White प्यार के रंग हज़ार आख़िर किस्से करूँ इज़हार,
सूरत देखता है ज़माना आजकल सीरत से कौन करे प्यार..!
चल रहा है ग़ुमान में इंसान हर चीज़ को समझता है व्यापार,
मन में मैल बसाये भूल गया हो जैसे परोपकार..!
ज़िन्दगी में खुश रहना भी जरुरी है,
क्यों देते हैं फिर सभी ग़म का उपहार..!
इश्क़ मोहब्बत के रंग में रंगा है हर गाँव शहर क़स्बा,
फिर भी नफ़रत का हो रहा है धड़ल्ले से प्रचार..!
तरह तरह के लोग हैं रूठने मानाने के अलग अलग प्रकार,
कोई समझता है खूबसूरती को प्रेम कोई सादगी को समझे सरकार..!
मन मिले तो मीत मिला पसंदीदा हो जब किसी का व्यवहार,
नहीं तो रूप रंग काया माया सब के सब बेकार..!
देखता नहीं है प्यार रंग ढंग रहन सहन,
ये तो मरता उसी पर है जिसका होता है दमदार किरदार..!
©SHIVA KANT(Shayar)
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