियाँ,उसकी चाहत अधूरी होती Su👁️

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White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा तो मै झट से दौर पड़ी जी,मै एक किताब हू एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के अपने ही कमरे मे पड़े पुराने मेज पर छोड़ आई थी आज एक बड़े ही अजीब शक्स ने मुझे पढ़ते हुए गहरी साँसे ली और सरका दिया अरसे से जमे धूल पर समीक्षा वो अपने हृदय मे समेट चला गया मुझे आश्चर्यचकित करता है मेरा रहष्यमयी लिपी होना अब मुझे भी कुछ याद नही की आखिर ऐसी कौन सी नौबत आन पड़ी थी की मै आगे खुद को पढ़ नही पाई जबकि मुझे इंतेजार करना चाहिए था अंत को अंत तक आने का खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है ©चाँदनी

#रहष्यमयी  White आज किसी ने पहला पन्ना पलटा 
तो मै झट से दौर पड़ी

जी,मै एक किताब हू

एक रोज मै खुद को अधूरा पढ़ के 
अपने  ही कमरे मे पड़े पुराने
मेज पर छोड़ आई थी

आज एक बड़े ही अजीब शक्स
 ने मुझे पढ़ते हुए 

गहरी साँसे ली और सरका
दिया अरसे से जमे धूल 

पर समीक्षा वो अपने
हृदय मे समेट चला गया

मुझे आश्चर्यचकित करता है
मेरा रहष्यमयी लिपी होना

अब मुझे भी कुछ याद नही की 
आखिर ऐसी कौन सी नौबत
आन पड़ी थी की

मै आगे खुद को पढ़ नही पाई
जबकि 

मुझे इंतेजार करना चाहिए था
अंत को अंत तक आने का

खैर!चरमोत्कर्ष ईश्वर भी चाहता है

©चाँदनी

#रहष्यमयी किताब

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